
कई लोगों के लिए सत्ता पैसा कमाने का मौका रहता है, पार्टी के लिए पैसा कमाने का मौका रहता है, अपने लिए पैसा कमाने का मौका रहता है, परिवार के लिए पैसा कमाने का मौका रहता है।
बिना मेहनत के लोग करोड़ो रुपए घर आकर दे रहे हैं तो किसको बुरा लगता है।किसी को बुरा नहीं लगता है,आम लोग तो कल्पना करते रह जाते हैं कि करोड़ो रुपए घर पहुंचाकर दे जा रहे हैं तो कैसा लगता होगा। करोड़ो रुपए घर में सुबह शाम आते रहे तो सबको अच्छा लगता है, पूरे परिवार को अच्छा लगता है। सिर्फ अच्छा नहीं लगता है फिर तो जितना पैसा आता है कम लगता है, एक हजार करो़ड़ आ गया तो लगता है कि दो हजार करोड़ आना चाहिए।
पैसे की भूख बढ़ती जाती है। जिसके घर पैसा आता है,वह सोचता है कि इसका पता किसी को नहीं चलेगा।अभी तो हमारी सरकार है,अगले पांच साल भी हमारी सरकार ही रहने वाली है।ऐसा नहीं होता है।
भ्रष्टाचार, खुशी व खांसी को छिपाया नहीं जा सकता। पता ही चल जाता है पैसा करोड़ों हो तो चेहरे पर अलग की चमक होती है,आदमी की भाषा बदल जाती है, व्यवहार बदल जाता है, अड़ोस पड़ोस के लोगों को पहले पता चलता है कि इसके घर बहुत पैसा आ रहा है। वह तो परिवार को बरसों से देख रहे हैं, उनका सामान्य व्यवहार जब पैसा नहीं आया था तब कैसा था और अब कैसा हो गया है।
जो पैसा लाकर देता है, वह भी तो किसी न किसी को बताता होगा कि आज मैं कितने करोड़ सुबह और कितने करोड़ शाम को पहुंचा के आया है। वह जिनको बताता होगा वह और लोगों को बताते हैं और महीनों व साल में सबको पता चल जाता है कि इस घर में पैसा कहां से आ रहा है।क्यों आ रहा है।
पार्टी के लोगों को भी धीरे धीरे पता चल जाता है कि सत्ता का उपयोग कर पैसा कौन कितना कमा रहा है। यही वजह है कि अब जो पैसा कमाया जाता है, वह बहुत लोग कमाते है, बहुत लोगों में बंटता है ताकि कोई पार्टी का ही आदमी पार्टी की पोल न खोल दे। लेकिन कितनी भी सावधानी रखने पर लोगों को पता चल ही जाता है कि कितने लोग हैं सिंडीकेट में और कितने सिंडीकेट हैं।
बेईमानी का यह पैसा जो सिंडीकेट कमाता है, वह अपने लिए नहीं कमाता है, उसका एक हिस्सा पार्टी को जाता है, एक हिस्सा राज्य के बड़े नेता और उसके परिवार को मिलता है और एक हिस्सा बाकी लोगों में बंटता है। यह भी इतना होता है कि इस पैसे के लिए सरकारी नौकरी करने वाली नौकरी खोने का जोखिम होने पर भी सिंडीकेट जैसा कहता है, वैसा करते हैं। उनकी नौकरी चली भी जाती है तो इतना पैसा उनके पास होता है कि उनको नौकरी करने की जरूरत नहीं रहती।
कई लोग सरकार में रहते कहते हैं कि हमारी सरकार ने जनता की जेब मेें इतने लाख करोड़ डाला है। यानी वह जनता खुश करने की कोशिश करते हैं कि देखो हमको वोट दोगे तो अगली बार फिर इतने लाख करोड़ हम तुम्हारी जेब में डालेंगे।वह सोचते हैं कि जनता लाख करोड़ रुपए के लालच में फिर उनको वोट देगी लेकिन जनता को जब पता चल जाता है कि कोई पार्टी उसकी सेवा करने के लिए, राज्य के विकास के लिए अपनी पार्टी,परिवार की सेवा के लिए आई है तो वह उसे दूसरे चुनाव में नकार देती है। सत्ता हाथ से जाते हैं कि भ्रष्टाचार की परते खुलने लगती हैं। ऐसे ऐसे चेहरे सामने आते जाते हैं जनता को यकीन नहीं होता है. यह लोग ऐसा भी कर सकते हैं।
एक बार जब जनता पहचान जाती है तो धोखा नहीं खाती है, वह धोखा देने वालों को सबक सिखाती है और जांच एजेंंसियां की जांच से पता चलता है कि जनता की जेब में एक दो लाख करोड़ डालने वालों ने अपनी पार्टी व अपने परिवार की जेब में भी हजारों करोड़ डाले है। पैसा आता है तो नेता को कितना अच्छा लगता है, उसके परिवार को भी अच्छा लगता है लेकिन जब ईडी आती है,सीबीआई, आईटी, ईओडब्लू आती है तो बहुत बुरा लगता है। बुरा तो लगना नहीं चाहिए क्योंकि इस देश में ज्यादातर लोग मानते हैं कि आदमी जैसा कर्म करता है वैसा ही उसको फल मिलता है। हमारे यहां माना जाता है कि कर्म फल अटल है, यानी जैसा कर्म किए हो उसका फल आज नहीं तो कल मिलेगा और जरूर मिलेगा।
बिना मेहनत के पैसे से जितना सुख मिला है, उसी पैसे के कारण परिवार को उतना ही दुख मिलेगा, अपयश मिलेगा, लोग सामने नहीं कहेंगे तो पीठ पीछे कहेंगे कि इनके पास जो पैसा है वह मेहनत का पैसा नहीं है, वह हराम का पैसा है। परिवार की आने वाली पीढि़यों को तकलीफ होगी तो लोग कहेंगे कि हराम के पैसे का खामियाजा एक पीढ़ी नहीं कई पीढ़ी को भुगत रही है। अभी परिवार को दुख हो रहा है कि घर का मुूखि्या जेल में है, अभी पिता को दुख हो रहा है कि उसका बेटा ईडी की हिरासत में है। बहन को दुख हो रहा है कि भाई जेल में है, जमानत नहीं हो रही है। मां को दुख हो रहा है कि बेटा पता नहीं कब जेल से बाहर आएगा। यह दुख नहीं होता यदि परिवार, मां,पिता,बहन,बहनोई को घर में हराम का पैसा आने पर समझाते कि इससे परिवार को बाद में दुख होगा। किसी ने नहीं समझाया, अब नहीं समझाने का परिणाम कई परिवार भुगत रहे हैं।राजनीतिक दल कई राज्यों मेें भुगत रहे हैं। सपरिवार भ्रष्टाचार का परिणाम तो स्वाभाविक है सपरिवार सजा भी भुगतनी पड़ेगी।