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हादसा कहीं भी,कभी हो सकता है

हादसा किसी के साथ भी हो सकता है, कहीं भी हो सकता है और कभी भी हो सकता है। यह वर्तमान का परम सत्य है। इससे कोई इंकार नहीं कर सकता।रोज ऐसा होता है, किसी न किसी के साथ कहीं न कहीं तो होता है।ऐसा भी नहीं है कि हादसे रोकने के लिए प्रयास नहीं किए जाते हैं। सरकारी स्तर पर तो ऐसे प्रयास हर साल किए जाते हैं, अभियान चलाया जाता है लोगों को जागरूक किया जाता है कि वह सड़क पर चलते वक्त यातायात नियमों का पालन करें। अपनी सुरक्षा के लिए जितना सजग रहें, दूसरों की सुरक्षा के लिए भी उतना ही सजग रहें।

जो अपनी सुरक्षा के प्रति जागरूक रहता है, वही दूसरों की सुरक्षा के प्रति जागरूक रह सकता है। इसलिए जरूरी है लोगों को अपनी सुरक्षा के प्रति जागरूक किया जाए।हर शहर हादसों का शहर है,हर सड़क पर हादसा हो सकता है।यह ख्याल जब भी कोई आदमी अपने घर से बाहर सड़क पर निकलता है तो उसके दिमाग में रहना चाहिए।सड़क पर सजग रहना चाहिए क्योंकि आप कितना भी सजग हो ,दूसरा जो लापरवाही से तेज रफ्तार से वाहन चला रहा है, वह आपको घायल कर सकता है। इसलिए जरूरी है कि जो भी सड़क पर है, उसे सजग रहना जरूरी है,चाहे कोई पैदल जा रहा है या चाहे कोई दोपहिया पर जा रहा है। अपनी जान बचाने के लिए भी और दूसरों की जान बचाने के लिए भी।जो अपनी जान बचाने की सोचेगा वह दूसरो की भी परवाह करेगा।

धमतरी के केरेगांव थाना क्षेत्र के ग्राम सलोनी के पास तेज रफ्तार हाइवा ने स्टेट हाईवे पर छठी व सातवीं पढ़ने वाले दो छात्रों कुचल दिया।दोनों सुबह की सैर के लिए निकले थे।इसी तरह जांजगीर-चांपा जिले में सुबह पुलिस भर्ती के लिए दौड़ रही एक युवती व एक महिला को ट्रक ने कुचल दिया, दोनों की मौत हो गई। दोनो घटनाएं सुबह की हैं और स्टेट हाईवे व मेन रोड की है।ठंड के मौसम में बहुत से लोग सुबह मेन रोड पर सैर के लिए निकलते हैं तो उनको इस घटना के बाद सावधान रहने की जरूरत है क्योंकि हो सकता है कोई सुबह सैर को निकले और वापस घर उसकी लाश लौटे। ऐसा इसलिए तो होता है कि वाहन चलाने वाले लापरवाह होते हैं, उनको न अपनी जान की परवाह होती है, न दूसरों की जान की परवाह होती है।

ऐसा इसलिए भी होता है कि हम और हमारा परिवार भी अपनी सुरक्षा के लिए सजग नहीं रहता है। बहुत सारे लोग जब वाहन लेकर घर से निकलते हैं तो यह उनकी व्यक्तिगत जिम्मेदारी है कि शहर के भीतर तय रफ्तार में वाहन चलाए, वाहन चलाते वक्त हेलमेट पहने, यातायात नियमों का पालन करें। अगर कोई ऐसा नहीं कर रहा है तो यह परिवार की भी जिम्मेदारी है कि उसे बगैर हेलमेट बाहर न जाने दें, बाहर जाने से पहले याद दिलाए कि उस कम स्पीड में वाहन चलाना है। आदमी खुद अपनी सुरक्षा के प्रति जागरूक रहे और परिवार भी उसे रोज जागरूक करना रहे तो बहुत सारे हादसे रुक सकते हैं।

इसके बाद यातायात पुलिस की जिम्मेदारी शुरू होती है कि वह शहर के मेन रोड व हाईवे पर हादसे रोकने के लिए लोगों को कितना जागरूक करती है, कितनी सख्त कार्रवाई करती है। आज तो लगभग हर घर में एक ने एक दोपहिया वाहन जरूर होता है।ऐसे तमाम परिवारों को यह याद रखने की जरूरत है कि तेज रफ्तार में दोपहिया चलाने के कारण ही सबसे ज्यादा हादसे हो रहे हैं जिसमें या तो वाहन चालक मारा जाता है या सड़क पर चल रहा कोई व्यक्ति।एक जनवरी 24 से 30,सितंबर तक आंकड़े हर परिवार के लिए डरावने हैं। इन आंकड़ों के मुताबिक इस दौरान 11027 हादसे हुए हैं,9364 लोग घायल हुए हैं,4945लोगों की जान गई है।इसमें 72 प्रतिशत हादसे तो तेज रफ्तार से दोपहिया वाहन चलाने के कारण हुए हैं।इसका मतलब है कि प्रदेश में रोज 40 से अधिक सड़क हादसे हो रहे है और उसमें रोज 40 लोग घायल हो रहे हैं, रोज 19 लोगों की मौत हो रही है।

आंकड़ों के मुताबिक जब रायपुर राजधानी बना था,तब यहां की आबादी पांच लाख थी, वाहनों की संख्या 31 हजार थी,आज रायपुर की आबादी २६ लाख हो गई है और वाहनों की संख्या 18 लाख से ज्यादा हो चुकी है।जब रायपुर की आबादी पांच लाख थी,तब यहां चार हजार का बल था,अभी रायपुर में तकरीबन 3500 बल है,इसमें यातायात संभालने वाले जवानों की संख्या मात्र 425 है।माना जाता है कि प्रति लाख आबादी पर 225 पुलिस जवानों की जरूरत होती है। रायपुर में 2010 में लोगों के चलने के लिये 2800 किमी सड़क थी, अब 3500 किमी सड़क है पर पर्याप्त नहीं है। यह भी वजह है कि यातायात सुगम हो पा रहा है न ही हादसे कम हो पा रहे हैं। जनहानि किसी भी वजह से हो, उससे परिवार, समाज, राज्य व देश को नुकसान तो होता है।

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