मिडिल ईस्ट में बढ़ता तनाव, क्या पेट्रोल की कीमतों का कम होगा दबाव
Business:- मिडिल ईस्ट से लेकर यूरोप तक में जियो पॉलिटिकल तवाब लगातार बढ़ता जा रहा है. जिसकी वजह से क्रूड ऑयल की कीमतों में तेजी देखने को मिल रही है. लेकिन ये तेजी उतनी ज्यादा नहीं है जिसकी वजह से दुनिया में आतंक फैल जाए या फिर भारत की ऑयल कंपनियां आम लोगों को राहत ना सके. ऑयल मार्केटिंग कंपनियों की ओर साफ किया जा चुका है कि इंटानेशनल मार्केट में अभी अस्थिरता है और पेट्रोलियम कंपनियों का घाटा भी पूरा नहीं हुआ है. जिसकी वजह से पेट्रोल और डीजल के दाम में कमी की गुंजाइश ना के बराबर है. दूसरी ओर एक रिपोर्ट के मुताबिक पेट्रोल पर कंपनियों का फायदा कम हो गया है. जबकि डीजल पर 3 रुपए प्रति लीटर का घाटा शुरू हो गया है.
वैसे भारत में पेट्रोल और डीजल के दाम मई 2022 से बदले नहीं है. तब देश की वित्त मंत्री ने निर्मला सीतारमण ने पेट्रोल और डीजल के दाम में टैक्स को कम करके थोड़ी राहत दी थी. दूसरी ओर ऑयल मार्केटिंग कंपनियों की ओर से पेट्रोल और डीजल के दाम में अप्रैल 2022 से कोई बदलाव नहीं किया है. ताज्जुब की बात तो ये है कि मार्च 2022 से अब तक कच्चे तेल की कीमत में 60 डॉलर प्रति बैरल की कटौती देखने को मिल चुकी है. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर मौजूदा समय में इंटरनेशनल मार्केट में कच्चे तेल के दाम कितने हो गए हैं. साथ देश के प्रमुख शहरों में पेट्रोल और डीजल के दाम कितने हो गए हैं.
कच्चे तेल की कीमत में इजाफा
मिडिल ईस्ट और ईस्टर्न यूरोप में जियो पॉलिटिकल टेंशन जारी रहने के कारण मंगलवार को तेल की कीमतें ऊंची रहीं. वहीं दूसरी ओर फेड रिजर्व ने साफ कर दिया है कि ब्याज दरों को थोड़े समय के लिए होल्ड पर रखा जा सकता है जिसकी वजह से कीमतों में तेजी थोड़ी कम जरूर हुई है. खाड़ी देशों का तेल ब्रेंट क्रूड ऑयल के दाम 0.61 फीसदी की तेजी के साथ 82.50 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा है. जबकि अमेरिकी कच्चा तेल यूएस वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (डब्ल्यूटीआई) क्रूड 95 सेंट या 1.24 फीसदी बढ़कर 77.87 डॉलर प्रति बैरल पर बंद हुआ. पिछले सप्ताह 6 फीसदी की बढ़ोतरी के बाद सोमवार को तेल की कीमतें लगभग स्थिर थीं.
लगातार बढ़ती जियो पॉलिटिकल टेंशन
सूत्रों के मुताबिक, अमेरिका ने यूक्रेन में युद्धविराम के रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सुझाव को खारिज कर दिया. न्यूयॉर्क स्थित अगेन कैपिटल के पार्टनर जॉन किल्डफ ने कहा कि यह अस्वीकृति दर्शाती है कि युद्धविराम या शांति समझौता तब तक नहीं होगा जब तक यूक्रेन को वह नहीं मिल जाता जो वह चाहता है. जिसकी वजह से अमेरिकी प्रतिबंध भी प्रभावी होने लगे हैं, और हम देख रहे हैं कि विभिन्न देश रूसी सप्लाई लेने से पीछे हट रहे हैं. मिडिल ईस्ट में युद्ध के और बढ़ने की आशंकाओं ने तेल सप्लाई आउटलुक को लेकर भी चिंता बढ़ा दी है. गाजा सीजफायर पर अमेरिका, मिस्र, इजराइल और कतर के साथ बातचीत बिना किसी सफलता के समाप्त हो गई. हूतियों ने अमेरिका, ब्रिटेन और इज़राइल के कमर्शियल शिपमेंट पर लगातार हमले जारी रखे हुए हैं. इसी वजह से कच्चे तेल की कीमतों में उछाल बना हुआ है.
लगातार बढ़ती जियो पॉलिटिकल टेंशन
सूत्रों के मुताबिक, अमेरिका ने यूक्रेन में युद्धविराम के रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सुझाव को खारिज कर दिया. न्यूयॉर्क स्थित अगेन कैपिटल के पार्टनर जॉन किल्डफ ने कहा कि यह अस्वीकृति दर्शाती है कि युद्धविराम या शांति समझौता तब तक नहीं होगा जब तक यूक्रेन को वह नहीं मिल जाता जो वह चाहता है. जिसकी वजह से अमेरिकी प्रतिबंध भी प्रभावी होने लगे हैं, और हम देख रहे हैं कि विभिन्न देश रूसी सप्लाई लेने से पीछे हट रहे हैं. मिडिल ईस्ट में युद्ध के और बढ़ने की आशंकाओं ने तेल सप्लाई आउटलुक को लेकर भी चिंता बढ़ा दी है. गाजा सीजफायर पर अमेरिका, मिस्र, इजराइल और कतर के साथ बातचीत बिना किसी सफलता के समाप्त हो गई. हूतियों ने अमेरिका, ब्रिटेन और इज़राइल के कमर्शियल शिपमेंट पर लगातार हमले जारी रखे हुए हैं. इसी वजह से कच्चे तेल की कीमतों में उछाल बना हुआ है.