कोरोनरी ऑर्बिटल एथेरेक्टोमी पद्धति से मरीजों को मिला नया जीवन
एसीआई के डॉक्टरों ने डायमंड-कोटेड ड्रिल डिवाइस से कोरोनरी धमनी में जमा कैल्शियम हटाया
रायपुर । मेकाहारा के एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट (एसीआई) के कार्डियोलॉजी विभाग में एक नई और अत्याधुनिक चिकित्सा पद्धति, कोरोनरी ऑर्बिटल एथेरेक्टोमी, का सफल उपयोग करते हुए डॉक्टरों ने दो हृदय रोगियों के कोरोनरी धमनियों में जमे कैल्शियम को सफलतापूर्वक हटा दिया। यह प्रक्रिया पंडित जवाहरलाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय रायपुर से संबद्ध डॉ. भीमराव अंबेडकर स्मृति चिकित्सालय में कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. स्मित श्रीवास्तव और उनकी टीम द्वारा की गई।
क्या है कोरोनरी ऑर्बिटल एथेरेक्टोमी?
ऑर्बिटल एथेरेक्टोमी एक उन्नत चिकित्सा प्रक्रिया है, जिसका उपयोग एंजियोप्लास्टी से पहले कैल्सीफाइड ब्लॉकेज को तोड़ने के लिए किया जाता है। इसमें 1.25 मिमी का डायमंड-कोटेड बर (ड्रिल डिवाइस) होता है, जो धमनियों में जमा कैल्शियम को बेहद महीन कणों में पीसकर हटा देता है। इससे धमनी की सतह साफ और चिकनी हो जाती है, जिससे रक्त प्रवाह सुगम हो जाता है और हृदय की कार्यक्षमता में सुधार होता है।
कैसे की गई यह प्रक्रिया?
डॉ. स्मित श्रीवास्तव के नेतृत्व में विशेषज्ञों की टीम ने दो मरीजों का इलाज सफलतापूर्वक किया।
77 वर्षीय मरीज – रायपुर निवासी इस बुजुर्ग मरीज की हृदय की पम्पिंग क्षमता कम थी, और एंजियोग्राफी में बाईं मुख्य धमनी व तीनों नसों में भारी कैल्शियम का जमाव पाया गया। सामान्य एंजियोप्लास्टी संभव न होने पर, ऑर्बिटल एथेरेक्टोमी प्रक्रिया का सहारा लिया गया और मरीज की नसों को सफलतापूर्वक साफ कर रक्त प्रवाह सुचारू किया गया।
68 वर्षीय मरीज – भिलाई निवासी इस मरीज को अन्य अस्पताल में बाईपास सर्जरी का सुझाव दिया गया था। एसीआई पहुंचने के बाद ऑर्बिटल एथेरेक्टोमी पद्धति का उपयोग कर उनकी मुख्य धमनी के कैल्शियम को हटाते हुए एंजियोप्लास्टी की गई। मरीज एक ही दिन में स्वस्थ होकर घर लौट गया।
टीम का योगदान
इस जटिल प्रक्रिया को सफलतापूर्वक अंजाम देने वाली टीम में कार्डियोलॉजिस्ट: डॉ. स्मित श्रीवास्तव, डॉ. कुणाल ओस्तवाल, डॉ. शिव कुमार शर्मा, डॉ. प्रतीक गुप्ता तथा एनेस्थीसिया विभाग: डॉ. जया लालवानी, डॉ. अमृता जैन, डॉ. नवीन तिवारी शामिल थे।
डॉ. संतोष सोनकर (अस्पताल अधीक्षक) ने टीम को बधाई देते हुए कहा, “एसीआई में हृदय रोग विशेषज्ञों की यह उपलब्धि मरीजों को बेहतर जीवन देने की दिशा में एक बड़ा कदम है। सरकारी अस्पताल में इस उन्नत तकनीक का उपयोग होना गर्व की बात है।”
नवाचार और उम्मीद
कार्डियोलॉजी के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. कुणाल ओस्तवाल ने बताया कि ऑर्बिटल एथेरेक्टोमी में डायमंड-कोटेड बर 360 डिग्री घूमते हुए कैल्शियम को महीन चूर्ण में बदल देता है, जो शरीर से कैपिलरी द्वारा बाहर निकल जाता है। यह तकनीक उन मरीजों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है, जिनकी धमनियों में कैल्शियम का अत्यधिक जमाव है और सामान्य एंजियोप्लास्टी संभव नहीं होती। यह सफलता न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे क्षेत्र के हृदय रोगियों के लिए एक नई उम्मीद लेकर आई है।