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एग्जिट पोल,फिर एक बार मोदी सरकार

सातवें चरण के मतदान के बाद आए एग्जिट पोल में तो वही हुआ जो भाजपा कह रही थी, पीएम मोदी कह रहे थे। फिर एक बार मोदी सरकार, अबकी बार मोदी सरकार। राहुल गांधी ने बार-बार कहा, लिख के ले लो, मोदी पीएम नहीं बनेंगे। इस बार पीएम मोदी टाटा, बाया बाय, फिनिश हो जाएंगे। ऐसा कोई संकेत एग्जिट पोल में नहीं मिला। हर किसी के मन में सवाल उठना स्वाभाविक है कि जो पीएम मोदी ने कहा, उसका तो संकेत एग्जिट पोल में दिखता है। राहुल गांधी जो कहते रहे हैं उसका जरा सा भा संकेत ज्यादातर एग्जिट पोल में नहींं दिखता है।

इसकी वजह है कि पीएम मोदी व शाह जो कुछ कहते हैं, वह सालों के फीडबैक के आधार पर कहते हैं। जमीन पर हुए काम के आधार पर कहते हैं। लोगों को मिले लाभ के आधार पर कहते हैं। वह पूरे पांच साल जानने का प्रयास करते हैं कि जनता में किस बात को लेकर नाराजगी है, उसे दूर करने के प्रयास करते हैं। सांसद या विधायक से नाराजगी है तो उसकी टिकट काटने में देरी नहीं की जाती है। सबसे बडी बात पीएम मोदी और उनकी चुनावी मशीनरी एक चुनाव जीतने के बाद अगला चुुनाव जीतने की तैयारी शुरू कर देती है। जमीन पर निरंरतर काम होता रहता है। काम के आधार पर ही पीएम मोदी व शाह कोई बात कहते हैं।

जब पीएम मोदी ने कहा कि अब की बार चार सौ पार तो यह ऐसे ही नहीं कह दिया जैसे राहुल गांधी कभी भी कुछ भी कह देते हैं। खरगे कुछ भी कभी कह देते हैं। पीएम मोदी व शाह की खासियत है कि वह एक बार जो कह देते हैं, वह ठोस आधार पर कहते हैं और उस पर अटल रहते हैं।पीएम मोदी व अमित शाह ने एक बार कह दिया कि भाजपा ३७० और एनडीए ४०० पार तो वह एक ठोस फीडबैक आधार पर कहा और उस पर आखिरी चरण का मतदान होने तक अटल रहे। उनको कभी ऐसा नहीं लगा कि भाजपा या एऩडीए की सीटें कम होने वाली हैं।

वही राहुल गांधी व विपक्ष के नेता यही कहते रहे कि भाजपा को ३७० और एनडीए को चार सौ पार सीटें नहीं आ रही है, बाद में राहुल गांधी व विपक्ष के नेताओं ने आंकड़े भी अलग अलग बताए। १४० से लेकर २२०सीटें भाजपा की बताई गईं। इसके बाद कांग्रेस सहित विपक्ष को समझ में आया कि भाजपा की सीट बताने की जगह उनको गठबंधन की सीट बतानाी चाहिए तो फिर एक बार विपक्ष के नेताओं अलग अलग आंकड़े बताए। सबसे पहले ममता बनर्जी ने कहा गठबंधन को तीन सौ से ज्यादा सीटे मिलेंगी।इसके बाद अलग अलग नेताओं ने अलग अलग आंकड़े बताए। सबसे आखिरी में कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने विपक्षी दलों के नेताओं की एक जून की बैठक के बाद कहा कि गठबंधन की २९५ सींट आएंगी।एग्जिट पोल में किसी ने यह संकेत नहीं दिया कि कांग्रेस को २९५ सीट मिल सकती है। किसी ने यह भी संक्तेत नहीं दिया कि गठबंधन को बहुमत मिल रहा है।

मोटे तौर पर एग्जिट पोल का कुल संकेत यह है कि पीएम मोदी व भाजपा ने पांच साल मेहनत की,इसलिए उनका वोट प्रतिशत भी बढ़ा है और सीटें भी बढ़ी हैं। पीएम मोदी व भाजपा का मालूम था कि उनकी सीटें कहां से कम हो सकती है और कहां से उसकी भरपाई हो सकती है। उन्होंने अपने नुकसान को जानकर उसकी भरपाई की साथ ही वोट प्रतिशत बढ़ाने की कोशिश की और उसमें सफल रही। कांंग्रेस अपनी सरकार वाली राज्य में अपनी सीटें नहीं बढ़ी सकीं। तेलंगान व कर्नाटक में भाजपा ने कांग्रेस से सीटें छीन ली है तो यह उसकी बड़ी सफलता का संकेत है और कांग्रेस की बड़ी असफलता का सेंकेत है। कम शबदों में कहा जाए तो भाजपा तीसरी बार जीत के लिए जितनी मेहनती की कांग्रेस ने तीसरी बार हार से बचने के लिए उतनी मेहनते नहीं की।

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