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आतंकवादी का प्रत्यर्पण बड़ी बात तो है

महिपाल साव

कोई काम जब पहली बार किसी देश में होता है तो वह देश व देश के लोगों के लिए बड़ी बात तो होती है।भारत पहली बार एक आतंकवादी को पकड़कर सजा देने के लिए लाने में सफल हुआ है तो यह देश की सरकार के लिए बड़ी उपलब्धि तो है। जनता सरकार इस बात के लिए सरकार की तारीफ तो करेगी ही कि मोदी सरकार ही पहली ऐसी सरकार जिसने मुंबई आतंकवादी हमले के मास्टरमाइंड को पकड़कर देश लाने में सफल हुई है। कई आतंकवादी भारत में आतंकवादी हमला कर पाकिस्तान या विदेश भाग जाते हैं, उन्होंने भारत में अपराध किया है, वह भारत के गुनहगार हैं लेकिन कई बार किसी देश से प्रत्यर्पण संधि नहींं होने पर उस देश से देश के अपराधी को पकड़कर लाना संभव नहीं होता है। किसी देश से प्रत्यर्पण संधि होने पर उस देश के कानून, उसे देश से भारत के संबंध कैसे हैं,उस देश के अपने राजनीतिक हित के चलते अपराधी को देश पकड़कर लाना आसान नहीं होता है।

पीएम मोदी के ट्रंप से अच्छे संबंध के चलते ही पाकिस्तानी आतंकवादी तहव्वूर राणा को अमरीका से भारत लाना संभव हो सका है फिर भी इसमें करीब करीब 16 साल लग गए हैं।तहव्वूर राणा पाकिस्तानी सेना में डाक्टर था,हालांकि हमले के बाद उसने दूसरे देश की नागरिकता ले ली थी। लेकिन यह बात को सभी को पता है कि पाकिस्तान के कहने पर ही उसने मुंबई में आतंकवादी हमला करवाया था इसलिए पाकिस्तान भी परेशान है कि तहव्वूर राणा पर भारत में मुकदमा चलेगा तो फिर एक बार विश्व में इस बात की चर्चा होगी कि पाकिस्तान आतंकवादियों को पालता पोसता है और उनका उपयोग पड़ोसी देश भारत में आतंक फैलाने के लिए करता है।

वैसे भी पीएम मोदी के चलते पाकिस्तान पूरे विश्व में आतंकवाद को बढ़़ावा देने के लिए बदनाम है और बहुत सारे देशों से पहले की तरह मदद नहीं मिलती है। वह आतंकवाद को बढ़ावा देने के कारण विश्व अकेला पड़ गया है। तहव्वूर राणा को अमरीका से भारत लाए जाने का देश की राजनीति पर भी बड़ा असर पड़ने वाला है।किसी दूसरे देश से आतंकवादी को पकड़कर भारत लाना और उस पर मुकदमा चलाकर सजा देने का यह पहला मामला है, मोदी सरकार तो इसका श्रेय लेगी ही कि पहली बार जो सरकार किसी आतंकवादी को किसी दूसरे देश से पकड़कर लाने में सफल हुई है तो वह मोदी सरकार है। इस आधार पर पीएम मोदी व भाजपा फिर देश में माहौल बनाएंगे कि मोदी सरकार ही ऐसी सरकार जो विदेश से आतंकवादी को पकड़कर ला सकती है और सजा दिला सकती है।तहव्वूर राणा से पूछताछ में भी कई बाते सामने आएंगी। यानी आने वाले दिनों तहव्वूर राणा कई दिनों तक चर्चा में रहने वाला है।

