29 जून को कुंभ राशि में वक्री होंगे शनि देव, 139 दिन शनि चलेंगे उल्टी चाल
- रोशन पंडित
शनिदेव को न्याय व कर्म का देवता माना गया है। जो व्यक्ति जैसा कर्म करता है शनिदेव उसे वैसा ही फल देता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सभी ग्रह-नक्षत्रों में शनि सबसे धीमी गति से चलने वाले ग्रह माने जाते हैं। शनिदेव की उपस्थिति एक राशि में ढाई साल तक रहती है। इसके बाद ही वे अपना गोचर करते हैं। शनि इस वक्त अपनी राशि कुंभ राशि में विराजमान हैं। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि शनि देव 29 जून को रात्रि 12:37 बजे कुंभ राशि में वक्री होंगे यानी शनि कुंभ राशि में ही उल्टी दिशा में चलने लगेंगे और 15 नवंबर को शाम 7:51 पर मार्गी होंगे यानी सीधी चाल चलेंगे। इस तरह से शनि कुल 139 दिन वक्री अवस्था में रहेंगे।
शनि के वक्री होने पर इसका प्रभाव सभी राशियों पर देखने को मिलेगा। वैदिक ज्योतिष शास्त्र में शनिदेव को एक महत्वपूर्ण ग्रह माना गया है। शनिदेव सभी ग्रहों में सबसे मंद गति से चलने वाले ग्रह हैं। यह एक राशि में करीब ढाई वर्षों तक रहते फिर इसके बाद राशि परिवर्तन करते हैं। ज्योतिष में शनि को न्याय और कर्मफल दाता माना गया है। शनि देव मौजूद समय में अपनी मूल त्रिकोण राशि कुंभ में विराजमान हैं। शनि देव 139 दिनों तक वक्री रहेंगे। शनि देव की वक्री चाल का सभी 12 राशियों पर प्रभाव अवश्य ही पड़ेगा।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि देव 29 जून को रात्रि 12:37 बजे कुंभ राशि में वक्री होंगे यानी शनि कुंभ राशि में ही उल्टी दिशा में चलने लगेंगे और 15 नवंबर को शाम 7:51 पर मार्गी होंगे यानी सीधी चाल चलेंगे। इस तरह से शनि कुल 139 दिन वक्री अवस्था में रहेंगे।
रोशन पंडित ने बताया कि अनाज की अच्छी पैदावार के साथ बाजार में उछाल आने के आसार हैं। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश की प्रगति होगी। महत्वपूर्ण पद वालों को सुरक्षा और सेहत का खासतौर से ध्यान रखना होगा। देश-दुनिया में अनचाहे बदलाव और दुर्घटनाएं होती हैं। तनाव, अशांति और डर का माहौल भी बनता है। ज्यादातर लोगों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। कई लोग मानसिक और शारीरिक तौर से तो परेशान रहेंगे ही साथ ही सेहत संबंधी दिक्कतों का भी सामना करना पड़ सकता है। बड़े बदलाव और विवाद होने की आशंका है। अंतरराष्ट्रीय व्यापार में वृद्धि के साथ शेयर बाजार फिर से बढ़ने की भी संभावना रहेगी। मोदी सरकार में मंत्रिमंडल में कई चौंकाने वाले नाम होंगे और जून जुलाई का समय थोड़ा कठिन रहेगा स्वास्थ्य समस्याओं के कारण मोदी की यात्रा में थोड़ा बदलाव होगा। विदेशों में राजनीतिक उठापटक सत्ता परिवर्तन इत्यादि होने की संभावना। भारतीय बाजारों में अचानक तेजी आएगी और व्यापार बढ़ेगा। प्राकृतिक आपदा के साथ अग्नि कांड भूकंप गैस दुर्घटना वायुयान दुर्घटना होने की संभावना। देश और दुनिया में राजनीतिक बदलाव होंगे। सत्ता संगठन में परिवर्तन होगा। आरोप-प्रत्यारोप का दौर चलेगा। अचानक मौसमी बदलाव भी हो सकते हैं। बारिश और बर्फबारी होने की आशंका है। सेना की ताकत बढ़ेगी। देश की कानून व्यवस्था भी मजबूत होगी। मनोरंजन फिल्म खेलकूद एवं गायन क्षेत्र से बुरी खबर मिलेगी। बड़े नेताओं का दुखद समाचार मिलने की संभावना।
