अल-अक्सा मस्जिद में मुसलमानों पर पाबंदी लगाना क्या इजराइल के लिए आसान है
इजराइल:- इजराइल के प्रधानमंत्री कार्यालय ने पिछले हफ्ते कहा था कि इस्लामी पवित्र महीने रमजान के दौरान अल-अक्सा मस्जिद में एंट्री को सीमित किया जाएगा. जिसके बाद इजराइल की इंटर्नल सिक्योरिटी एजंसी ‘शिन बैत’ ने आशंका जताई थी कि इस निर्णय से जेरूसलम के हालात बिगड़ सकते हैं. रॉयटर्स के मुताबिक इजराइल ने इस निर्णय पर अभी भी फाइनल फैसला नहीं लिया है. इजराइल सरकार के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा कि अल-अक्सा में रमजान के दौरान लगाए जाने वाले बैन पर अभी भी चर्चा हो रही है
अल-अक्सा कंपाउंड इस्लाम, ईसाई और यहूदी तीनों ही धर्म के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है. इसमें इस्लाम धर्म की तीसरे सबसे पवित्र स्थान माने जाने वाली अल-अक्सा मस्जिद मौजूद है, साथ ही ईसाई धर्म की सबसे पुरानी चर्च भी यहां पर है. यहूदी धर्म की वेस्टर्न वॉल भी यहीं है. इस कंपाउंड का कोई भी फैसला फिलिस्तीन और इजराइल के राजनीतिक मुद्दें को बढ़ावा देता है.
प्रतिबंध पर चर्चा जारी
इजराइल के चैनल 12 टीवी ने बुधवार को बताया कि प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू बेन-गविर को हटा देंगे. बता दें इंटर्नल सिक्योरिटी मिनिस्टर बेन-गविर के दबाव में पीएम ऑफिस ने अल-अक्सा में प्रतिबंध वाला बयान जारी किया था. सरकार के प्रवक्ता एवी हाइमन ने गुरुवार को कहा, “अल अक्सा के टेंपल माउंट पर प्रार्थना के मुद्दे पर अभी भी कैबिनेट में चर्चा हो रही है.” उन्होंने कहा कि कोई भी अंतिम फैसला लेने से पहले सुरक्षा और सार्वजनिक स्वास्थ्य के साथ-साथ पूजा की आजादी को भी ध्यान में रखा जाएगा. हालांकि बेन-गविर ने नेतन्याहू से 12 TV की खबरों को खारिज करने का आग्रह किया और एक्स पर लिखा, “उनके अधिकार को खत्म करने का कोई भी प्रयास “आतंकवाद के सामने आत्मसमर्पण” के समान होगा.”
शुरू हो रहा है रमजान
इस्लाम धर्म का पवित्र महीना 10 या 11 मार्च से शुरू हो रहा है. इस महीने में दुनिया भर के मुसलमान 30 दिनों तक उपवास रखते हैं. पिछले कई सालों से रमाजान के दौरान अल-अक्सा कंपाउंड में हिंसा देखने मिली है. जानकार मानते हैं गाजा जंग की वजह से इजराइल सरकार का अल-अक्सा को लेकर कोई भी फैसला खतरनाक साबित हो सकता है. हमास भी रमजान को लेकर तैयारी कर रहा है. हमास ने लोगों से अपील की है कि वो पहले रोजे के दौरान अल अक्सा मस्जिद की तरफ कूच करें. ऐसे में एक तरफ जहां इजराइल मानवाधिकार के मामले पर पूरी दुनिया की आलोचना झेल रहा है, वैसे में मुसलमानों की आस्था के इतने बड़े केंद्र में खासकर, रमजान के मौके पर पाबंदियां लगाना इजराइल के लिए एक कड़ा डिसीजन माना जा रहा है.