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मांग बढ़ती है तो हर कोई फायदा उठाता है

राजनीति और महंगाई के बीच एक गहरा रिश्ता तो है। महंगाई बढ़ती है तो विपक्ष को राज्य ही नहीं देश भर में राजनीति करने का मौका मिलता है।हर शहर, हर जिले में प्रदर्शन किया जाता है।बढ़ती महंगाई के लिए सरकार को दोषी बताने का प्रयास किया जाता है। नेता जनता को होने वाली तकलीफ की बात करने लगते हैं। जनता को हो रही तकलीफ के लिए सरकार की आलोचना करते हैं, सरकार को जनविरोधी बताते हैं।

कहा जाता है कि दाम बढ़ रहे है तो इसका मतलब है कि सत्तारूढ़ दल को सरकार चलाना नहीं आता है।जब वस्तुओं के दाम कम हो जाते हैं तो विपक्ष के हाथ से एक अहम मुद्दा निकल जाता है,उसे राजनीति का कोई मौका नहीं मिलता है।

विपक्ष तो ताक में रहता है कि कौन सी वस्तु के दाम बढ़ रहे हैं या बढ़ाए गए हैं।जैसे ही किसी वस्तु का दाम राज्य या केंद्र में बढ़ जाता है तो विपक्ष को राजनीति का मौका मिल जाता है कि महंगाई बढ़ गई है और सरकार कुछ कर नहीं रही है।ऐसा ही मौका विपक्ष को तब मिला जब राज्य की सीमेंट कंपनियों ने एक साथ सीमेंट का दाम पचास रुपए प्रति बोरी बढ़ा दिए।

विपक्ष का तर्क है कि कंपनियों ने सीमेंट के दाम बढ़ा दिए हैं, इससे आम लोगों को घर बनाने में ज्यादा पैसा खर्च करना पड़ेगा,राज्य में सरकारी निर्माण कार्य जैसे पुल-पुलिया, मकान, सरकारी भवन आदि की लागत बढ़़ जाएगी।कांग्रेस का कहना है कि सरकार ने सीमेंट दाम बढ़ाकर प्रदेश की जनता को लूट रही है।

कांग्रेस कहना है कि सरकार यह बताए क्या हमारे पास सीमेंट बनाने के लिए रॉ मटेरियल बाहर से मंगाना पड़ता है,बिजली हम यहीं पैदा करते हैं, रॉ मटेरियल यहीं मिल जाता है,उसके बाद पचास रुपए सीमेंट का रेट क्यों बढ़ाया गया है। इसका जवाब सरकार को देना चाहिए।

कांग्रेस से पहले भाजपा सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने इस ओर पत्र लिखकर सरकार का ध्यान आकर्षित किया था और सीमेंट के बढ़े दाम को वापस लेने की मांग की थी। इसके बाद कांग्रेस ने इस बड़ा मुद्दा बनाने का प्रयास कर रही है तथा ११ सिंतबर को प्रेस वार्ता कर सरकार की नाकामी को जनता तक पहुंचाएगी तथा १२ सितंबर को जिला मुख्यालयों में सीमेंट के दाम बढ़ने के विरोध धरना प्रदर्शन करेगी।

कांग्रेस का तर्क है कि सीमेंट कंपनियों को ऱॉ मटेरियल यहीं मिल जाता है, बिजली यही पैदा हुई मिल जाती है तो उनको दाम बढ़ाने का अधिकार नहीं है। उनको दाम नहीं बढ़ाना चाहिए। चाहे सरकार भाजपा की हो या कांग्रेस की हो। ऐसे में कांग्रेस को जवाब देना पड़ेगा कि उसके हिसाब तो कंपनियों को दाम बढ़ाना ही नहीं चाहिेए तो भूपेश बघेल सरकार के समय सीमेंट के दाम कैसे बढ़ गए थे। सरकार ने कंपनियों को क्यों नहींं रोका था। हकीकत यह है कि कोई सरकार सीमेंट कंपनियों को दाम बढ़ाने से रोक ही नहीं सकती। भूपेश सरकार नहीं रोक सकी थी तो साय सरकार कैसे रोक सकती है।