वक्री शनि का प्रभाव
शनि के शुभ प्रभाव से लोगों के रुके हुए काम पूरे होंगे। प्रॉपर्टी से जुड़े मामले सामने आएंगे। कुछ नौकरीपेशा लोगों के ट्रांसफर की स्थिति बन सकती है। प्रमोशन हो सकता है। कामकाज की जिम्मेदारी भी बढ़ने के योग हैं। बिजनेस करने वालों के भी काम करने की जगह पर बदलाव होगा। रहने की जगह भी बदल सकती है। वहीं, इसके अशुभ प्रभाव से कुछ लोगों को पैर में या हड्डी की चोट लग सकती है। ऑपरेशन की स्थिति भी बनेगी। साढ़ेसाती वालों को कर्जा लेना पड़ सकता है। कामकाज में बार-बार बदलाव की स्थितियां बनेंगी।
राशियों पर असर
शनि की उल्टी चाल का प्रभाव सबसे अधिक कर्क, सिंह, कन्या, मकर, वृश्चिक और कुंभ राशि के जातकों पर पड़ेगा। इन सभी राशि पर शनि की टेढ़ी नजर होगी। शनि ग्रह के गोचर से मीन राशि पर साढ़े साती आरंभ हो गई है। वहीं कुंभ राशि पर साढ़े साती का दूसरा चरण, मकर राशि पर साढ़े साती का अंतिम चरण, कर्क राशि और वृश्चिक राशि पर ढैय्या का आरंभ हो गई है। 29 अप्रैल 2022 में शनि के कुंभ में प्रवेश करते ही मीन जातकों पर शनि साढ़े साती तो वहीं कर्क और वृश्चिक वालों पर शनि ढैय्या शुरू हो चुकी है।
शुभ फल
यदि आपकी जन्म कुंडली में शनि शुभ स्थिति में हैं तो आपको शनि की वक्री चाल के समय भी शुभ फलों की प्राप्ति हो सकती है। वहीं जो व्यक्ति धर्म के काम करता है उसको भी शनि कष्ट नहीं पहुंचाते हैं। शनि के बारे में मान्यता है कि ये लोगों को उनके कर्मों के अनुसार ही फल देते हैं।
शनि की वक्री चाल
यदि किसी की जन्म कुंडली में शनि वक्री अवस्था में बैठे हुए हैं और उस कुंडली के लिए शुभ फल कारक ग्रह है तो शनि का वक्री होना शुभ लाभकारी माना जाता है। इसी तरह यदि अशुभ होकर शनि वक्री हों तो अशुभ परिणाम देखने को मिलते हैं। वक्री शनि के शुभ होने पर कार्य क्षेत्र में तरक्की मिलती है वहीं अशुभ होने पर कार्यों में रुकावट आती हैं।
उपाय
शिव उपासना और हनुमत उपासना करें। मंगलवार और शनिवार को हनुमान जी की पूजा करें। हनुमान चालीसा एवं शनि चालीसा का पाठ करें। मंगलवार और शनिवार को हनुमानजी को सरसों के तेल का दीपक जलाएं, दर्शन का लाभ लें। मंगलवार और शनिवार को सुंदरकांड का पाठ करें। शनिवार के दिन शनि मंदिर में छाया दान अवश्य करें। गरीब, वृद्ध, असहाय लोगों को भोजन कराएं। पशु पक्षियों के लिए दाने, हरे चारे, पानी की व्यवस्था करें। तेल का दान भी करना चाहिए। तेल दान करने से आपको अपने कष्टों से छुटकारा मिलता है। शनिवार को लोहे से बनी चीजों को दान करना चाहिए। इस दिन लोहे का सामान दान करने से शनि देव शांत होते हैं। लोहा दान देने से शनि की दृष्टि निर्मल होती है। रुद्राक्ष की माला लेकर एक सौ आठ बार ॐ शं शनैश्चराय नमः का जप करें, शनिदेव की कृपा बनेगी और कष्ट दूर होंगे। काले कुत्ते को शनिवार के दिन सरसों के तेल से बनी रोटी खिलाएं। सूर्यास्त के समय पीपल के पेड़ के पास सरसों के तेल का दीपक जलाने से शनि दोष से मुक्ति मिलती है।