चुनाव में जब तक रिजल्ट सामने नहीं आ जाता सभी अपनी जीत का दावा करते रहते है। छत्तीसगढ़ में सीएम साय का दावा चुनाव शुरू होने आखिरी तक पूरी ११ सीटे जीतने का रहा है तो यह उनका अपना विश्वास है कि उन्होंने कुछ ही महीनों में राज्य में काम ही ऐसा किया है। काम किया है,इसलिए भरोसा भी है जीत का और किसी को इस पर शक भी नहीं है।
वही छत्तीसगढ़ की सभी सीटों पर चुनाव हो जाने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज दावा कर रहे हैं कि वह भाजपा से ज्यादा सीटे जीतेंगे। कांग्रेस सभी सीेटें जीतने का दावा इसलिए नहीं कर सकती कि उसने पिछले तीन चुनाव में ऐसा कभी कर नहीं पाई है।वह कम से कम एक सीट और ज्यादा से ज्यादा दो सीटे जीत सकी है।१९ में तो वह छत्तीसगढ़ में सत्ता में थी इसके बाद भी वह भाजपा से ज्यादा सीटें नहीं जीत पाई थी तो इस बार तो वह विधानसभा चुनाव हारी है और कांग्रेस अध्यक्ष कह रहे हैं कि वह भाजपा से ज्याद सीटें जीतेंगे तो इसका मतलब यही निकाला जा सकता है कि छत्तीसगढ़ की ११ सीटों में से छह सीटें कांग्रेस जीत रही है और पांच सीटे भाजपा जीत रही है।
अभी कांग्रेस अध्यक्ष दावा कर सकते हैं क्योंकि अभी चुनाव परिणाम आने में समय हैं। अच्छी बात यह है कि उन्होंने भूपेश बघेल की तरह यह दावा नहीं किया का विधासभा में हम ७० सीटें जीतेंगे और बुरी तरह हार गए थे। भूपेश बघेल को सीेएम होने के बाद भी जमीनी हकीकत का पता नहीं था तो उम्मीद की जा सकती है कि कांग्रेस अध्यक्ष को जमीनी हकीकत का कुछ तो पता है कि कांग्रेस छत्तीसगढ़ की सभी सीटें नहीं जीत सकती।
सीएम साय की यह बड़ी सफलता है कि उन्होंने चुनाव जीतने के लिए पूरे छत्तीसगढ़ का दौरा किया। नेताओं व कार्यकर्ताओं को उत्साह बढ़ाया कि चुनाव तो हम ही जीत रहे हैं, इसी का परिणाम है कि राज्य में अन्य भाजपा शासित राज्य जैसे मप्र व राजस्थान से छत्तीसगढ़ मे ज्यादा वोटिंग हुई है। पीएम मोदी चाहते थे कि पार्टी तीसरे चरण में ज्यादा वोटिंग के लिए मेहनत करे ताकि ज्यादा वोटिंग हो तो सीएम साय की मेहनत का परिणाम है कि छत्तीसगढ़् में पिछली बार से ज्यादा वोटिंग हुई है। भाजपा की जीत की संभावना भी ज्यादा है।
जहां तक राजधाीन रायपुर की प्रतिष्ठापूर्ण सीट का सवाल है तो इसका परिणाम तो कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में विकास उपाध्याय को बनाए जाने के बाद ही साफ हो गया था। सब जानते हैं कि रायपुर लोकसभा सीट का रिजल्ट क्या होना है। कद्दावर नेता बृजमोहन अग्रवाल के मुकाबले में कांग्रेस को किसी बड़े नेता को उतारना था।
भूपेश बघेल व टीएस सिंहदेव जैसा कोई बड़ा नेता बृजमोहन अग्रवाल के खिलाफ खड़ा किया गया होता तो रायपुर में मुकाबला कांटे का हो सकता था। बृजमोहन अग्रवाल के खिलाफ कोई बड़ा नेता चुनाव लड़ने को तैयार नहीं हुआ। भूपेश बघेल ने राजनांदकाव से लड़ना पसंद किया तो विकास उपाध्याय का नाम सामने आया। विकास उपाध्याय विधानसभा चुनाव हार चुके है, उनके पार खोने को कुछ नहीं है। वह यह जानते हुए भी चुनाव लड़ रहे है कि उनको ताे हारना ही है। बृजमोहन अग्रवाल के खिलाप वह हार भी जाते हैं तो आलाकमान की नजर में वह रहेंगे तो कि यह आदमी लड़ने से डरता नहीं है, राहुल गांधी को लड़ने से नहीं डरने वाले लोग पसंद है।
राहुल गांधी सभी से यही कहते हैं कि डरो मत, विकास उपाध्याय चुनव लड़ने से डरे नहीं। यह उनकी भविष्य की राजनीति का एक मजबूत आधार बनेगी।अगर बृजमोहन अग्रवाल की जीत की मार्जिन को भी कम कर देते हैं तो यह उनकी बड़ी उपलब्धि होगी।वह भविष्य में फिर लोकसभा चुनाव में रायपुर से टिकट इस आधार पर मांग तो सकेंगे । चुनाव हारने के बाद भी दूसरे लोगों की तुलना में उनका रायपुर सीट पर दावा मजबूत तो रहेगा ही।