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बड़ी सफलता है तो बड़ी प्रतिक्रिया तो होगी ही

ब भी किसी सरकार को बड़ी सफलता मिलती है तो वह सरकार के साथ ही एक राजनीतिक दल की भी सफलता होती है।यह सफलता जितनी बड़ी होती है,उस पर होने वाली प्रतिक्रिया भी उतनी ही बड़ी होती है। यानी बड़ी सफलता मतलब बड़ी तारीफ तो होगी ही, बड़ी आलोचना भी होगी। कुछ लोग तारीफ करेंगे तो कुछ लोग सवाल तो उठाकर सफलता को ही संदिग्ध बनाने का प्रयास करेंगे।

बस्तर में एक साथ २९ नक्सलियों का मारा जाना साय सरकार की बड़ी सफलता है, भाजपा की बड़ी सफलता है। इसलिए स्वाभाविक है कि इस पर कई तरह से प्रतिक्रिया तो होगी ही। कांग्रेस विपङ में है समय चुनाव का है और सफलता भाजपा को मिली है तो कांंग्रेस को चिंता तो होगी ही कि कहीं साय सरकार की इसी सफलता के कारण १९ को होने वाले चुनाव में भाजपा को फायदा तो नहीं हो जाएगा,इसी वजह से भूपेश बघेल सहित कांग्रस नेताओं ने इस पर सवाल उठाया और कहा कि कहीं यह फर्जी मुठभेड़ तो नहीं है। इस मामले की जांच होनी चाहिए।

भूपेश बघेल सरकार के समय इतनी बड़ी सफलता कभी नहीं मिली थी इससे भी कांग्रेस नेताओं का खीझना स्वाभाविक है कि बड़ी सफलता भाजपा के समय ही क्यों मिलती है। इसकी वजह यह है कि भाजपा कुछ कहती है तो उसके लिए काम भी करती है। अमित शाह ने नक्सलियों के सफाए की बात की तो खाली बात नहीं की, यह बता कर भी गए कि क्या करना है।

कांग्रेस के समय तो नक्सलवाद के सीमित क्षेत्र में होेने का दावा किया जाता था, गांवों को नक्सल आतंक से मुक्त कराने की बात की जाती थी लेकिन कभी कहा नहीं जाता था नक्सलियों का सफाया किया जाएगा। जब भूपेश सरकार नक्सलियों का सफाया ही नहीं चाहती थी तो उसे इतनी बड़ी सफलता मिल कैसे सकती थी। जो सफलता चाहता है, उसके लिए कोशिश करता है उसे बड़ी सफलता मिलती है। विरधी बडी़ सफलताै से जल सकते हैं, कुढ़ सकते हैं, सवाल उछा सकते हैं,।

बाद में सफाई भी देते हैं क्यों कि चुनाव में उनके बयान का पार्टी को नुकसान न हो जाए। यही वजह है कि भूपेश बघेल ने पहले २९ नक्सलियों के मारे जाने पर सवाल उठाते हुए कि भाजपा के समय बहुत फर्जी मुठभेड़ होते हैं, उनके कहने का मतलब यह था कि कहीं यह भी तो फर्जी मुठभेड़ नहीं है, बाद में जब साफ हो गया तो उन्होंने जवानों को बधाई दी।

भाजपा ने यह बयान देकर कांग्रेस व भूपेश बघेल को बैक फुट पर ला दिया कि २९ नक्सलियों के मारे जाने को फर्जी मुठभेड़ा बताना जवानो के शौर्य का अपमान है। सीएम साय ने भी चुनौती दी जो फर्जी बता रहे है वह फर्जी होने का कोई सबूत तो दें। सीएम साय ने यह कहकर कि नक्सलियों के खात्मे के लिए पहले कांग्रेस का खात्मा जरूरी है और इसकी शुरुआत बस्तर की जनता१९ अप्रैल से करने जा रही है। सीएम ने यह बयाने देकर बस्तर के लोगों को संदेश दे दिया है कि नक्सलियों के सफाए के लिए कांग्रेेस का भी सफाया जरूरी है,यानी कांग्रेस को सत्ता में नहीं आने देना जरूरी है।

उन्होंने यह संदेश भी दे दिया कि कांग्रेस सत्ता मे आती है तो वह नक्सलियों को संरक्षण देती है। उनको पालती पोसती है। चुनाव वक्त उनकी मदद से सत्ता में वापसी करती है।यही वजह है माना जाता है कि कांग्रेस ने कभी नक्सलियों के सफाए की बात नहीं की और कभी सफाए की योजना तक नही बनाई। यही वजह है कि भाजपा के समय २९ नक्सली मारे गए हैं तो उसे बुरा लग रहा है।वह सवाल उठा रही है।अक्सर ऐसा ही होता रहा है जब भी बस्तर में नक्सली मारे जाते थे तो कांंग्रेस समर्थित मानवाधिकार संगठन व उनके कार्यकर्ता सक्रिय हो जाते थे और मारे गए लोगों मेंं कुछ को ग्रामीण बताने का प्रयास करते थे और प्रचारित करते थे कि पुलिस व प्रशासन नक्सली आपरेशन के नाम पर गलत कर रहा है।

यही वजह है कि छत्तीसगढ़ राज्य के बीस साल तक नकसलियों के सफाए के लिए एक बड़ा आपरेशन तक नही चलाने दिया गया। यही वजह है कि पहले कभी बड़ी संख्या में नक्लियों के सफाए की बात तक सोची नहीं गई कि कहीं हमको को गलत न बता दिया जाए। अब जवानों को खुली छूट मिली है तो बड़ी सफलता तो आगे भी मिलेगी। कांग्रेस तो इसी तरह सवाल उठाती रहेगी और जनता की नजर में अपनी साख गंवाती रहेगी।

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