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साइबर फ्रॉड से निपटना बैंक और फिनटेक के लिए बड़ी चुनौती

Business:- भारत में बैंकिंग की दुनिया बीते कुछ सालों में तेजी से बदली है. इंटरनेट के विस्तार ने लोगों की बैंकिंग जरूरतों को अब ब्रांच जाने के बजाय कनेक्टेड बैंकिंग में बदल दिया है. ऐसे में उसके सामने कई चुनौतियां भी मौजूद हैं. एसबीआई के पूर्व चेयरमैन और भारतपे के मौजूदा चेयरमैन रजनीश कुमार ने इस बारे में कई बातें की. टीवी9 के ग्लोबल समिट What India Thinks Today में उन्होंने देश में बदलते बैंकिंग सेक्टर, बैंकिंग और फिनटेक के अवसरों एवं चुनौतियों पर चर्चा की.एसबीआई के चेयरमैन रहते YONO जैसी सर्विस शुरू करने में अहम भूमिका निभाने वाले रजनीश कुमार ने कहा कि आज हम कनेक्टेड दुनिया में रहते हैं. ऐसे में कनेक्टेड बैंकिंग समय की जरूरत है. आज कोई मोबाइल के बिना नहीं रह सकता, ये मौजूदा वक्त की सच्चाई है. ऐसे में जब भी कोई नई तकनीक आती है, तो उसके साथ कुछ अच्छी बातें भी आती हैं और कुछ खराब बातें भी आती हैं. कनेक्टेड बैंकिंग के साथ भी ऐसा ही है.

साइबर सिक्योरिटी, डेटा प्रोटेक्शन बड़ी चुनौती

रजनीश कुमार ने कहा कि आज साइबर की दुनिया में साइबर सिक्योरिटी, डेटा प्रोटेक्शन से लेकर साइबर फ्रॉड जैसे बड़े जोखिम हैं. ऐसे में फिनटेक जैसी इंडस्ट्री जो सीधे तौर पर रेग्युलेशन के दायरे में नहीं आती, लेकिन वह अपना काम रेग्युलेटेड इकाइयों के साथ ही करती हैं. इस बात से भी किनारा नहीं किया जा सकता कि फिनटेक में काम करने वाले युवा उद्यमियों ने सिस्टम में इनोवेशन लाया है, और उस तबके को भी शामिल किया है, जो पहले इस बैंकिंग सिस्टम से बाहर था.

करना होता है रेग्युलेटर्स के साथ मिलकर काम

रजनीश कुमार ने अपने एसबीआई के अनुभव को साझा करते हुए कहा कि रेग्युलेटर्स के साथ मिलकर काम करना होता है. रेग्युलेटर मुख्य तौर पर तीन पहलुओं पर काम करते हैं. सबसे पहला कि सिस्टम में जोखिम नहीं पैदा होने देना, कस्टमर के डेटा की सुरक्षा करना और केवाईसी नियमों का पालन करना, ताकि मनी लॉन्ड्रिंग को रोका जा सके. अगर कोई भी इससे बाहर जाकर काम करता है, तो समस्या होती है. उन्होंने पेटीएम का नाम लिए बगैर कहा कि इसके बारे में उन्हें जो जानकारी है वह बस मीडिया में मौजूद जानकारी ही है. हालांकि रेग्युलेटर्स अचानक से कोई फैसला नहीं लेते. वह अपने अनुभव के आधार पर कह सकते हैं कि रेग्युलेटर्स आपको सुधार करने का मौका देते हैं, क्योंकि कोई परफेक्ट नहीं होता.

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