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Vatsavitri Puja पर बन रहे कई दुर्लभ संयोग?

सनातन धर्म में हर एक पर्व और व्रत का विशेष महत्व है। किसी भी व्रत-त्योहार को विधि-विधान से मनाया जाता है। वट सावित्री का व्रत 6 जून 2024 को है, इस दिन शनि जयंती भी है। वट सावित्री पर्व में विशेष रुप से बरगद के पेड़ की पूजा होती है और इसी वृक्ष की परिक्रमा की जाती है।

हर साल ज्येष्ठ महीने की अमावस्या तिथि को वट सावित्री का व्रत रखा जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं सौभाग्य और पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती है। अगर आप भी नई दुल्हन हैं और आप पहली बार वट सावित्री का व्रत रखने जा रहे हैं, तो आपको कुछ गलतियों से बचना है। आइए आपको बताते हैं।

इन रंग के वस्त्र न पहनें

अगर आप पहली बार वट सावित्री की पूजा करने जा रही हैं, तो आपको इस बात का विशेष ध्यान रखने की जरुरत है कि आप पूजा के दौरान कुछ विशेष रंगों के कपड़े ही पहनें। इस दिन आप लाल, पीले या हरे रंग के कपड़ों में पूजन करें। आाप इन रंगों से मिलते-जुलते रंग जैसे गुलाबी, नारंगी या मैजेंटा रंग के कपड़े ही पहनें।

बरगद की टहनी या पत्ते न तोड़ें

यदि आप पहली बार वट सावित्री का व्रत कर रही हैं, तो बरगद के वृक्ष की ही पूजा करें। आप पूजा के लिए घर में बरदग की टिहनी तोड़कर न लाएं। अगर आप इस दिन वट वृक्ष की टहनी तोड़ती हैं या फिर पत्ते पेड़ से अलग करती हैं, तो आपको पूजा का फल नहीं मिलेगा।

सोलह श्रृंगार करना जरुरी

अगर आपकी नई शादी हुई है तो आपको पहली बार वट सावित्री की पूजा करने जा रही हैं, तो सोलह श्रृंगार के बिना पूजा न करें। सुहागिन महिला को पूजा के दौरान सोलह श्रृंगार करना जरुरी है। इस दिन भूलकर भी आप काले या सफेद रंग की चूड़ी और श्रृंगार सामग्रियों का इस्तेमाल करने से बचें।

शुभ मुहूर्त में ही करें वट सावित्री पूजा

नवविवाहिता पहली बार सावित्री की पूजा करने जा रही हैं, इस बात का ध्यान रखने की जरुरत है कि सदैव शुभ मुहूर्त में ही पूजा करें। कई बार हम जल्दबाजी में पूजा के लिए शुभ मुहूर्त का ध्यान नहीं रखते हैं। मान्यता है कि यदि पूजा शुभ मुहूर्त में नहीं की जाती है, तो इससे आपके जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

बरगद की परिक्रमा ढंग से करें

हमेशा इस बात का ध्यान रखे कि बरगद की परिक्रमा ठीक तरीके से करें। आप पहली बार पूजा करने जा रही हैं और परिक्रमा के सही नियमों को नहीं जानती हैं, तो आपको पूजा से पहले परिक्रमा के नियमों की जानकारी जरुर लें। भूलकर भी बरगद की उल्टी दिशा में परिक्रमा न करें। इस दिन बरगद के वृक्ष की 7 परिक्रमा करनी चाहिए। अगर आप गलत तरीके से परिक्रमा करते हैं, तो आपको इसके नकारात्म

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