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ईरान में पिछले साल 834 लोगों को दी गई सज़ा-ए-मौत

ईरान :- ईरान में शरिया कानून चलता है और इसके तहत काफी सख्ती भी है। सरकार भी लोगों को अपने हिसाब से चलाना चाहती है। ऐसे में कानून तोड़ने वालों को सख्त सज़ा भी दी जाती है। ईरान में लोगों को सज़ा-ए-मौत देने से भी पीछे नहीं हटा जाता। मौत की सज़ा देने के मामले में ईरान दुनिया में दूसरे नंबर पर है। जहाँ ज़्यादातर देशों में आजकल मौत की सज़ा बहुत की कम मामलों में दी जाती है, ईरान में इस तरह के कई मामले देखे जाते हैं। हाल ही में आए आंकड़ों के अनुसार 2023 में ईरान में सज़ा-ए-मौत के मामलों की संख्या हैरान कर देती है।

834 लोगों को दी गई सज़ा-ए-मौत

हाल ही में आए आंकड़ों के अनुसार ईरान में 2023 में 834 लोगों को सज़ा-ए-मौत दी गई।

2015 के बाद सबसे ज़्यादा मामले

ईरान में 2023 में सज़ा-ए-मौत के 834 मामले 2015 के बाद सबसे ज़्यादा थे। 2015 में 972 लोगों को मौत की सज़ा दी गई थी।

महसा अमीनी की मौत के विरोध में शामिल कई लोगों की दी गई थी मौत की सज़ा
16 सितंबर 2022 को 22 वर्षीय ईरानी महिला महसा अमीनी (Mahsa Amini) के हिजाब का विरोध करने के बाद उसे तेहरान (Tehran) में पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। पुलिस की ही कैद में महसा की मौत हो गई थी। पर महसा की मौत सिर्फ एक मौत नहीं थी बल्कि हत्या थी क्योंकि उसने हिजाब का विरोध किया था। महसा की मौत के बाद से ही पूरे ईरान में हिजाब के विरोध में देशव्यापी प्रदर्शनों का दौर शुरू हो गया था। महिलाओं के साथ पुरुषों ने भी इन हिजाब विरोधी प्रदर्शनों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। सरकार ने भी प्रदर्शनकारियों के खिलाफ सख्ती से पुलिस और सेना का इस्तेमाल किया। बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया गया और सज़ा भी दी गई। इनमें कई लोगों को 2023 में मौत की सज़ा भी मिली थी।

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