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भ्रष्टाचार हमेशा छिपा नहीं रहता है…

कहा जाता है कि इश्क,मुश्क,खांसी,खुशी को हमेशा छिपाया नहीं जा सकता। उसका पता किसी न किसी को चल ही जाता है और एक को पता चला मतलब संसार को पता चलते देर नहींं लगती है। सत्ता संगठन में होने वाला भ्रष्टाचार भी इश्क, मुश्क, खांसी व खुशी की तरह ही होता है। उसे कुछ देर छिपाया जा सकता। हमेशा नहीं छिपाया जा सकता। आदमी किसी से इश्क करे और उसका पता किसी को न चले ऐसा तो आज तक दुनिया में हुआ नहीं है। आदमी के चेहरे व हाव भाव से ही पता चल जाता हे। उसकी चाल ही अलग होती है,उसकी बात ही अलग होती है।इसी मुश्क है, यानी खुश्बू। खुश्बू है तो उसका पता तो सबको चल जाता है। वह दिखाई नहीं देता लेकिन है तो सबको एहसास होगा ही कि यहां कोई खुश्बू है।

किसी को खांसी है वह कुछ देर खांसी को रोक सकता है लेकिन खांसी है तो आदमी कुछ देर बाद खांसेगा ही। उसके खांंसने से ही सबकों पता चल जाता है कि इसको खांसी है। खुशी को भी आदमी कितना ही छिपाने की कोशिश करे, वह हमेशा नहीं छिपा सकता। खुशी आदमी के चेहरे, उसकी हंसी से, उसके चाल ढाल से, उसकी बातों से झलक जाती है। इसी तरह किसी ने भ्रष्टाचार किया है तो देरसबेर उसका पता चल जाता है। भ्रष्टाचार क्या है, पद का दुरुपयोग कर अफरात पैसा कमाना। यह आदमी अकेले नहीं कर सकता। इसीलिए इसे छिपाने का आदमी कितना भी प्रयास करे, उसे छिपा नहीं पाता है. जैसे ही आदमी पद से हटता है या हटा दिया जाता है तो उसके साथ भ्रष्टाचार करने वाले, उसके भ्रष्टाचार को देखने वाले, उसके भ्रष्ठाचार को जानने वाले उसका खुलासा कर देते हैं। कोई पार्टी सत्ता में रहती है तो उसके सत्ता म संगठन में रहने वाले बहुत से लोग भ्रष्टाचार करते हैं।

पद पर है तो पद का दुरुपयोग करते हैं। जब तक सत्ता रहती है, किसी को कुछ पता नहीं चलता है कि सत्ता व संगठन में क्या क्या भ्रष्टाचार हुआ लेकिन सत्ता जाते ही भ्रष्टाचार की हांडी का ढक्कन खुल जाता है और एक एक कर भ्रषटाचार के मामले सामने आने लगते हैं। विरोधी पार्टी वाले तो भ्रष्टाचार का खुलासा करते ही हैं प्रार्टी के गुटों में बंटे नेता भी इसका खुलासा करते है। छत्तीसगढ़ मे तो भूपेश बघेल सरकार के सत्ता में रहते ही भ्रष्टाचार के मामले सामने आने लगे थे और जांच भी शुरू हो गई थी, कई लोगों को गिरफ्तार भी किया गया। जहां सत्ता होती है, वहीं तो पैसों की गंगा हमेशा बहती रहती है। जिसको मौका मिलता है,बहती गंगा में हाथ धो लेता है। कुछ पैसा अपने लिए,अपने परिवार के लिए,अपनी कंपनी के लिए,अपनी पार्टी के लिए जुटा लेता है। कोई पार्टी के चुनाव लड़े के लिए पैसा जुटा लेता है।

कोई पार्टी के महाधिवेशन के लिए पैसा जुटा लेता है। किसी को राजीव मितान क्लब के नाम पर पैसा दे दिया जाता है, किसी को खेलों के नाम पर पैसा मिल जाता है। कोई अपने बेेटे की कंपनी के लिए पैसा जुटा लेता है। कोई कोयला परिवहन में पैसा बान लेता है, कोई शराब बिक्री के नाम पर पैसा जुटा लेता है। कोई मिल मालिकों को पैसा दिलाकर पैसा ले लेता है। सत्ता है तो पैसा बनाने के हजारों तरीके होते है, कई लोगों के पास तो नए नए आइडिया होते हैं। जैसे केजरीवाल के शासन में दिल्ली में हुआ। जैसे छत्तीसगढ़ में कुछ लोगों ने महादेव सट्टा एप चलाने की अलिखित अनुमति देकर पैसा बना लिया। सब भ्रष्टाचार करते रहे और इस मुगालते मे रहे कि हम जो कर रहे है, वह किसी को पता नहीं है। यह कभी बाहर नहीं आएगा।

राज्य में जितना भ्रष्टाचार हुआ है, सब बाहर आ रहा है,जो बचा हुआ है, वह भी बाहर आएगा। कांग्रेस के लोग ही बाहर ला रहे हैं कि बता रहे है कि कैसे पार्टी के लोग ही पार्टी के भीतर कैसे बहती गंगा में हाथ धो रहे थे। कुछ लोगों ने तो प्रदेश प्रभारी कुमारी शैलजा पर पैसा लेने का आरोप लगा दिया था। इस समय कांग्रेस के पूर्व पदाधिकारी अरुण सिसोदिया का लेटर सोशल मीडया में चर्चा का विषय है। उनका आरोप है कि कोषाैध्यक्ष रामगोपाल ने करोड़ो की गड़बड़ी की है। राज्य के राजनीतिक हलके में सिसाेदिया का लेटर किसी बम से कम नहीं है, कांग्रेस मे ऊपर से नीचे तक हड़कंप मचा हुआ है। सिसोदिया कह रहे हैं कि उनका लेटर किसने मीडिया को लीक किया उनको पता नहीं है, वही कांग्रेस अध्यक्ष बैज कह रहे हैं कि उनको लेटर नहीं मिला है।छत्तीसगढ़ कांग्रेस वैसे ही भ्रष्टाचार के आरोंपों से परेशान है। एक ने लेटर ने परेशानी और बढ़ा दी है। चुनाव की घोषणा होते ही पूर्व सीएम भूपेश बघेल के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज हो गई है। कांग्रेस की परेशानी को कोई अंत ही नही है। कोई इस कर्म फल कहता है तो कोई इसे महादेव का प्रकोप।

 

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