अंबानी और मस्क को टक्कर देंगे एयरटेल वाले मित्तल
Business:- टेक्नोलॉजी की दुनिया में आगे निकलने की रेस अब जमीन से बढ़कर स्पेस तक पहुंच चुकी है. अभी तक इस रेस में दुनिया के सुपर रिच एलन मस्क की कंपनी स्टार लिंक और जियो थे. अब एयरटेल ने भी एंट्री मार दी है, जिस तेजी से एयरटेल सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सर्विस प्रोवाइड करने की प्लानिंग कर रहा है, जल्द ही वह भारत में ब्रॉडबैंड-फ्रॉम-स्पेस सर्विस की पेशकश करने वाली पहली ग्लोबल सैटेलाइट कंपनी बन जाएगी.
ऐसे किया खेल
एयरटेल ने एडमिनिस्ट्रेटिव रूट के माध्यम से 90 दिनों की अवधि के लिए ‘का’ एंड ‘कू’ बैंड का डेमो सैटेलाइट स्पेक्ट्रम हासिल किया है, जो उसको स्टारलिंक से अलग करता है, जो रीटेल ग्राहकों को सीधे टार्गेट करता है. यूटेलसैट वनवेब का फोकस बिजनेस-टू-बिजनेस (बी2बी) मॉडल पर है. बता दें कि ‘का’ बैंड स्पेक्ट्रम अर्थ स्टेशनों के संचालन के लिए महत्वपूर्ण है, जबकि ‘कू’ बैंड यूजर्स एक्सेस टर्मिनलों का समर्थन करता है.
क्या कहती है रिपोर्ट
ईटी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यूटेलसैट वनवेब पूर्ण रूप से कमर्शियल लॉन्चिंग की तैयारी कर रहा है, जिसके लिए वह भारत की रक्षा और सार्वजनिक क्षेत्र की संस्थाओं में प्रमुख ग्राहकों के साथ अपने सैटेलाइट ब्रॉडबैंड नेटवर्क पर परीक्षण भी कर रहा है. कंपनी को जल्द ही कमर्शियल सैटेलाइट स्पेक्ट्रम आवंटन मिलने की उम्मीद है, जो दूरसंचार विभाग (डीओटी) द्वारा निर्धारित नियामक ढांचे का अनुपालन करने के लिए प्रतिबद्ध है.
ऐसे होगी कमाई
DoT सैटेलाइट स्पेक्ट्रम के एडमिनिस्ट्रेटिव आवंटन को अंतिम रूप देने और रेगुलेटरी गाइडलाइन के आधार पर मूल्य निर्धारण करने की प्रक्रिया में है. 2023 का न्यू टेलीकम्युनिकेशन एक्ट अब एडमिनिस्ट्रेटिव चैनलों के माध्यम से सैटेलाइट स्पेक्ट्रम के आवंटन की सुविधा प्रदान करता है. यूटेलसैट रेवेन्यू के लिए एंटरप्राइजेज, रक्षा, विमानन, समुद्री क्षेत्रों और सरकारों को पूरा करेगा. कंपनी उन ग्रामीण क्षेत्रों में मोबाइल ब्रॉडबैंड कवरेज का समर्थन करने के लिए सैटेलाइट कनेक्टिविटी की पेशकश करने की योजना बना रही है जहां स्थलीय बैकहॉल लिंक सीमित हैं. यूटेलसैट ग्रामीण भारत में कार्यरत किसी भी टेलीकॉम कंपनी को बैकहॉल सहायता सेवाएं प्रदान करने के लिए तैयार है.
कौन हैं असली कंपीटिटर
इसका लक्ष्य Jio, Starlink, Amazon Kuiper और Tatas जैसे कंपीटिटर को पछाड़ना है. यूटेलसैट वनवेब के पास स्पेस इंडस्ट्री रेगुलेशन, IN-SPACe से आवश्यक लाइसेंस हैं. गुजरात और चेन्नई के पास कंपनी के अर्थ स्टेशन चालू हैं, जो इसे बढ़ते भारतीय सैटेलाइट संचार बाजार में सबसे आगे रखते हैं. बता दें कि भारत में ब्रॉडबैंड-फ़्रॉम-स्पेस सेवाओं का ध्यान डिजिटल विभाजन को पाटना है, विशेष रूप से वंचित ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में. IN-SPACe ने भारत की स्पेस इकोनॉमी में महत्वपूर्ण विकास क्षमता का अनुमान लगाया है, जिसका अनुमान 2033 तक 44 बिलियन डॉलर का संभावित मूल्य है