इजराइल की मदद से कदम खींचने लगा अमेरिका ,बाइडेन के लिए खतरे की घंटी
अमेरिका :- गाजा में गहराते मानवीय संकट को लेकर चिंताएं बढ़ती जा रही हैं. इजराइल का दोस्त अमेरिका भी बार-बार नागरिकों की सुरक्षा का ध्यान रखने का आग्रह कर रहा है. एक इजराइली अधिकारी के मुताबिक बाइडेन प्रशासन ने इजराइल को दी जाने वाली सैन्य मदद को कम करना शुरू कर दिया है. बता दें सीजफायर करवाने में नाकाम हो रहे बाइडन प्रशासन की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े होने भी शुरू हो गए हैं. इजराइल को दी जाने वाली सैन्य मदद में कमी करने के पीछे मानव अधिकार संगठनों का दबाव माना जा रहा है. सैन्य मदद में गिरावट करने की खबरों के बाद अमेरिका स्थित जायनिस्ट संगठनों ने भी बाइडेन को घेरना शुरू कर दिया है. चुनावी माहौल में बाइडेन के खिलाफ ये मुद्दा भी बनने लगा है.
अमेरिका में चुनावी माहौल है और यहां के चुनाव में इजराइल का पूरा असर रहता है. डोनाल्ड ट्रंप भी इस बहाने अपने प्रतिद्वंदी बाइडेन पर हमला करने का मौका नहीं छोड़ रहे हैं. हाल ही में इजराइल पर बदले बाइडेन के रुख पर बोलते हुए ट्रंप ने कहा, “बाइडन ने बीच में ही इजराइल को छोड़ दिया है, वो यहीं करते हैं उन्होंने इजराइल को छोड़ दिया.” हालांकि ट्रंप ने नेतन्याहू से अपील की कि वे जल्द से जल्द जंग रोके और शांति बनाएं.
इजराइल को दी जाने वाली मदद में आई कमी
इजराइल के अधिकारी ने दावा किया कि अमेरिका की ओर से आने वाली सैन्य मदद में कमी आई है. इस दावे का अमेरिकी अधिकारियों ने खंडन किया है, जिससे माना जा रहा है कि दोनों सहयोगियों के बीच संबंध तेजी से तनावपूर्ण हो रहे हैं. इससे पहले सीनेट के यहूदी नेता चक शूमर ने कहा था कि इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू अपने रास्ते से भटक चुके हैं और उनको दोबारा चुनाव कराना चाहिए.
बाइडेन की बढ़ती मुश्किलें
गाजा युद्ध के बीच बाइडेन की मुश्किलें बढ़ गई हैं. देश में चुनाव करीब है और बाइडेन प्रशासन पर दोनों ओर से दबाव बन रहा है. जहां दुनियाभर के मानव अधिकार संगठन और अमेरिका की कई सिविल सोसाइटीज इजराइल को सैन्य सहायते देने के विरोध में हैं. और सीजफायर के लिए इजराइल पर दबाव न बना पाने पर उनकी विश्वसनीयता पर सवाल उठा रहे हैं. लेकिन अमेरिका में जायनिस्ट लॉबी भी बहुत मजबूत है और यहां की जनता और सरकार में अपना अच्छा प्रभाव रखती है. चुनाव से पहले इजराइल के खिलाफ अमेरिका के बदले रुख से ये लॉबी भी नाराज है. अब बाइडेन को तय करना होगा कैसे वे चुनाव से पहले दोनों पक्षों को अपने साथ लाएंगे