भाजपा इसका राजनीतिक फायदा बिहार चुनाव में उठा सकती है इसलिए कांग्रेस भाजपा को तहव्वूर राणा के प्रत्यर्पण का श्रेय अकेले भाजपा को नहीं लेने देना चाहती है। जैसे ही यह खबर आई कि तहव्वूर राणा को भारत लाया जा रहा है ताे कांग्रेस ने चिदंबरम को सामने किया और खुद भी श्रेय लेने लगी कि यूपीए सरकार ने भी तो तहव्वूर राणा के प्रत्यर्पण के लिए कोशिश की थी, यूपीए सरकार की कोशिशों के कारण ही आज तहव्वूर राणा को भारत लाया जा सका है।हकीकत यह है कि तहव्वूर राणा के प्रत्यर्पण में मिली सफलता सिर्फ कानूनी जीत नहीं है,यह अमरीकी अदालतों में सावधानी से दिए गए दलीलों व कूटनीतिक प्रयासों का नतीजा है।चर्चा है कि अमरीका में राणा की कानूनी टीम ने भारत को प्रत्यर्पण के विरोध में तर्क दिया था कि राणा पर पहले से ही संबंधित अपराधों के लिए मुकदमा चलाया जा चुका है।इसलिए उस पर भारत में फिर से मुकदमा चलाना गैरकानूनी होगा। इस पर भारत की कानूनी टीम ने यह तर्क दिया था कि भारत में राणा पर मुकदमा दूसरे मामले में चलाया जाएगा तब जाकर अमरीका से उसका प्रत्यर्पण संभव हो सका है।

कांग्रेस कितना ही तर्क दे ले कि उसने भी प्रत्यर्पण के लिए कोशिश की थी या उसने दाऊद गैंंग के अबू सलीम का प्रत्यर्पण कराया था लेकिन कांग्रेस को राणा के प्रत्यर्पण का जरा सा श्रेय भी मिलने से रहा क्योंकि इस बात की घोषणा तो तब की गई थी जब मोदी व ट्रंप एक मंच पर थे।इसके बाद तय हो गया था कि देरसबेर राणा का प्रत्यर्पण तो हाेना ही और यह अब जाकर 2025 में संभव हो सका है।यह भी ऐसे समय हुआ है जब कांग्रेस ने अपने अधिवेशन में बिहार चुनाव जीतने के लिए रणऩीति बनाई है कि जाति जनगणना,आरक्षण पचास प्रतिशत और राष्ट्रवाद के मुद्दे पर बिहार का चुनाव लड़ा जाएगा। भाजपा राष्ट्रवाद के मुद्दे को जब उठाती है तो देश में कोई राजनीतिक दल उसका मुकाबला नहीं कर सकता।

कसाब के मामले में भाजपा ने सिर्फ एक लाइन कहा था कि कांग्रेस ने कसाब को जेल में बिरयानी खिलाती थी और इसका कांग्रेस को राजनीतिक नुकसान हुआ था। इसके अलावा मोदी सरकार ने जब पाक में चल रहे आतंकियों के ठिकानोंं पर हमला किया था तो पीएम मोदी की छवि ऐसे नेता की बनी थी कि वह तो पाकिस्तान को घर में घुसकर मारने वाले नेता हैं। इसका भी चुनाव में भाजपा को फायदा हुआ था।तहव्वूर राणा को भारत लाया जा चुका है, अभी कई महीनों उस पर मुकदमा चलना है,उसके बाद उसको सजा होनी है, यह सजा यदि बिहार चुनाव के आसपास होती है तो इसका लाभ निश्चित रूप से भाजपा को होगा।

देश में आतंकवाद व अलगाववाद को खत्म करने का श्रेय तो उसे मिल चुका है। इस वजह से वह मजबूत सरकार मानी जाती है।तहव्वूर राणा को सजा होती है तो मोदी सरकार को इस बात का श्रेय भी मिलेगा की उसने आतंकवादी काे भारत में लाकर सजा दिलाई है। इससे जनता के बीच फिर एक बार संदेश जाएगा कि मोदी सरकार वाकई में मजबूत सरकार है। वैसे तो देश में लोग यह भी कहते हैं कि पाकिस्तान में आतंकवादी मारे जाते हैं तो वह भी मोदी सरकार सुपारी देकर हत्या करवाती है। यानी जनता मानती है कि पीएम मोदी आतंकवादियों को उनके देश में मरवा सकते हैं, विदेश से लाकर देश में सजा भी दिलवा सकते हैं।

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