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तो बड़ी उपलब्धि हो जाएगी साय सरकार की…

किसी भी राज्य में कोई सरकार बडी़ उपलब्धि हासिल करती है तो उसका उसको चौतरफा फायदा होता है। पार्टी में सीएम का राजनीतिक कद ऊंचा हो जाता है।जनता के बीच सीएम व पार्टी की साख बढ़ जाती है, सीएम की लोकप्रियता राज्य के साथ ही देश में बढ़ जाती है। सीएम की गिनती देश व पार्टी के बड़े नेताओं में होती है। विपक्षी दल को इसका राजनीतिक नुकसान होता है उसके लिए राज्य की पार्टी व सीेएम को हराना मुश्किल हो जाता है। इसलिए राज्य का सीएम के नाम बड़ी उपलब्धि न जुड़े इसके लिए विपक्ष उनका विरोध भी करता है।

जैसे सीएम योगी आदित्यनाथ ने यूपी की कानून व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए माफिया के खिलाफ अभियान चलाया और उऩका सफाया कर दिया तो उनको इसका राजनीतिक लाभ मिला, वह दूसरी बार चुनाव जीते,वह देश व पार्टी के आज बड़े नेता हैं, लोकप्रिय नेता हैं। देश में कानून व्यवस्था के मामले में सबसे बदतर स्थिति थी कभी यूपी। माना जाता था कि वहां की कानून व्यवस्था को कोई सुधार नहीं सकता। योगी ने सुधारने का बीड़ा उठाया और पांच साल में माफिया को मिट्टी में मिला दिया तो यह उनकी बड़ी उपलब्धि थी, इस उपलब्धि का हासिल करना कोई आसान काम नहीं थी, कदम कदम पर माफिया के सफाए में रोड़े अटकाए गए. योगी का चौतफा आलोचना भी हुई।आज योगी की माफिया के सफाए के लिए सभी सराहना करते हैं।

छत्तीसगढ़ में इसी तरह की बड़ी उपलब्धि सीएम विष्णुदेव साय के नाम पर हो सकती है।यह उपलब्धि है छत्तीसगढ़ से नकसलियों का सफाया। नक्सलियों का सफाया भी माफिया के सफाए की तरह बहुत ही मुश्किल है। क्योंकि इनको सफाया चाहने वालों से इनको पालने व पोसने वाले हमेशा ज्यादा रहे हैं। जैसे यूपी में माफिया के सफाए का विरोध वहां के राजनीतिक दल सपा आदि ने किया।उसी तरह छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के सफाए की शुरूआत के साथ ही अब इसका विरोध भी उसी तरह शुरू हो गया है जिस तरह पहले किया जाता था।

नक्सलवादियों के सफाए के लिए पुलिस व जवान जब भी कोई आपरेशन चलाएं, नक्सलियों को घेरकर मारे, इसका विरोध यही कहकर किया गया है कि पुलिस व जवान आदिवासियों पर अत्याचार कर रहे हैं। निर्दोष आदिवासियों को नक्सलियों के नाम पर गिरफ्तार किया जा रहा है। हाल ही में 14 नक्सलियों का जंगल में पकड़ा गया तो इसका विरोध शुरू कर दिया गया है, यह कहा जा रहा है कि जिन्हें पकड़ा गया है, वह ग्रामीण है, नक्सली नहीं हैं।जब भी नक्सलियों को बड़ा नुकसान होता है तो वह यह भ्रम फैलाने की कोशिश करते हैं कि पुलिस व जवान नक्सलियों को नहीं ग्रामीणों को परेशान कर रहे हैं।यह पुलिस व जवानों पर नक्सलियों के खिलाफ कार्रवाई न करने के लिए दवाब जैसा होता है। इस बार भी नक्सली यही कर रहे हैं।

हकीकत यह है कि छत्तीसगढ़ से लगे कई राज्यो से नक्सलियों का सफाया हो चुका है। नक्सली अब छत्तीसगढ़ में बचे हुए हैं। हाल ही में एक इंटरव्यू में गृहमंत्री अमित शाह ने एक सवाल के जवाब में बताया था कि छत्तीसगढ़ में नक्सली इसलिए बच गए कि यहां पांच साल कांग्रेस की सरकार रही। इसमें कुछ सचाई तो है क्योंकि माना जाता है कि कांग्रेस की कोशिश रहती है कि नक्सली बचें रहे और सत्ता में वापसी में उसकी मदद करें।

कांग्रेस की सरकार जाने के बाद छत्तीसगढ़ में नक्सलियों जिस तरह आपरेशन चलाकर सफाया किया जा रहा है,गिरप्तार किया जा रहा है तथा जिस तरह नक्सली बड़ी संख्या में आए दिन सरेडर कर रहे है, उससे तो ऐसा लगताहै कि साय के पांच साल के शासन काल नक्सलियों का सफाया हो जाएगा। ऐसा होता है तो यह साय सरकार की बड़ी उपलब्धि होगी, इस उपलब्धि की तुलना यूपी के माफिया के सफाए से की जाएगी। जिस तरह माफिया के सफाए के लिए योगी का नाम लिया जाता है। उसी तरह छत्तीसगढ़ से नक्सलियों का सफाया होता है तो इसका श्रेय सीएम साय को मिलेगा।

 

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