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साफ और सूखा धान , नहीं तो लौटाएगी समितियां,छोटे किसानों को दो और बड़े किसानों को जारी होंगे तीन टोकन

बिलासपुर। धान खरीदी प्रक्रिया में इस वर्ष सख्ती बढ़ाई गई है। इसके तहत सिर्फ साफ और सूखा धान ही स्वीकार किया जाएगा। मिलावटी या नमीयुक्त धान स्वीकार नहीं किया जाएगा।यह सुनिश्चित होगा कि समिति में आने वाला धान उच्च गुणवत्ता का हो और खराब अनाज से बचा जा सके। यह निर्णय कुछ किसानों द्वारा बिना साफ-सफाई और बिना सुखाए धान सीधे सोसाइटी में जमा करने पहुंच जाते थे, जिससे खरीदी केंद्रों पर अनाज की गुणवत्ता में कमी देखी जा रही थी।

धान सूखने पर लगता है गड़बड़ी का आरोप

समितियों के संचालकों का कहना है कि खेत से धान आने पर वह लगभग 17 प्रतिशत सुखत में धान की खरीदी करते हैं। धान अगर एक प्रतिशत भी सूखता है तो एक प्रतिशत में लगभग साढे सात सौ ग्राम कम हो जाता है। इसके चलते धान खरीदी में सुखत की स्थिति में गड़बड़ी का आरोप लगाया जाता है। पिछली बार तो गड़बड़ी की आशंका को लेकर शासन ने एफआइआर का निर्देश भी दिया था। संचालकों का कहना है कि सरकार धान का उठाव करने के दौरान भी सुखत की जांच करें। इससे खरीदी व उठाव के दौरान धान तौल में कितना अंतर आता है यह भी स्पष्ट रहेगा।

लघु और दीर्घ किसानों के लिए टोकन व्यवस्था

इस साल लघु किसानों को धान बेचने के लिए केवल दो टोकन दिए जाएंगे, जबकि दीर्घ किसानों को तीन टोकन जारी किए जाएंगे। टोकन कटाने के लिए किसानों को अपनी बारी का ध्यान रखना होगा, क्योंकि टोकन केवल सात दिन पहले ही जारी किए जाएंगे। किसानों को सख्त निर्देश हैं कि वे टोकन की तारीख के अनुसार ही केंद्र पर पहुंचे और अपने साथ सूखा और साफ धान ही लाएं। यदि कोई किसान इन निर्देशों का पालन नहीं करता है, तो उसे धान वापस ले जाने के लिए कहा जा सकता है।

हार्वेस्टर से मिसाई की तो सूखा कर लाने के निर्देश

समितियों ने विशेष रूप से यह भी स्पष्ट कर दिया है कि सीधा हार्वेस्टर से मिसाई के बाद लाए गए धान में नमी व कचरा होता है कई किसान हार्वेस्टर से धान की मिसाई के बाद सीधे धान सोसायटी में लाकर बेचते हैं, समितियों ने इस कारण किसानों से अपील की गई है कि वे धान को पंखे से साफ करवा कर व सूखा कर ही सोसाइटी में लाएं। यह नियम इसलिए लागू किया गया है ताकि धान में कोई अवशेष या गंदगी न हो और खरीदी में व्यवधान उत्पन्न न हो।

19 समिति प्रबंधकों के खिलाफ हुआ था अपराध दर्ज

समिति संचालकों का कहना है कि सुखत धान की खरीदी इसलिए भी आवश्यक है, क्योंकि समिति धान खरीदती है तो वह लगभग 17 प्रतिशत गीला होता है और जब धान का उठाव होता है तब तक धान और सूख जाता है ।कई बार तो सुखत की स्थिति के बाद 11 प्रतिशत रह जाता है।
संचालकों ने बताया कि धान सूखता है यह बात शासन भी जानता है, बावजूद इसके गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए लगभग 19 समिति संचालकों के खिलाफ अपराध दर्ज कराया था। कई लोगों ने अपना घर बेचकर भी रुपये अदा किए हैं।

78 लाख क्विंटल धान खरीदी का लक्ष्य

जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के नोडल अधिकारी आशीष दुबे का कहना है कि पिछले साल 70 लाख क्विंटल धान की खरीदी हुई थी। तब हमारा लक्ष्य 62 लाख क्विंटल का था। यह लक्ष्य से अधिक रहा। इस साल भी 78 लाख क्विंटल धान खरीदी का लक्ष्य रखा गया है। इसमे उम्मीद है कि धान खरीदी में आवक अच्छी होने धान खरीदी लक्ष्य से अधिक बढ़ सकता है।

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