छत्तीसगढ़ की ग्राम पंचायतों पर जीएसटी के 11 हजार करोड़ रुपये बकाया
रायपुर। राज्य सरकार ग्राम पंचायतों से करीब 11 हजार करोड़ वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की राशि नहीं वसूल पाई है। आधे से अधिक पंचायतों ने तो जीएसटी नंबर तक नहीं लिया है। ये बात सामने आई है छत्तीसगढ़ स्थानीय निधि संपरीक्षा की ऑडिट रिपोर्ट में। ऑडिट में आपत्ति उठने के बाद पंचायत विभाग के अधिकारियों ने जीएसटी वसूली की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसके साथ ही स्थानीय निधि संपरीक्षा की ऑडिट रिपोर्ट का भी विभाग ने परीक्षण कराना शुरू कर दिया है।
हालांकि अब ग्राम पंचायतों में ढाई लाख से अधिक के भुगतान पर फर्म या कंपनियों से दो प्रतिशत जीएसटी-टीडीएस यानी टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स की कटौती अनिवार्य कर दिया गया है। वित्त विभाग ने सभी कलेक्टर-कमिश्नर, राजस्व मंडल, विभागाध्यक्षों को पत्र जारी कर जीएसटी-टीडीएस कटौती के नियमों का कड़ाई से पालन करने के लिए कहा है। बताया जाता है कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में ग्राम पंचायतों से जीएसटी वसूली ही नहीं गई है।
पंचायत चुनाव से पहले वसूली बड़ी चुनौती
जानकारों का कहना है कि प्रदेश में 11 हजार 664 ग्राम पंचायतें हैं। यहां नवंबर-दिसंबर में पंचायतों का चुनाव भी हैं। इसके पहले जीएसटी की वसूली राज्य सरकार के सामने बड़ी चुनौती है।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय सरकार एक तरफ जहां कर्ज लेकर मोदी की गारंटियों को पूरा कर रही है तो दूसरी तरफ करोड़ों की राशि की वसूली नहीं होने से सरकार की चिंता बढ़ सकती है ।
ग्राम पंचायत समेत ज्यादातर सरकारी कार्यालयों में लाखों रुपये के निर्माण कार्य व खरीदी हो रही है, लेकिन अधिकांश विभाग जीएसटी जमा नहीं कर रहे हैं। जीएसटी की चोरी से सरकार को लाखों रुपये के टैक्स का नुकसान हो रहा है।
ग्राम पंचायतों में होते हैं कई प्रमुख कार्य
ग्राम पंचायतों में मनरेगा के तहत पुल-पुलिया निर्माण, नाली निर्माण, तालाब गहरीकरण का कार्य होता है। इसके अलावा प्रधानमंत्री आवास योजना में भी मनरेगा के मजदूर काम करते हैं। साथ ही पंचायत भवन, आंगनबाड़ी केंद्रों के भवन, सामुदायिक भवन, प्राथमिक शाला, मिडिल स्कूल भवन, रंगमंच निर्माण आदि कार्य पंचायत स्तर पर कराए जाते हैं। इनका भुगतान चेक के माध्यम से सीधे कंपनी या फर्म को होता है।
जीएसटी नहीं वसूल पाने के लिए कलेक्टर-सीईओ जिम्मेदार
विशेषज्ञों का कहना है कि एक तरफ नगर पंचायतों में जीएसटी नंबर आवंटित है तो वहां हो रहे विकास कार्यों के लिए बाकायदा जीएसटी भुगतान हो रहा है मगर ग्राम पंचायतों में लापरवाही बरती गई। यहां जीएसटी नंबर नहीं होने के कारण भुगतान के समय जीएसटी का भुगतान नहीं हो पाया है। इसके लिए सीधे तौर पर जिला कलेक्टर और जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी (सीईओ) जिम्मेदार हैं।