सिहावा – नगरी, दीपेश निषाद। गौरतलब है की वन संरक्षण अधिनियम के तहत वन्यजीवों को संरक्षित करने के लिए विभाग द्वारा विभिन्न स्थानों पर पेयजल की व्यवस्था की जाती है।
इसी तारतम्य में पशुओं हेतु जल संरक्षित करने भिन्न – भिन्न स्थानों पर स्टाप डेम निर्माण करवाया गया है, जिसका निर्माण स्वयं विभाग के आला अफसरों की निगरानी में करवाया गया है, पर देखा जा रहा है कि नगरी रेंज में यह एक गंभीर प्रकरण के रूप में सामने आया है जिसने विभाग की पोल पट्टी खोलकर रख दी है।
बता दे की नगरी समीपस्थ बीट क्रमांक 353 भालूपानी नाला में लाखों रुपए की लागत से स्टाप डेम बनाया गया है जो महज हल्के बारिश में ही क्षतिग्रस्त हो चुका है।
आखिर अब इसका जिम्मेदार कौन है ?
विभाग के निर्देशन में बनने के बाद इस प्रकार की लापरवाही निश्चित रूप से सोची समझी भ्रष्टाचार का परिणाम है, साथ ही नगरी सामान्य वन मंडल का एक भाग मतलाहीन नाला बीट क्रमांक 272 में डाइक व स्टॉप डेम का निर्माण किया गया है जो पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुका है ऐसे में अब जवाब देही कौन है ? और आखिर अब इसका रिकवरी किससे निकाला जाएगा ? साथ ही वन मंडल अधिकारी के रूप में बैठे अफसर अब किस पर दोषारोपण करेंगे,
क्या बर्खास्त होगा बिटगार्ड
डिप्टी रेंजर या फिर रेंजर ?, लाखों रुपए के भ्रष्टाचार का रिकवरी कैसे होगा ?, जिला वन मंडल अधिकारी ने इस संदर्भ में कहा की मामला बहुत ही गंभीर है बारीकी से जांच पड़ताल कर दोषियों पर कड़ी से कड़ी कार्यवाही कर विभागीय रिकवरी निकाला जाएगा और अब यह मामला विभाग के संज्ञान में है अविलंब इस पर कार्यवाही की जाएगी।