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रूस-यूक्रेन के बीच जंग खत्म कराएगा ये मुस्लिम देश! भारत का है ‘दुश्मन’

रूस:- रूस यूक्रेन युद्ध तीसरे साल में प्रवेश कर गया है. इस बीच खबर है कि दोनों देशों के बीच सुलह की कोशिश मुस्लिम देश तुर्की करवाने वाला है. इसके लिए तुर्की शांति शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने के लिए तैयार है. तुर्की के राष्ट्रपति रेचप तैयप एर्दोगन ने शुक्रवार को इस्तांबुल में अपने यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोदिमिर ज़ेलेंस्की के साथ बातचीत के बाद यह जानकारी दी है.

एर्दोगन का प्रस्ताव ऐसे समय में आया है जब यूक्रेन बैकफुट पर है. हाल के महीनों में यूक्रेन को अपने पश्चिमी सहयोगियों की सहायता की कमी की वजह से मास्को से कई मोर्चों पर हार का सामना करना पड़ा है. हालांकि यह पहली बार नहीं है जब नाटो सदस्य तुर्की ने शांति की पेशकेश ही है. दो साल पहले जब रूस ने यूक्रेन पर आक्रमण शुरू किया तब से ही तुर्की खुद को मास्को और कीव के बीच एक संभावित मध्यस्थ के रूप में पेश करता आ रहा है.

जेलेंस्की का रूस से सीधे बातचीत से इंकार

तुर्की की राजधानी अंकारा ने मॉस्को और कीव दोनों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखने की मांग की है. हालांकि ज़ेलेंस्की ने रूस के साथ सीधे बातचीत के विचार को खारिज कर दिया. यह तर्क देते हुए कि यूक्रेन और पश्चिमी नेताओं को अपनी शर्तों पर शांति स्थापित करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि स्विट्जरलैंड में आगामी शांति शिखर सम्मेलन होगा, जहां कीव अपने खुद के शांति फॉर्मूले को बढ़ावा देगा. साथ ही उन्होंने एर्दोगन के साथ हुई बातचीत को असरदार बताया. दोनों के बीच बंदरगाह सुरक्षा, काला सागर में नेविगेशन सुरक्षा, कैदियों की अदला-बदली और खाद्य सुरक्षा के मुद्दों पर चर्चा हुई है.

बातचीत करवाने के लिए तुर्की क्यों बेकरार

काला सागर पर तुर्की की रणनीतिक स्थिति और बोस्फोरस स्ट्रेट पर उसका नियंत्रण उसे सैन्य, राजनीतिक और आर्थिक तौर पर अनूठा बनाता है. तुर्किये ने युद्ध के पहले हफ्तों में ही कीव और मॉस्को के बीच युद्धविराम वार्ता की मेजबानी की थी जिसमें वो नाकाम रहा था. जुलाई 2022 में, अंकारा ने संयुक्त राष्ट्र के साथ काला सागर अनाज सौदा किया, जो कीव और मॉस्को के बीच अब तक का सबसे महत्वपूर्ण राजनयिक समझौता माना गया. इस समझौते के तहत काले सागर के पार यूक्रेनी कृषि निर्यात को सुरक्षित मार्ग की अनुमति दी गई थी. जिसे रूस ने अनुचित बताया था. माना जा रहा है कि तुर्की इसी समझौते के लिए कड़ी पैरवी कर रहा है.

भारत-तुर्की में बढ़ता तनाव

तुर्की और भारत के संबंध तनावपूर्ण रहते हैं खासकर से कश्मीर पर तुर्की के बयानों के बाद. 2019 में तुर्की के राष्ट्रपति रेचप तैयप ने संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करते हुए जम्मू-कश्मीर के विशेष राज्य का दर्जा खत्म करने की आलोचना की थी. हालांकि कई दशकों तक दोनों देशों के बीच रिश्ते अच्छे रहे थे लेकिन जबसे वहां सत्ता की कुर्सी पर एर्दोगन बैठे तब से दोनों देशों के संबंधों मे खटास आई है.

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