धमतरी/कु रुद/मगरलोड. महानदी में बना मेधा पुल अवैध खनन की भेंट चढ़ गया। पुल के नीचे से भारी मात्रा में रेत की निकासी होने से पिल्लर कमजोर हो गए और घंसते गया। रविवार को पुल के तीन पिल्लर घंसे थे, जिसके बाद धमतरी के अधिकारियों ने मुआयना कर चारपहिया वाहनों के आवागमन पर रोक लगा दी थी। दूसरे दिन पुल के 15 और पिलर धंसते गए।
चार पिलर पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए।सोमवार को लोकनिर्माण विभाग सेतु निगम रायपुर के चीफ इंजीनियर एमएल उराव, एसडीएम दीनदयाल मंडावी, पीडब्ल्यूडी ब्रिज रायपुर के ईई विवेक शुक्ला, एसडीओपी सेतु केके यादव, तहसीदार मनोज भारद्वाज निरीक्षण करने पहुंचे। दो घंटे तक अधिकारियों की टीम ने पूरे पुल का बारीकी से निरीक्षण किया।
निरीक्षण में अवैध रेत खनन ही पुल धंसने का कारण पाया गया। पुल के नीचे से अत्याधिक मात्रा में रेत निकालने से पुल के बोल्डर धंसते चले गए और एक के बाद एक 18 पिल्लर धंस गए। 4 पिल्लर बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए। वहीं एक साइड की पीचिंग टूट गई। इधर पुल के क्षतिग्रस्त होने के बाद आवागमन करने वालों की मुसीबत बढ़ गई है। व्यापारी, किसान सहित आम नागरिकों को अब रूट बदलकर 25 किमी घूमकर जाना पड़ेगा। 55 से 60 साल होती है लाइफ मुख्य अभियंता सेतु परिक्षेत्र
रायपुर के एमएल उराव ने कहा कि
एक पुल की लाइफ लगभग 55 से 60 साल होती है। मेघा का पुल मजबूत था। पुल के नीचे से रेत निकालने के कारण बोल्डर धंसते गए, जिसके कारण पीचिंग तक पानी पहुंच गया और एक के बाद एक 18 पिवर धराशायी हो गए। 4 पिल्लर पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए हैं। है। यह पुल जिला प्रशासन, खनिज विभाग है दोषी कुरुद-राजिम मगरलोड को जोड़ने वाले महत्वपूर्ण मेधा पुल के धंसने से क्षेत्र के लोगों में आक्रोश देखा जा रहा है।
क्षेत्र के निवासी रमेश पांडेय ने कहा कि पुल टूटने के लिए सिर्फ और सिर्फ जिला प्रशासन और खनिज विभाग जिम्मेदार है। अवैध उत्खनन के संबंध में कई बार शिकायत भी की गई। मीडिया सहित जनप्रतिनिधियों ने भी अवैध उत्खनन की जानकारी दी, लेकिन राजनैतिक संरक्षण के चलते अंकुश नहीं लग सका।
जिला प्रशासन कुंभकर्णीय निंद्रा में सोई रही। परिणाम आज सबके सामने है। किसान नेता लालाराम चंद्राकर ने कहा कि पुल क्षतिग्रस्त होने के पीछे जिला प्रशासन जिम्मेदार है। प्रशासन कसावट नहीं होने के कारण रेत माफिया मनमाने ढंग से रेत उत्खनन में लगे रहे। मेघा पुल
कुरुद विधायक ने लिया संज्ञान
धंसने के पीछे अवैध रेत उत्खनन ही है। क्षेत्र का जलस्तर दिनों- दिन गिर रहा है। बारिश में भी अवैध उत्खनन पर रोक नहीं लग सका। युवा दिवाकर चंद्राकर ने कहा कि खनिज विभाग रेत माफियाओं को संरक्षण दे रहा है। पुल के ऊपर से ओवरलोड रेत वाहन गुजरते रहे। अधिकारियों की लापरवाही का खामियाजा अब नागरिकों को भुगतना पड़ेगा।
20 किमी अतिरिक्त फ्लॉटिंग फाउंडेशन पुल था। इसमें कटऑफ बाल से ही पूरा स्ट्रक्चर प्रोटेक्ट रहता है। कटऑफ वॉल की गहराई 3 मीटर रहती है। 2.50 मीटर का कटऑफ वॉल रेत निकालने के कारण खुल गया। इस स्थिति में पुल के ऊपर वाहनों की आवाजाही जारी रहने के कारण पुल का कुछ हिस्सा सेटलडाउन हो गया। जितना कटऑफ टूटा है उतना ही अतिरिक्त बाक्स कोलैप्स होने की संभावना है।
मेघा पुल धंसने के बाद क्षेत्र के लोगों की चिंता बढ़ गई है। इधर कुरुद विधायक व पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर ने लोगों की समस्या को संज्ञान में लेते हुए पुल मरम्मत और नए हाईलेवल ब्रिज निर्माण के लिए त्वरित कार्रवाई करने प्रशासन को दिशा-निर्देश दिया है। उनके अनुसार पुल मरम्मत जल्द शुरू कर दी जाएगी। साथ ही हाईलेवल ब्रिज बनाने की प्रक्रिया भी जल्द शुरू होगी। इस प्रयास के लिए क्षेत्र के लोगों ने विधायक अजय चंद्राकर का आभार माना है।सूचना मिलते ही सुरक्षा के लिहाज से पुल के ऊपर से आवाजाही बंद करा दिए हैं। सोमवार को उच्चाधिकारियों ने पुल का निरीक्षण किया है। वैकल्पिक तौर पर नारी रूट या राजिम रूट से आना-जाना करेंगे।
वीनदयाल मंडावी, एसडीएम कुरुद
अधिकारियों ने बताया कि यह महत्वपूर्ण जिला मार्ग है। कुरुद तथा मेघा की और 30 गांव के लगभग 70 हजार लोग आना- जाना करते हैं। पुल क्षतिग्रस्त होने से मेघा की जनता को लगभग 20 किमी अतिरिक्त दूरी तय कर जिला मुख्यालय आना पड़ेगा। उक्त निर्मित पुल के यू/एस में वर्ष-2023-24 के बजट में 120 लाख रूपए के प्रावधान के साथ नया उच्चस्तरीय पुल निर्माण के लिए शामिल है। इसके लिए बोरिंग कार्य पूर्ण कर जीएडी तैयार कर ली गई है।