नौतपी के नौ दिनों नें बेहद गर्मी पड़ती है। नौतपा, जिसे ‘नौ तप’ या ‘नौ दिन भीषण गर्मी’ भी कहा जाता है, हिंदू कैलेंडर में एक विशेष अवधि है जो तीव्र गर्मी से जुड़ी है। यह ज्यादातर ज्येष्ठ मास यानी कि मई-जून में होती है और माना जाता है कि भारत में गर्मी का चरम भी होता है। ज्योतिष शास्त्र में नौतपा को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। इन नौ दिनों में धार्मिक अनुष्ठान और दान करने से शुभ फल प्राप्त होता है। इस दौरान कई लोग व्रत भी रखते हैं। नौतपा के नौ दिनों में सूर्यदेव की विधिवत पूजा-पाठ करने का विधान है। ज्योतिष के अनुसार, जो लोग नौतपा के दिनों में सूर्य देव की पूजा-पाठ करने से सभी रोग दोष से छुटकारा मिल जाता है और मान-सम्मान में भी वृद्धि होती है। चलिए आपको बताते हैं ,नौतपा के दौरान सूर्यदेव की किस धातु से जल देना चाहिए।
तांबे के लोटे से सूर्यदेव को दें जल
सूर्यदेव को तांबे के लोटे से जल अर्पित करने काफी शुभ माना जाता है। ज्योतिष के मुताबिक, सूर्यदेव तांबे तो अपनी प्रिय धातु मानते हैं और तांबे के लोटे से अर्घ्य देने से बेहद प्रसन्न होते हैं। सूर्यदेव को जल अर्पित करने का सबसे उत्तम समय सूर्योदय का समय होता है। तांबे के लोटे में जल भरें, लोटे में थोड़ा-सा अक्षत, लाल चावल, फूल और कुमकुम भी डालें। सूर्यदेव के मंत्र का जाप करते हुए, सूर्यदेव को जल चढ़ाए। बता दें, सूर्यदेव को जल अर्पित करने से ग्रहों की शांति होती है और कुंडली में सूर्य ग्रह से संबंधित दोष दूर होते हैं। सूर्य भगवान को जल चढ़ाने से सफलता और समृद्धि प्राप्त होती है।
पीतल के लोटे से सूर्यदेव को जल दें
नौतपा के 9 दिनों तक सूर्यदेव को पीतल के लोटे से अर्घ्य दें। इससे व्यक्ति को समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति हो सकती है। इतना ही नहीं, कहा जाता है कि इस धातु से बने लोटे से अर्घ्य देने से व्यक्ति की सारी परेशानियां दूर हो जाती है और सौभाग्य में भी वृद्धि हो जाती है।
कंस्य के लोटे से जल सूर्यदेव को दें
सूर्यदेव को कांस्य के लोटे से अर्घ्य दें। इससे व्यक्ति को शक्ति और साहस का वरदान मिलता है। इसके साथ ही धन-धान्य में भी वृद्धि होती है। वहीं, अगर आपके जीवन में किसी तरह के कार्य में कोई रूकावटें आ रही है, तो उससे छुटकारा मिल सकता है।
चांदी के लोटे से सूर्यदेव को दें जल
नौतपा के नौ दिनों में सूर्यदेव को चांदी के लोटे से अर्घ्य देने से लाभ हो सकता है। साथ ही व्यक्ति के मान-सम्मान में भी वृद्धि हो सकती है। इसके अलावा ग्रह दोष से भी छुटकारा मिल सकता है।