राजनीति ही नहीं हर क्षेत्र में आगे वही रहता है जो आगे रहने की तैयारी भी पहले करता है। जैसे दौड़ में तो आगे वही रहता है जो पहले दौड़ता है और दूसरो से इतनी दूरी बनाकर रखता है कि कोई उसके पास तक न आ सके। वैसे ही भाजपा चुनाव मे हर तैयारी समय से पहले कर लेती है ताकि जल्दी में कहीं कोई चूक न हो जाए। बाकी राजनीतिक दल अभी किस सीट कौन कितनी सीटों पर लडे़गा यही तय नहीं कर पाए हैं और भाजपा सौ से ज्यादा प्रत्याशियों के नाम पहली केंद्रीय चुनाव समिति की पहली बैठक में तय कर लिए हैं।
भाजपा और विपक्ष के सबसे बड़े नेता में फर्क का पता तो उनके काम से चल जाता है। राहुल गांधी चुनाव को कुछ समय बचा है तो भारत जोड़ाे न्याय यात्रा कर रहे हैं। विदेश के कार्यक्रम में शामिल हो रहे हैं। वहीं मोदी देश के तमाम राज्यों का दौरा कर जनता को भाजपा से जोड़ने और ऐतिहासिक जीत की बात कर रहे हैं।
पीएम मोदी विधानसभा चुनाव समाप्त होते ही लोकसभा चुनाव की तैयारी में लग गए और राहुल गांधी न्याय यात्रा में ही मस्त है। उन्हें कोई चिंता ही नहीं है कि कांग्रेस भाजपा की तुलना में चुनावी तैयारी में पिछड़ रही है, बहुत पिछड़ गई है। राज्यसभा चुनाव में हिमाचल में कांग्रेस प्रत्याशी की हार से पता चलता है कि कांग्रेस नेता तब तक सोते रहते हैं जब तक नुकसान हो चुका होता है। वह नुकसान को पहले रोक सकते हैं लेकिन वह कोई प्रयास नहीं करते हैं।
किसकाे नहीं मालूम हिमाचल कांग्रेस व सराकार में समस्या है। सब संकट के सामने आने का इंतजार करते रहते है। सक्रिय तब होते हैं जब कांग्रेस की पूरी देश मेें फजीहत हो चुकी रहती है। अभिषेक मनु सिंघवी की हार के विषय में कांग्रेस सोच ही नहीं सकी, भाजपा ने असंभव को संभव बनाकर दिखा दिया कि कांंग्रेस से उसकी तैयारी हमेशा ज्यादा रहती है। तैयारी ही ऐसी रहती है कि जीत तय हो जाए।
लोकसभा चुनाव में भाजपा ने अपने लिए ३७० सीटें व एनडीए के लिए चार सौ प्लस सीट का लक्ष्य तय किया है। कांग्रेस इसे गंभीरता से लेने की जगह इसका मजाक उड़ाती रही है। भाजपा जब चुनाव तीसरी बार जीत जाएगी तब कांग्रेस अपनी हार से दुखी नहीं होगी लेकिन इस बात से ज्यादा खुश होगी कि भाजपा को ३७० सीटें नहीं मिली, उसने भाजपा को ३७० सीटें जीतने से रोक दिया।एनडीए को चार सौ सीटें जीतने से रोक दिया।
छत्तीसगढ़ में भी भाजपा ने सभी ११ सीटों पर अपने प्रत्याशी तय कर लिए है। उम्मीद की जा रही है कि विधानसभा की तरह इसमें भी कुछ नए चेहरों को मौका दिया जाएगा और वे नाम भी विधानसभा चुनाव की तरह चौंकाने वाले होंगे। भाजपा जहां छत्तीसगढ़ में सभी ११ सीटें जीतने की तैयारी कर रही है। काग्रेस में अभी बैठकों का सिलसिला तक शुरू नहीं हुआ है। पिछले चुनाव में कांग्रेस दो सीटें जीती थी, इस बार तो उसकी तैयारी में पिछडऩे को देखते हुए लगता है कि वह दो सीटें भी नहीं बचा पाएंगी।कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि भाजपा तैयारी करती है, इसलिए फायदे में रहती है।