बिलासपुर । इस रेडियो कार्यक्रम ने किसानों को उनकी भाषा और बोली में खेती के नए तौर तरीकों से अवगत कराया। गांव से लेकर दूर वनांचल क्षेत्रों में लाखों किसान श्रोता के रूप में आज भी लाभ प्राप्त कर रहे हैं। गुरुवार को किसानवाणी कार्यक्रम का 20 वर्ष पूरे होने की खुशी में बिलासपुर के स्टूडियो में किसान दिवस मनाया गया। बिलासपुर के कार्यक्रम प्रमुख मनहरण साहू ने इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि आकाशवाणी के विभिन्न केंद्रों में किसानवाणी कार्यक्रम को आरंभ किए 20 वर्ष पूरे हो गए हैं। 15 फरवरी 2004 को किसानवाणी कार्यक्रम आकाशवाणी से शुरू किया गया था।
इस दिवस को रेडियो किसान दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसी कड़ी में गुरुवार को आकाशवाणी बिलासपुर के स्टूडियो में रेडियो किसान दिवस मनाया गया। इस अवसर पर कृषि विज्ञान केंद्र बिलासपुर की विषयवस्तु विशेषज्ञ डा. शिल्पा कौशिक ने प्राकृतिक खेती के महत्व पर प्रकाश डाला। वहीं नगर पंचायत मल्हार के प्रगतिशील कृषक जदुनंदन प्रसाद वर्मा ने जैविक खेती में अपने अनुभव को साझा किया। इस कार्यक्रम में आकाशवाणी बिलासपुर के कार्यक्रम अधिकारी डा.सुप्रिया भारतीयन, ग्रामसभा कंपियर गोपाल कृष्ण पांडेय, अभिनव गौरहा सहित अधिकारी, कर्मचारी और समनुदेशिती उपस्थित थे।
आकाशवाणी बिलासपुर के सहायक निदेशक नवीन कुमार जायसवाल ने कहा कि 20 साल पहले किसानों के लिए जैविक खेती और खेत की मिट्टी का परीक्षण कराने की बातें किसी अजूबे से कम नहीं थी। आज इस क्षेत्र के किसान बड़े पैमाने पर जैविक खेती तो कर ही रहे हैं। साथ ही मिट्टी का परीक्षण कराना भी नहीं भूलते। यह बदलाव आकाशवाणी के किसानवाणी कार्यक्रम से संभव हुआ है।
बिलासपुर आकाशवाणी के कार्यक्रम प्रमुख मनहरण साहू ने कहा कि रेडियो से किसानों को उनकी भाषा और बोली में खेती के नए तौर-तरीकों से अवगत कराया जाता है। पहले किसानों ने इसके महत्व को नहीं समझा, लेकिन जब रेडियो के माध्यम से उन्हें कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा और सामुदायिक विकास जैसे विषयों की जानकारी मिलने लगी तो वे रेडियो से जुड़ने लगे। उनके लिए मौसम का हाल जानना हो या फिर मंडी के भाव का पता लगाना हो, यह रेडियो उनके लिए सशक्त माध्यम बन गया। लोकसंस्कृति को भी इससे बढ़ावा मिला।