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ISRO ने भरी अंतरिक्ष में एक और ऊंची उड़ान, रीयूजबल विमान का सफल टेस्ट

ISRO:-  इसरो ने अंतरिक्ष में एक और ऊंची उड़ान भरी है. दरअसल भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation )ने रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल ‘पुष्पक’ का सफल टेस्ट किया. कर्नाटक के चित्रदुर्ग के एयरोनॉटिकल टेस्ट रेंज में शुक्रवार को सुबह करीब 7.10 बजे इसरो के रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल पुष्पक को बड़ी कामयाबी हासिल हुई, सफलतापूर्वक व्हीकल ऑटोमैटिक तरीके से रनवे पर लैंड हुआ.बता दें, इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को त्रिवेन्द्रम में विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र की यात्रा के दौरान इस रियूजबल लॉन्च व्हीकल (आरएलवी) मिशन के बारे में जानकारी दी थी. यह आरएलवी का तीसरा लैंडिंग मिशन था जिसका नाम रामायण के अंतरिक्ष यान के नाम पर रखा गया है. इसरो ने साल 2016 और पिछले साल अप्रैल में पिछले मिशनों को सफलतापूर्वक अंजाम दिया था. व्हीकल को भारतीय वायु सेना के हेलीकॉप्टर द्वारा लगभग 4.5 किमी की ऊंचाई तक ले जाया गया और फिर छोड़ा गया.

विमान के फायदें

इस विमान के काफी फायदें होने वाले हैं, इसरो ने बताया कि इस विमान के लॉन्च का मकसद है स्पेस तक कम लागत में पहुंचने के लिए रीयूजेबल व्हीकल, जिस में लागत भी कम लगेगी. इस के फायदें गिनाते हुए इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा, पुष्पक स्पेस तक पहुंच को किफायती बनाने का भारत का एक साहसिक कदम है. यह भारत का रीयूजबल विमान है. उन्होनें बताया कि विमान के ऊपर का हिस्सा जो कि काफी महंगा होता है, जिसमें सभी महंगे इलेक्ट्रॉनिक्स लगे होते हैं, उसको ये विमान वापस से सुरक्षित पृथ्वी पर वापस लाएगा. जिस को दोबारा इस्तेमाल किया जा सकेगा. इस तरह से इस व्हीकल के इस्तेमाल से काफी पैसों की बचत होगी. भारत स्पेस मिशन में लगने वाले खर्च को कम करना चाहता है और पुष्पक उसी दिशा में एक कदम है. पुष्पक (आरएलवी) को पूरी तरह से रीयूजबल रॉकेट, सिंगल-स्टेज-टू-ऑर्बिट (एसएसटीओ) वाहन (single-stage-to-orbit vehicle) के रूप में डिजाइन किया गया है. इसरो के अनुसार, ‘पुष्पक’ की बॉडी में डबल डेल्टा पंख है.

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