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खजूर से बनाई बिजली! UAE के तीन इंजीनियरों ने किया कमाल

UAE:- कबीर का एक दोहा है, ”बड़ा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर, पंथी को छाया नहीं, फल लागे अति दूर”. कबीर इसमें कहते हैं कि खजूर जैसे पेड़ भले ही बड़े हैं लेकिन इससे ना तो राहगीर को छाया मिल पाती है और ना ही इसके फल तक पहुंचना आसान होता है. लेकिन खजूर की ही मदद से UAE के तीन इंजीनियरों ने एक कमाल कर दिखाया है. खजूर से बिजली बना दी है. जिस खजूर का इस्तेमाल बिजली बनाने के लिए अमीराती इंजीनियरों और कलाकारों के एक समूह ने किया है, वो पारंपरिक खजूर है और अपने गुणों के लिए जाना जाता है. यह एक्सपेरिमेंट किन लोगों ने किया, कैसे किया आइए जानते हैं.

तीन लोगों ने मिलकर किया कमाल

इस आविष्कार का श्रेय तीन लोगों को जाता है. इनके नाम है- डॉ. अल अत्तार, उमर अल हम्मादी और मोहम्मद अल हमदी. इन तीनों ने मजदूल खजूर का इस्तेमाल किया. इस खजूर की खासियत होती है कि यह साइज में काफी बड़े होते हैं और तांबे की प्लेटों को मजबूती से पकड़ सकते हैं. इस प्रक्रिया का मकसद खजूर में मौजूद प्राकृतिक चीनी की मदद से स्वच्छ ऊर्जा में बदलना शामिल था.

डॉ. अल अत्तार, उमर अल हम्मादी और मोहम्मद अल हमदी ने खजूर में जड़े तांबे की प्लेटों का इस्तेमाल किया, जो एक कंडक्टिव मेटल के तार से जुड़े हुए थे. मॉडल के लिए 20 खजूर का इस्तेमाल किया गया. तांबे की प्लेटें इलेक्ट्रोड के रूप में काम करती हैं वहीं मेटल के तार सर्किट को पूरा करते हैं, जिससे सेटअप को थोड़ी मात्रा में बिजली उत्पन्न करने का मौका मिल जाता है. अपनी रचना के पीछे की प्रेरणा के बारे में बताते हुए, मोहम्मद अल हमादी ने कहा है कि स्थानीय अरब संस्कृति में खजूर का काफी महत्व है. हालांकि, आज की तेजी से भागती दुनिया में, कभी-कभी उनके महत्व को नजरअंदाज कर दिया जाता है. खजूर की प्रतिभा का प्रदर्शन करने के मकसद से इस एक्सपेरिमेंट को करने का ख्याल आया. तीनों लोगों ने सिक्का कला और डिजाइन महोत्सव में अपने प्रोजेक्ट का प्रदर्शन किया. स्थायी ऊर्जा समाधानों को बढ़ावा देते हुए खजूर के सांस्कृतिक महत्व पर लोगों का ध्यान खींचा.

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