सीमेंट के दाम तो कई कारणों से बढ़ सकते हैं। कई कारणों से बढ़़ते हैं।मजदूरी बढ़ जाए,डीजल पेट्रोल के दाम बढ़ जाए,बिजली महंगी हो जाए, परिवहन लागत बढ़ जाए,सीमेंट की मांग देश या कई राज्यों में बढ़ जाए तो कंपनी को सीमेंट के दाम बढ़ाने पड़ते है। अर्थशास्त्र का सीधा सा नियम है कि जिस वस्तु की मांग ज्यादा बढ़ जाती है, उसकी कीमत बाजार में वैसे ही बढ़ जाती है। मांग कम हो जाती है तो कीमत उसी हिसाब से कम हो जाती है। यह सीमेंट ही नहीं हर वस्तु पर लागू होता है।टमाटर,प्याज,आलू तक के रेट मांग बढ़ने पर बढ़ जाते हैं।

मांग बढ़ती है तो यह कंपनियों, व्यापारियों के लिए कमाने का मौका होता है। हर कंपनी ऐसे मौके का फायदा उठाती है। वह अपने वस्तु या वस्तुओं के दाम बढ़ा देती है। इससे उस कंपनी को तो फायदा होता ही है, उस राज्य को भी फायदा होता है क्योंकि दूसरे राज्यों से पैसा राज्य में आता है, वह पैसा राज्य के कंपनी में काम करने वाले लोगों को ही तो मिलता है। कंपनी फायदे में रहेगी तब ही तो चलेगी, लोगों को राेजगार मिलेगा, सरकार को टैक्स मिलेगा।

राजनीति करने वाली कांग्रेस यह सब नहीं बताएगी, वह सिर्फ यही बताएगी कि सीमेंट कंपनियों ने सीमेंट के दाम बढ़ाकर राज्य के लोगों को लूट रही है, साय सरकार उसे लूटने दे रही है। कांग्रेस के नेताओं को भी मालूम है कि वर्षा के मौसम में निर्माण कार्य नहीं होते हैं, लोग मकान ऐसे समय में नहीं बनाते है, इसलिए सीमेंट कंपनी के जनता को लूटने का आरोप तो हवाहवाई है। कांग्रेस नेता यह नहीं बता रहे हैं कि सीमेंट कंपनियों ने सीमेंट के रेट ऐसे मौसम में क्यों बढ़ाए हैं।

जानकारों का कहना है कि सीमेंट की मांग पं.बंगाल,यूपी,बिहार, मप्र और ओडिशा में बढ़ गई है इसलिए सीमेंट कंपनियों ने सीमेंट के दाम पचास रुपए बढ़ा दिए हैं। बताया जाता है कि सबसे ज्यादा मांग तो पं.बंगाल में है।मांग बढ़ने का मतलब है कि जिसे चाहिए वह ज्यादा कीमत दे सकता है। कई राज्य ज्यादा कीमत पर सीमेंट खरीदने को तैयार हैं तो सीमेंट कंपनियां इस मौके का फायदा क्यों नहीं उठाना चाहेंगी और साय सरकार उनको सीमेंट का दाम नहीं बढ़ाने के लिए क्यों कहेगी। जानकारों के मुताबिक राज्य में सीमेंट का उत्पादन ३० लाख टन का है, ऐसा तो है नहीं कि यह तीस लाख टन राज्य के लिए ही पैदा किया जाता है, राज्य मेें इसमें से मात्र ८ लाख टन की ही जरूरत है तो २२ टन दूसरे राज्यों को जाता है,यानी सीमेंट की ज्यादा खपत व मांग दूसरे राज्यों में हैं इसलिए सीमेटं कंपनियां जब सीमेंट के दाम बढ़ाती है तो दूसरे राज्यों मे मांग बढ़ने के कारण बढ़ाती है न कि छत्तीसगढ़ के लोगों को लूटने के लिए बढ़ाती हैं।

सीमेंट कंपनियों को आफ सीजन में कमाने का मौका मिल रहा है तो वह कमाएंगी ही, पैसा कमाने का मौका जिसको मिलता है,वह कमाता ही है। कंपनियां पैसा कमाएंगी तो ही वह कंपनी चलेगी,यहां की सरकार को पैसा मिलेगा, कंपनी में काम करनेवाले लोगों को रोजगार मिलेगा,पैसा मिलेगा। राजनीतिक दलों को चंदा भी कंपनी कमाने पर ही देगी। यहां की सीमेंट कंपनियां कांग्रेस सरकार के समय भी यही करती थी और साय सरकार के समय भी वही कर रही हैं। कांग्रेस विपक्ष में है तो वह राजनीति करेगी ही,ऐसी राजनीति का जनता पर खास असर नहीं होता है क्योंकि जनता को सबका शासन याद रहता है कि किसने अपने समय में क्या किया था और क्या नहीं किया था।

 

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