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कब संज्ञान लेना है यह तो अदालत की मर्जी है

अदालत का अपना मन होता है, अदालत की अपनी मर्जी होती है।वह स्वतंत्र होती है स्वतः संज्ञान लेने के लिए। वह किसी के कहने पर संज्ञान लेती है, उसे लगता है कि यह मामला स्वतः संज्ञान लेने का है तो वह लेती है, किसी को कहने की जरूरत नहीं पड़ती है।उसे लगता है कि यह मामला संज्ञान नहीं लेने का है तो उसे कोई मजबूर नहीं कर सकता कि वह इस मामले का भी संज्ञान ले। अदालत के पास अपना विवेक होता है।वह अपने विवेक के अनुसार किसी मामले का संज्ञान लेती है। वह किसी मामले में संज्ञान नहीं लेती है तो उसके विवेक पर कोई सवाल नहीं उठा सकता। क्योंकि बाकी लोगों के पास अदालत जैसा विवेक नहीं होता है, इसलिए उन लोगों को इस बात की शिकायत या चर्चा नहीं करनी चाहिए, सवाल नहीं उठाना चाहिए कि अदालत ने इस मामले में स्वतः संज्ञान क्यों नहीं लिया। अदालत अदालत होती है, वह किसी पार्टी के नेता की समर्थक थोड़ी न है कि नेताजी के नाराज होने की चिंता करे।

नेता के समर्थकों को तो वही करना पड़ता है जो नेता चाहता है, नेताजी जेल से छह माह बाद छूटे हैं तो स्वागत करने जाना जरूरी है। मालूम है सबको नेता जेल किस लिए गए थे लेकिन समर्थक के पास अदालत के समान विवेक तो होता नहीं है, इसलिए वह तो वही करते है जिससे नेता खुश होता है। नेता छह महीने जेल में रहने के बाद बाहर आए और समर्थक खुश होकर जेल के दरवाजे तक स्वागत करने न पहुंचे तो वह समर्थक कैसा। बलौदाबाजार हिंसा मामले में १७ अगस्त से जेल में बंद भिलाई के विधायक देवेंद्र यादव को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली तो वह शुक्रवार को जेल से रिहा हुए।

उनकी रिहाई से रायपुर व भिलाई के कांग्रेस कार्यकर्ता बहुत खुश हुए।नेता के जेल से रिहा होने पर समर्थकों को खुश होना ही पड़ता है। बहुत खुश हुए तो देवेंद्र यादव का स्वागत करने जेल रोड पहुंच गए। कांग्रेस कार्यकर्ता नेता व कार्यकर्ता बहुत खुश हो जाते हैं तो वह भूल जाते हैं कि राज्य में कानून कायदा भी है, राज्य में और लोग भी रहते हैं। तो कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने खुश होकर देवेंद्र यादव का जेल रोड में ही ऐसा स्वागत किया कि जेल रोड़ में एक घंटा जाम लग गया।कांग्रेस कार्यकर्ता खुश होता है तो कांग्रेस नेता भी खुश होता है, देवेंद्र यादव से स्वागत से बहुत खुश हुए, इतना खुश हुए कि कार पर खड़े होकर ही भाषण दे दिया।कार्यकर्ता खुश रहे तो नेता को भी बताना पड़ता है कि तुम लोग खुश हो तो मैं भी खुश हूं।

नेता कार्यकर्ता खुश होते हैं तो वह किसी की कहां सुनते हैं। जेल रोड में पुलिस समझाती रही कि जेल रोड में उनकी खुशी के कारण बहुत सारे लोग परेशान हैं, दुखी हैं, कहीं जाना चाहते हैं एक घंटा हो गया रुके हुए हैं, नहीं जा पा रहे हैं। नेता व कार्यकर्ताओं ने पुलिस की नहीं सुनी। पुलिस इंतजार करती रही कि कोई जाम से परेशान आदमी पुलिस से नेता व कार्यकर्ता की शिकायत करेगा लेकिन कोई नहीं आया तो पुलिस को खुद ही सड़क पर सभा करने व भाषण देने के मामले में देवेंद्र यादव सहित पांच छह सौ कांग्रेस कार्यकर्ताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।आरोपी बनाए गए लोगों में १३-१४ पहचाने गए लोगों के नाम है। बाकी लोगों का नाम वीडियों फुटेज देखकर जोड़ा जाएगा।

अब पुलिस भी क्या करे, वह भी तो मजबूर है। अदालत ने उसे मजबूर कर दिया है।सड़क पर केक काटने के एक मामले को पुलिस ने हल्के से लिया तो अदालत ने स्वतः संज्ञान लेकर कहा कि आप लोगों ने इतने गंभीर मामले को इतने हल्के से कैसे लिया।अदालत किसी मामले को गंभीरता से ले तो पुलिस को भी उसे गंभीरता से लेना पड़ता है, फिर कांग्रेस नेता व कार्यकर्ताओंं ने सड़क पर केक काटकर जन्म दिन मनाया तो पुलिस ने इस बार सड़क पर जन्मदिन मनाने के गंभीरता से लिया और सड़क पर जन्मदिन मनाने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की, अदालत ने पूछा कि इस मामले में क्या हो रहा है तो पुलिस को बताना पड़ा कि कांग्रेस नेता के खिलाफ कार्रवाई की गई है।

हो सकता है कि अदालत को लगे कि सड़क पर जो काम नहीं किया जाना चाहिए, वह काम कांग्रेस नेता व कार्यकर्ता क्यों बार बार करते हैं। अदालत को मालूम न हो तो पता करना चाहिए तो उसे पता चलेगा कि सत्ता चले जाने के बाद भी कांग्रेस नेताओं व कार्यकर्ताओं को लगता है कि राज्य व देश में आज भी उनकी सत्ता है। वह जो चाहे कर सकते हैं। सड़क पर केक काट सकते हैं, सड़क पर सभा कर सकते हैं।देश के सारे कानून तो उन्हीं लोगों ने बनाए हैं। कानून बनाने वालों पर भला कोई कानून लागू होता है क्या। अदालत व पुलिस को लग रहा होगा कि वह स्वतः संज्ञान लेकर कांग्रेसियों को बता रहे है कि राज्य में अब आपका राज नहीं है, कानून का राज है तो कुछ गलत नहीं कर रहे हैं लेकिन कांग्रेस नेता मन ही मन जरूर यह कह रहे होंगे तो हमारा राज आने दो तुमको बताएंगे कि कानून का राज कैसा होता है। किसी न किसी कांग्रेस नेता उस पुलिस वाले का नाम जरूर अपनी डायरी में लिख लिया होगा, जिसने कांग्रेस नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।

Mahipal Sahu

पत्रकारिता में 10 साल का अनुभव। महिपाल ने कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की पढाई की है।

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