बीजापुर। नक्सल प्रभावित गांव मुतवेंडी एक बार फिर चर्चा में आया है। यहां नक्सलियों द्वारा लगाए प्रेशर आईईडी ब्लास्ट में एक लड़के की मौत हो गई। गांव का 10 वर्षीय लड़का हिडमा कवासी 27 जुलाई को गाय चराते हुए पीडिया के मुरुम पारा तक पहुंचा था, जहां प्रेशर आईईडी ब्लास्ट होने से बुरी तरह घायल हो गया। ब्लास्ट में उसके पैर के चिथड़े उड़े है हाथ में चोंट पहुंचीं है।
धमाके की आवाज सुनकर निकले गांव वाले
धमाके की आवाज सुन ग्रामीण जब जंगल की देखने निकले। घायल देख परिजनों ने तत्काल मुतवेंडी के सीआरपीएफ कैंप में ले गये जहां जवानों ने प्राथमिक इलाज किया और भारी बारिश के बीच पैदल कांवड़गांव लेकर पहुंचे। कांवड़ गांव से एंबुलेंस के माध्यम से बीजापुर भिजवाया। बीजापुर अस्पताल में जब बालक को लाया गया उस वक्त स्थिति गंभीर थी, इलाज होते-होते बालक ने दम तोड दिया।
इससे पहले कई घटनाएं
जिले में प्रेशर आईईडी ब्लास्ट से जवानों की घायल व मौत होने की जानकारी आती रहती है। अब इस प्रेशर आईईडी का शिकार गांव के आदिवासी भी होने लगे है। प्रेशर आईईडी ब्लास्ट से पालनार की एक स्कूली बच्ची माह मई में घायल हुई थी जिसे नक्सली संगठन द्वारा इलाज किया जाता रहा। जब स्वस्थ न हो पाई तो जवानों के द्वारा बीजापुर भेजा गया।
6 माह की बच्ची की मौत
इसी जिले के मुतवेंडी गांव की एक 6 माह दुधमुंहे बच्ची की पुलिस नक्सली मुठभेड़ में क्रास फायरिंग की मौत हो जाती है। बच्ची मंगली की मां को हाथ में गोली लगती थी। यह घटना एक जनवरी 24 की है।
इसके बाद 20 अप्रैल को इसी गांव का आदिवासी ग्रामीण युवक गढिया पुनेम घरेलू कार्य के लिए सियाड़ी रस्सी बनाने जंगल गया था, जहां प्रेशर आईईडी ब्लास्ट के धमाके से बुरी तरह घायल हुआ।
जानकारी अनुसार घायल गढिया पुनेम गांव जंगल में लगभग 20 घंटे तक तड़पता रहा है, लेकिन गांव वाले अनजान थे। जब घर वापस नहीं लौटा तो जंगल में खोजने पर गढ़िया पुनेम पड़ा। उस वक्त तक शरीर से खून काफी बह चूका था। फिर भी परिजनों ने अस्पताल लाया लेकिन इलाज के दौरान मौत हो गई।
बालक का शव 5 किमी खाट में लेकर गये परिजन
मुतवेंडी गांव इसी साल जनवरी में चर्चा में आया। जब ग्रामीणों ने कैंप व सड़क का विरोध करने लगे। इसी दरम्यान क्रास फायरिंग हुई और एक बच्ची की मौत हुई। इसके बाद दो लोगों की मौत प्रेशर आईईडी ब्लास्ट से हुई। 27 जुलाई को बालक हिड़मा कवासी के मौत से गांव में मातम पसरा।
बालक का शव बीजापुर से कांवडगांव तक एंबुलेंस से भिजवाया गया।इसके बाद 5 किमी खाट पर शव को लेकर परिजन मुतवेडी पहुंचे। ग्रामीणों में दहशत बना हुआ है कि गांव के जंगल में जाना भी मुश्किल हो गया है। यहां के आदिवासियों का जंगल से लगाव के साथ वनोपज संग्रहण व कई प्रकार के कंदमुल से जीवनयापन होता है।