चुनाव हो या खेल हो जीत का भरोसा होने पर ही टीम जीतती है। चुनाव बहुत सारे दल लड़ते हैं,जीतने के लिए लड़ते हैं। जितनी बड़ी पार्टी होती है, जीत का विश्वास भी उतना ही ज्यादा होता है।कोई क्षेत्रीय पा्टी है तो वह अपने राज्य में कितनी सीटें जीतेगी, इसका दावा कर सकती है। कोई राष्ट्रीय पार्टी है तो कम से कम बहुमत का तो दावा कर सकती है। भाजपा ने चुनाव की तारीखों को घोषणा के पहले ही यह कह दिया था कि भाजपा 370 सीटें जीतेगी और एनडीए चार सौ प्लस। भाजपा को अपने काम, अपने नेताओं, अपने संगठन पर भरोसा था इसलिए उसने सीटों की संंख्या तक बता दी। कांंग्रेस अगर जीत रही होती, भाजपा को टक्कर दे रही होती तो वह भी दावा करती हम भी तीन सौ सीट जीत रहे हैं और सरकार बना रहे है। किसी ने कांग्रेस को रोका तो नहीं थी वह तीन सौ सीट जीतने का दावा नहीं कर सकती। हकीकत क्या है कांग्रस जानती है, वह तीन सौ से कम सीटों पर चुनाव लड़ रही है. इसलिए वह जानती है कि बहुमत भी जुटाना उसेक लिए मुश्किल है। क्योंकि पिछले दो चुनाव में उसकी सीट जीतने की दर दस प्रतिशत है। यानी वह जितने प्रत्याशी पूरे देश में ख़ड़ी करती है, उसमं से दस प्रतिशत ही जीत पाते हैं। यानी कांग्रेस चार सौ प्रत्याशी खड़े करती है वह चालीस पचास सीटें ही जीत पाती है।
इस बार तो कांग्रेस बमुश्किल तीन सौ सीटों पर चुनाव लड़ रही है। इसलिए वह कह ही नहीं सकती कि तीन सौ सीटें जीतेगी या बहुमत हासिल करेगी। यही वजह है कि उसकी पूरी कोशिश विपक्ष के साथ मिलकर भाजपा की सीटों की संख्या कम करने की है।यानी कांग्रेस व विपक्ष इस बात से खुश हो सकते हैं कि एनडीए को चार सौ प्ल्स सीटें नहीं जीती। कांंग्रस के किसी बड़े नेता का ऐसा कोई बचान नहीं आया है कि कांग्रेस यह चुनाव जीत रही है, कांग्रेस इस चुनाव में बहुंमत पाकर सरकार बनाएगी। कांग्रस नेता यही बयान देते रहे हैंं भाजपा ३७०सीटें नहीं जीत सकती, एनडीए चार सौ सीटें नहीं जीत सकता।,यह चुनाव भाजपा के हाथ से निकल गया है। कांग्रेस के छत्तीसगड़ प्रभारी सचिन पायलट ने कहा है कि लोकसभा चुनाव में भाजपा लक्ष्य से पिछड़ रही है. सचिन पायलट छत्तीसगढ़ प्रभारी है, उनको यह बयान देना चाहिए की कांग्रेस छत्तीसगढ़ की सभी सीटें जीत रही है। ऐसा कहने की जगह वह कह रहे हैं कि भाजपा अपने लक्ष्य से पिछड़ रही है।यह कैसे छत्तीसगढ़ प्रभारी है, इनको भाजपा के बारे में मालूम है कि भाजपा लक्ष्य से पिछड़ रही है लेकिन कांग्रेस की स्थिति क्या है, उनको पता नहीं है।
कांग्रेस के राहुल गांधी,एम खरगे से लेकर सचिन पायलट तक को पता नहीं है कि कांंग्रेस लोकसभा चुनाव मे कितनी सीट जीत रही है। इससे साफ है कि कांग्रस जीतने के लिए चुनाव नहीं लजड रही है। भाजपा की सीटें कम करने के लिए चुनाव लड़ रही है। यानी कांग्रेस ने पहले से ही हार मान ली है। अगर कांग्रेस जीत रही होती, टक्कर दे रही होती को कहती कि वह भाजपा को इतनी सीटों पर हरा रही है। कांग्रेस तीसरी बार मोदी को पीएम नहीं बनने देगी। इस बार का लोकसभा चुनाव उस समय के चुनाव की तरह है जब कांग्रेस देश की सबसे मजबूत पार्टी हुआ करती थी और विपक्ष उसके सामने कमजोर बिखरा हुआ होता और कांग्रेस की जीत तय होती थी। विपक्ष उस समय यह कहने की स्थिति में नहीं रहता था कि वह कितनी सीटों पर जीत रहा है। यही हाल इस चुनाव में कांग्रेस का है। वह आज यह कहने की स्थित में नही है कि वह किस राज्य में कितनी सीटें जीत रही हैं। कहीं कही कांग्रेस प्रत्याशी जरूर यह दावा कर रहे हैं कि वह पचास हजार मतों से जीत रहे हैं।जैसे कांकेर लोकसभा से कांंग्रेस प्रत्याशी वीरेश ठाकुर ने पचास हजार मतो से जीतने का दावा किया है , जबकि भाजपा प्रत्याशी भोजराज नाग ने एक लाख मतों से जीतने का दावा किया है।सच यह है कि इस बार लोकसभा चुनाव कांग्रेस एक पार्टी के रूप में लड़ती नहीं दिख रही है.। कहीं कही उसके प्रत्याशी जरूर चुनाव जीतने के लिए लड़ते दिख रहे है। इस आधार पर कहा जा सकता है कि इस बाक कांंग्रस जितनी भी सीटें जीत रही है,उसमें जीत का श्रेय प्रत्याशी को ज्यादा व् कांंग्रेस को कम मिलेगा।