राजनीति में कई बार ऐसा होता है कि लड़ाई बराबर की नहीं होती है,सबको मालूम रहता है कि इन दोनों के बीच जो लड़ाई होने जा रही है, उसका परिणाम क्या होना है। लड़ाई का तो नियम ही यही है कि जो कमजोर है, वह ताकतवर से हारेगा ही। कमजोर व ताकतवर की लड़ाई में हारना तो कमजोर का तय है।
राजनीति में कोई स्वीकारता नहीं है कि वह सामने वाले से कमजोर है। वह इसलिए हार रहा है कि वह कमजोर है। तो वह क्या करता है वह अपनी हार को जायज बताता है। वह कहता है कि मैं तो हार ही नहीं सकता। मैं हारा हूं तो सामने वाले ने जरूर गड़बड़ी की है। मेरी हार का कारण मेरा कमजोर होना नहीं है, मेरी हार का कारण तो सामने वाले की गई गडबड़ी है, वह गड़बडी न करे तो मुझे हरा ही नहीं सकता।
भाजपा तीन चार महीने से लोकसभा चुनाव में जीत का दावा कर रही है। इन तीन चार महीनों में कांग्रेस ने सोचा था वह विपक्ष को एकजुट कर भाजपा का हरा न सके तो अच्छी टक्कर तो देगी। यानी अपने को भाजपा के मुकाबले कमजोर की जगह टक्कर देने वाली पार्टी के तौर पर जनता व विपक्ष के सामने पेश करना चाहती थी लेकिन विपक्षी एकता तो वैसी हुई नहीं है जैसी कांग्रेस चाहती थी, विपक्षी एकना जो नाम को हुई है वह तो विपक्ष ने जैसा चाहा वैसी हुई है। यानी विपक्ष का इंडी गठबंधन है जरूर पर भाजपा का मुकाबला करने लायक नहीं है।
विपक्ष के सब दलों की कोशिश यह है कि वह अपने राज्य में कुछ सीटें जीत लें ताकि केंद्र की राजनीति में अपने मह्त्व को बनाए रखा जा सके। विपक्ष को कांग्रेस की जीत से मतलब नहीं है, उसको मतलब इस बात से है कि केंद्र की राजनीति में अपनी जगह को कैसे बनाए रखा जा सकता है।कांग्रेस भी इस बात को समझ रही है कि विपक्ष के भरोसे कुछ खास नहीं किया जा सकता, वह अकेल कुछ कर नहीं सकती, उसकी हार तय है, भाजपा की जीत तय है। ध्यान न देने के कारण संगठन का बुरा हाल है, बड़े नेता चुनाव लड़ना नहीं चाहते हैं, बड़े नेता पार्टी छोड़कर जा रहे हैं,पार्टी की गलती से ही आयकर विभाग ने पार्टी के खातों को फ्रीज कर दियाहै. इससे चुनाव लड़ने के लिए पैसों की कमी हो सकती है।
हर तरह से स्थिति कांग्रेस के लिए प्रतिकूल है।ऐसे में कांग्रेस के पास एक ही रास्ता बचता है कि अपनी हार के लिए खुद को दोषी मानने की जगह दूसरों को दोषी बताना। यही काम छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल कर रहे हैं और केंद्र में राहुल गांधी कर रहे हैं। भूपेश बघेल कहते हैं कि अगर चुनाव मतपत्र से हो ता कांग्रेस की जीत तय है। वही राहुल गांधी कह रहे हैं कि बिना मैच फिक्सिग के भाजपा१८० सीट भी नहीं जीत सकती । भूपेश बघेल कह रहे है कि मतपत्र से चुनाव हो तो कांग्रेस जीतेगी यानी उनको मालूम है कि चुनाव तो ईवीएम से ही होगा यानी कांग्रेस जीतेगी नहीं। इसी बात को राहुल गांधी दूसरे ढंग से कह रहे है कि ईवीएम में गड़बड़ी कर ही भाजपा चुनाव जीत सकती है। भाजपा चुनाव में गड़बड़ी करेगी इसलिए जीतेगी। कांग्रेस हारेगी अपनी कमजोरी व गलतियाें के कारण लेकिन भाजपा अपनी जीत को ऐतिहासिक न बता सके इसलिए उसकी जीत पर ही सवालिया निशान लगाने की तैयारी की जा रही है। भाजपा चुनाव अपने दस साल के काम के कारण, भविष्य में करने वाले काम के कारण चुनाव जीतेगी, इस आधार पर तो भाजपा की जीत ऐतिहासिक मानी जाएगी। भाजपा की जीत को ऐतिहासिक न होने देने के लिए कांग्रेस ने अभी से माहौल बनाना शुरू कर दिया है कि भाजपा ईवीएम में गड़बड़ी कर चुनाव जीतती रही है तथा यह चुनाव भी वह इसी तरह जीतने की तैयारी कर रही है। भाजपा का प्रचारतंत्र कांग्रेस से ज्यादा मजबूत है इसलिए चुनाव तक कांग्रेस भले माहौल बनाती रहे लेकिन चुनाव जीतने के बाद भाजपा ऐसा माहौल बनाने में सफल हो जाएगी की यह जीत ऐतिहासिक है और कांंग्रेस की हार भी ऐतिहासिक है।