नई दिल्ली । रेलवे कर्मचारियों के एक ग्रुप ने केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव से प्रोडक्टिविटी लिंक्ड बोनस (PLB) की कैलकुलेशन छठे वेतन आयोग की बजाय सातवें वेतन आयोग के आधार पर करने की गुजारिश की है। भारतीय रेलवे कर्मचारी महासंघ (IREF) ने मौजूदा बोनस को कर्मचारियों के साथ अन्याय बताया है और इसे बढ़ाने की मांग की है, ताकि वे बढ़ती महंगाई के बीच राहत पा सकें।
मौजूदा बोनस से नाखुश कर्मचारी
IREF के राष्ट्रीय महासचिव सर्वजीत सिंह ने कहा कि, वर्तमान में रेलवे कर्मचारियों को 78 दिन की बेसिक सैलरी के बराबर बोनस मिलना चाहिए, लेकिन यह 7,000 रुपये की न्यूनतम सैलरी के आधार पर 17,951 रुपये ही बनता है। जबकि सातवें वेतन आयोग के तहत रेलवे कर्मचारियों की न्यूनतम बेसिक सैलरी 18,000 रुपये होनी चाहिए, जिससे 78 दिन का बोनस 46,159 रुपये बनता है। इससे प्रत्येक कर्मचारी को 28,208 रुपये का अतिरिक्त फायदा हो सकता है।
28 हजार रुपये तक का हो सकता है फायदा
यदि सरकार सातवें वेतन आयोग के मुताबिक बोनस की कैलकुलेशन करने का फैसला करती है, तो प्रत्येक रेलवे कर्मचारी को लगभग 28,208 रुपये का अतिरिक्त लाभ मिलेगा। इस मुद्दे पर IREF ने अपने पत्र में सरकार से अपील की है कि बोनस की गणना नई सैलरी के आधार पर की जाए, ताकि कर्मचारी आगामी त्योहारों को खुशी से मना सकें और रेलवे के संचालन और मेंटेनेंस में अपना महत्वपूर्ण योगदान जारी रख सकें।
PLB की मौजूदा कैलकुलेशन को बताया अन्यायपूर्ण
सर्वजीत सिंह ने यह भी कहा कि, वर्तमान में PLB की गणना 7,000 रुपये की न्यूनतम सैलरी पर की जा रही है, जो छठे वेतन आयोग के हिसाब से है। जबकि सातवें वेतन आयोग के तहत यह न्यूनतम वेतन 18,000 रुपये है, जिसे 1 जनवरी 2016 से लागू किया गया है। ऐसे में, कर्मचारियों को 7,000 रुपये की सैलरी पर बोनस देना उनके साथ अन्याय है।
रेलवे की आय में इजाफा
IREF के सदस्यों ने यह भी बताया कि कोविड-19 महामारी के दौरान जब देशव्यापी लॉकडाउन था और लोग अपने घरों से बाहर नहीं निकल रहे थे, तब भी रेलवे कर्मचारियों ने ट्रेनों का संचालन सुनिश्चित किया। रेलवे की तिमाही रिपोर्ट से यह स्पष्ट होता है कि इस अवधि के बाद रेलवे की आय में भारी वृद्धि हुई है। वहीं, सीनियर सिटीजन को दी जाने वाली छूट को बंद करने से भी रेलवे के मुनाफे पर असर पड़ा है।