अच्छी सरकार, अच्छा प्रशासन, अच्छी पुलिस व अच्छी सुरक्षा व्यवस्था तो जनता तब मानती है जब अपराधियों,असामाजिक तत्लो, माफिया व नक्सलियों तक में खौफ हो, पकड़े जाने का डर हो, सजा मिलने का डर हो, एऩकाउंटर में मारे जाने का डर हो, यह डर जितना ज्यादो होता है, अपराध उतने की कम होते हैं,माफि्या राज नहीं चलता है,नक्सली आतंक उतना ही कम होता है।
छत्तीसगढ़ के नक्सलियों में इन दिनों सरकार,पुलिस व सुरक्षा बल के जवानों का जितना खौफ है,इतना खौफ किसी सरकार के समय नहीं था।इसकी वजह यह है कि साय सरकार नक्सलियों के सफाए के लिए गंभीर है। गृह मंंत्री अमित शाह ने सीएम विष्णुदेव साय को नक्सलियो के सफाए का लक्ष्य दिया है। सीएम साय इस काम को अंजाम देने में जुटे हुए है, नक्सलियों के सफाए में उनको दो माह में बड़ी सफलताएं मिली है। इस सफलता के लिए गृहमंत्री अमित शाह ने सीएम साय की सराहना की है।
नक्सली मोर्चे पर सीएम साय का काम सराहनीय भी है। साय सरकार बनने के बाद नक्सलियों के खिलाफ सफल आपरेशन चलाया जा रहा है और नक्सलियों का हर आपरेशन में सफाया किया जा रहा है।साय सरकार के साढे़ चार महीने मे ११२ नक्सलियों का मार गिराया गया है।इससे पहले किसी सरकार के समय कुछ ही महीनों क्या एक साल मे भी इतने नक्सली मारे नहीं गए थे। पहले पुलिस, सुरक्षा बल के जवान व बेगुनाह लोग जयादा मारे जाते थे अब नक्सली ज्यादा मारे जा रहे हैं।
इससे नक्लियो में दहशत है, इस दहशत का पता इस बात से चलता है कि नक्सली संगठन खुद ही पर्चा जारी कर सराकर से बातचीत करने की मंशा जाहिर कर रहे हैं। नक्सलियों मेंं दहशत है इस का पता इस बात से भी चलता है कि मुठभेेड़ व टारगेटेड आपरेशन मे जितने नक्सली मारे गए है उससे ज्यााद नक्सलियों ने सरेंडर किया है। आकंडों के मुताबिक ११२ नक्सलियो का मारा गया है तो ३७५ नक्सलियों ने सरेंडर किया है। इसी के साथ १५३ नक्सली गिरफ्तार किए गए है।
इन तीनो आंकड़ों तो जोड़ दिया जाए तो पता चलता है कि सरकार ने साढे़ चार माह के शासन में बस्तर में ६४० नक्सलियों की संख्या कम कर दी है। यानी ये लोग नक्सली गतिविधियों से बाहर हो गए है, इससे साफ है कि नक्सली कमजोर हुए हैं। मान लो पांच हजार नक्सली भी बस्तर में हैं तो जिस हिसाब से साय सरकार उनका सफाया कर रही है। उससे लगता है कि नक्सलियों के सफाए मे कुछ महीने ही लगेंगे। हकीकत यह है कि नक्सलियों में सरकार,पुलिस व सुरक्षा बलों का खौफ तब नहीं होता है जब उनके मारे जाने व पकड़े जाने का कोई डर नहीं होता है।
कुछ ही महीनों में बस्तर में ११२ नक्ली मारे जाने से निचले स्तर के नक्सलियों में मारे जाने या पकड़े जाने का इतना डर पैदा हो गया है कि वह नहीं चाहते है कि किसी मुठभेड़ में मारे जाए,इसलिए इन दिनों आए दिन नक्सली सरेंडर कर रहे हैं। नक्सलियों मेें मारे जाने का डर जितना ज्यादा होगा, सरेंडर करने वालों की संख्या उतनी ही ज्यादा होगी। ११२ नक्सली मारे गए हैं और ३७५ नकसलियों ने सरेंडर किया है, यानी कि सरेंडर करने वालं की संख्या दोगुना से ज्यााद है।
नक्सलियों में मारे जाने का खौफ बने रहना चाहिए। इसके लिए जरूरी है कि पुलिस व सुरक्षा बल हर माह दो तीन सफल आपरेशन चलाते रहें। बडी संख्या में नक्सलियों का सफाया करते रहे। यूपी मे आदित्यनाथ योगी ने भी यही किया था कि मापिया में मारे जाने या पकड़े जाने का खौफ पैदा कर दिया था। इस खौफ के बाद ही यूपी स माफिया या तो भाग गए थे, या मारे गए थे।जो मरना नहीं चाहते थे, उन लोगं ने सरेंडर कर दिया था।नक्सली या माफिया उसके सफाए के लिए जरूरी है कि निरंतर आपेरशन चलते रहना चाहिए। मरने या पकड़े जाने का खौफ बने रहना चाहिए। तब ही माफिया हो या नक्सली उनका सफाया होता है।