ढाका। पहले आरक्षण को लेकर हिंसा, फिर सरकार विरोधी प्रदर्शन और राजनीतिक अस्थिरता के बाद अब बांग्लादेश में प्रकृति का कहर देखने को मिल रहा है। बांग्लादेश में अंतरिम सरकार का गठन हुआ, जिनकी देश में राजनीतिक स्थिरता को कायम करना प्रमुख प्राथमिकता थी, लेकिन प्रकृति के तांडव ने उनकी मुश्किलों को और बढ़ा दिया है।
अंतरिम सरकार की तरफ से जारी किए गए रिपोर्ट के अनुसार देश में बाढ़ से अब तक 59 लोगों, जिसमें छह महिलाएं और 12 बच्चे शामिल है, की मौत हो चुकी है। जबकि इस विनाशकारी बाढ़ की वजह से पांच लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हुए हैं। आपदा प्रबंधन एवं राहत मंत्रालय ने बाढ़ की स्थिति पर जानकारी देते हुए कहा कि सबसे अधिक मौतें कुमिला और फेनी जिलों में हुई हैं, जो कि भारत के पूर्वोत्तर भाग में त्रिपुरा की सीमा से सटे हैं, जहां क्रमशः 14 और 23 लोगों की मौत हुई है।
सरकार के अनुसार बांग्लादेश के डेल्टा क्षेत्र और ऊपरी भारतीय क्षेत्रों में मानसूनी बारिश से आई बाढ़ ने देश में लगभग दो सप्ताह तक कहर बरपाया, जिसकी वजह से लोगों और सैकड़ों मवेशियों की मौतें हुई। इसकी वजह से लाखों लोगों को विस्थापित होना पड़ा और उनकी संपत्ति का नुकसान भी हुआ। बता दें कि बांग्लादेश में करीब 200 नदियां बहती है, जिसमें से 54 नदियां भारत के ऊपरी तटवर्ती इलाकों से होकर गुजरती हैं और चार मुख्य घाटियों में बहती हैं। पिछले हफ्ते बंगाल की खाड़ी में बने एक दबाव के कारण दो घाटियों – उत्तर-पूर्वी मेघना बेसिन और दक्षिण-पश्चिमी चटगांव हिल्स बेसिन – में नदियों में बाढ़ आ गई है।
आपदा प्रबंधन एवं राहत मंत्रालय की तरफ से जारी किए गए आंकड़े के अनुसार 54 लाख 57 हजार 702 लोग 11 जिलों के 504 संघों और नगर पालिकाओं में लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। करीब सात लाख लोग अभी भी बाढ़ में फंसे हुए हैं, जबकि करीब चार लाख लोग 3,928 आश्रय केंद्रों में रह रहे हैं। वहीं कुल 36,139 मवेशियों को भी आश्रय दिया गया है। अधिकारियों के अनुसार जैसे-जैसे स्थिति में सुधार हो रहा है, लोग घर लौट रहे हैं, जबकि बाढ़ प्रभावित जिलों में संचार व्यवस्था सामान्य हो गई है।