राम मंदिर तीर्थ ट्रस्ट को दिया दान… RTI को लेकर ऐसा क्या हुआ हाईकोर्ट ने लगा दी रोक
दिल्ली :- दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्रीय सूचना आयोग के उस आदेश को रद्द कर दिया है, जिसमें आयोग ने केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) को श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट से संबंधित जानकारी प्रदान करने का निर्देश दिया गया था. आरटीआई दाखिल करने वाले कैलाश चंद्र मूंदड़ा ने अपनी एप्लीकेशन में ट्रस्ट द्वारा टैक्स में छूट प्राप्त करने के लिए दायर आवेदन की जानकारी मांगी थी.
पिछले साल नवंबर में CIC ने CBDT को ये जानकारी मुहैया कराने को कहा था. केन्द्र सरकार ने CIC के इस फैसले के खिलाफ दिल्ली HC का रुख किया था. हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार की अर्जी को मंजूर करते हुए CIC के आदेश को रद्द कर दिया. हालांकि हाई कोर्ट ने कहा है कि आरटीआई दायर करने वाले आवेदन में मांगी गई है. जानकारी प्राप्त करने के लिए आयकर अधिनियम के तहत उचित ऑथोरिटी से संपर्क कर सकते हैं. हाईकोर्ट ने 28 फरवरी को केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के 30 नवंबर 2022 के आदेश को चुनौती देने वाली केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) की याचिका को स्वीकार कर लिया.
जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा कि याचिकाकर्ता कैलाश चंद्र मूंदड़ा को यह अधिकार है, वह उचित अथॉरिटी को अप्रोच कर सकता है. इतना ही नहीं इनकम टैक्स एक्ट के तहत सूचना के अधिकार (आरटीआई) आवेदन कर जानकारी प्राप्त कर सकता है. हाईकोर्ट ने सीबीडीटी के केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी (सीपीआईओ) की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें सीआईसी के 30 नवंबर 2022 के आदेश को रद्द करने की मांग की गई थी, जिसमें निर्देश दिया गया था कि सीपीआईओ आरटीआई अधिनियम के तहत आवेदन में दिए गए कुछ बिंदुओं पर फिर से विचार करेगा और आदेश प्राप्ति के 15 दिन के भीतर जानकारी उपलब्ध करायें.
आरटीआई आवेदक ने अपने दान के लिए प्रासंगिक प्रावधानों के तहत छूट या कटौती प्राप्त करने के लिए श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट द्वारा दायर सभी अनुबंधों के साथ पूर्ण आवेदन की एक प्रति मांगी थी. उन्होंने ट्रस्ट डीड की एक प्रति भी मांगी थी जो दान के लिए छूट या कटौती प्राप्त करने के लिए आवेदन के साथ दायर की गई थी. प्रारंभ में, सीबीडीटी के सीपीआईओ से जानकारी मांगी गई थी, जिसे अस्वीकार कर दिया गया था. इसके बाद सीबीडीटी के अपीलीय प्राधिकारी के समक्ष पहली अपील दायर की गई, जिसने भी जानकारी देने से इनकार कर दिया.
इसके बाद आरटीआई आवेदक ने दूसरी अपील के साथ सीआईसी से संपर्क किया, जिसने सीबीडीटी के सीपीआईओ और अपीलीय प्राधिकारी के निष्कर्षों को पलट दिया और 30 नवंबर, 2022 का आदेश पारित किया. सीबीडीटी के वकील ने हाईकोर्ट से कहा कि आयकर अधिनियम की धारा 138(1)(बी) के मद्देनजर किसी करदाता के बारे में जानकारी आरटीआई अधिनियम के तहत नहीं दी जा सकती है. उन्होंने 22 जनवरी को हाईकोर्ट के एक फैसले का हवाला दिया जिसमें कोर्ट ने सीआईसी के उस आदेश को रद्द कर दिया था जिसमें आयकर विभाग को आरटीआई अधिनियम के तहत पीएम केयर्स फंड को दी गई कर छूट के संबंध में विवरण प्रदान करने का निर्देश दिया गया था.
यह देखा गया कि सीआईसी के पास आईटी अधिनियम की धारा 138 (करदाताओं के संबंध में जानकारी का खुलासा) के तहत प्रदान की गई जानकारी प्रस्तुत करने का निर्देश देने का अधिकार क्षेत्र नहीं है. वर्तमान मामले में, हाईकोर्ट ने कहा कि उपरोक्त के मद्देनजर, रिट याचिका की अनुमति दी जाती है. सीआईसी द्वारा पारित 30 नवंबर, 2022 के विवादित आदेश को रद्द किया जाता है.