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छत्तीसगढ़ ओडिशा सीमा पर स्थित तपकरा रेंज में 27 हाथियों ने जमाया डेरा

जशपुर। छत्तीसगढ़, ओडिसा और झारखण्ड के अंतरराजयी सीमा पर स्थित, जशपुर जिले के तपकरा वन परिक्षेत्र मे एक बार फिर 25 हाथियो ने डेरा जमा लिया है. बड़ी संख्या मे हाथियो की उपस्थिति को देखते हुए जन हानि रोकने के लिए वन अमला सक्रिय हो गया है। तपकरा की रेंजर आकांक्षा लकड़ा ने बताया कि परिक्षेत्र के ग्राम पंचायत तुमला के आश्रित ग्राम टिकलीपारा के सतपुरिया के जंगल मे 9 हाथियो का बड़ा दल डेरा जमाया हुआ है। स्थानीय रहवासियो को हाथियो की हलचल से सजग करने के लिए वन विभाग की टीम दो पालियो मे ड्यूटी कर रही है. उन्होंने बताया कि हाथी प्रभावित क्षेत्र मे उनके साथ विभाग के सहायक वन परिक्षेत्र अधिकारी गोविन्द राम यादव, बीएफओ अविनाश शर्मा और नंद कुमार यादव गस्ती कर रहे हैँ।

विभाग के अनुसार कोनपारा बिट मे 26 हाथी और और तपकरा मे 1 हाथी मौजूद हैँ. रेंजर आकांक्षा लकड़ा ने बताया कि हाथियो के ईन दोनों दलों ने कुछ फसलों को नुकसान पहुंचाया है. जिसकी क्षतिपूर्ति के लिए प्रकरण तैयार किया जा रहा है.रेंजर लकड़ा ने प्रभावित क्षेत्र के रहवासियों से अपील किया है कि वे हाथियो के जंगल मे रहने के दौरान जंगल से दुरी बनाये रखे, पुटु खुखड़ी (मशरूम) के लिए जान को जोखिम मे ना डालें. उल्लेखनीय है कि तपकरा वन परिक्षेत्र जिले का सबसे अधिक हाथी प्रभावित रेंज है.इस क्षेत्र के घने जंगल और पानी की प्रचूर मात्रा मे उपलब्धता हाथियो को खूब भाता है. यही कारण है कि साल के लगभग बारह महीने तपकरा रेंज मे हाथियो की हलचल बनी रहती है।

खरीफ की तैयारी हो रही है प्रभावित:

तपकरा रेंज के टिकलीपारा के सतपुड़िया जंगल में बीते दो तीन महिने से 26 हाथियों के बड़े दल ने डेरा जमाया हुआ है। सूरज ढलते ही जंगल से निकल कर हाथी जंगल के किनारे स्थित गांव के पास पहुंच जाते हैं। अपनी भूख मिटाने के लिए ग्रामीणों के बाड़ियों को निशाना बना कर,सब्जियों का खाते हैं। मानसून की आहट के साथ इन दिनों किसान खरीफ फसल की तैयारी में जुटे हुए हैं। लेकिन, सतपुड़िया जंगल से लगे हुए दर्जनों गांव के किसान,खेतों की जुताई और फसल बुआई को लेकर दुविधा में नजर आ रहें है। किसानों का कहना है कि फसल तैयार होने से पहले ही धान की सुगंध से जंगल में मौजूद हाथी खेत की ओर आकर्षित होगें और उनकी सारी मेहनत पर पानी फिर जाएगा। इसके साथ ही खेतों में काम करने के दौरान हाथी के हमले की आशंका भी बनी हुई है।

छह साल में 88 लोगों की मौत

बीते 6 साल में जिले में हाथियों के पैरों तले कुचल कर 88 लोगों की जानें जा चुकी है। विधानसभा के बजट सत्र में जोरशोर से उठा था। पत्थलगांव की विधायक गोमती साय और जशपुर की विधायक रायमुनि भगत द्वारा उठाए गए सवाल के जवाब पर वनमंत्री ने सदन को यह जानकारी उपलब्ध कराई थी। उल्लेखनिय है कि ओडिशा और झारखंड की अंर्तराज्यी सीमा पर स्थित जशपुर जिले के 8 में से 6 ब्लाक हाथी प्रभावित क्षेत्र के दायरे में आ चुके हैं। इससे साल दर साल जन और संपत्ति हानि का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है।

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