रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने स्कूलों और शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण के ड्राफ्ट पर अपनी मुहर लगा दी है। इस फैसले के बाद युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया के आरंभ का मार्ग साफ हो गया है। स्कूल शिक्षा विभाग ने मुख्यमंत्री को युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया का ड्राफ्ट तैयार करके भेजा था, लेकिन कुछ बिंदुओं पर स्थिति स्पष्ट न होने की वजह से अधिकारियों को पुनः सीएम हाउस बुलाया गया था। इस बैठक में स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव और डीपीआई ने प्रेजेंटेशन दिया और उसके बाद मुख्यमंत्री ने ड्राफ्ट को हरी झंडी दे दी।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया शीघ्र शुरू की जाए। सरकार के करीबी सूत्रों के अनुसार, सोमवार, 5 अगस्त से युद्ध स्तर पर काम प्रारंभ हो जाएगा। राज्य के 300 गांवों में स्कूल शिक्षक विहीन हैं, 5500 स्कूल सिंगल टीचर के भरोसे हैं और शहरों में 7300 शिक्षक अतिशेष हैं।
सरकार पहले स्कूलों का युक्तियुक्तकरण करेगी और इसके लिए होमवर्क लगभग पूरा हो चुका है। एक हफ्ते के भीतर आदेश जारी कर दिए जाएंगे कि किन जिलों के कितने स्कूल इस योजना के तहत आएंगे। प्रारंभिक आकलन के अनुसार, 3500 स्कूलों का युक्तियुक्तकरण होना था, लेकिन अब यह संख्या बढ़कर 4000 हो गई है। इसके अलावा, लगभग 1500 स्कूल ऐसे हैं, जिनमें विद्यार्थियों की संख्या 10 से कम है और 100 से अधिक स्कूलों में शिक्षक राष्ट्रीय मानक से अधिक हैं। ऐसे स्कूलों को आसपास के स्कूलों में मर्ज किया जाएगा।
युक्तियुक्तकरण के बाद करीब 6000 शिक्षक और अतिशेष हो जाएंगे, जिससे कुल 13000 शिक्षक उपलब्ध हो जाएंगे। अधिकारियों का दावा है कि इतने शिक्षकों के बाद शिक्षक विहीन और सिंगल टीचर वाले स्कूलों की समस्या दूर हो जाएगी और नई शिक्षक भर्ती की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
सरकार ने अतिशेष शिक्षकों की पोस्टिंग का अधिकार जिले के कलेक्टरों को दिया है। सहायक शिक्षक, शिक्षक और व्याख्याता के ट्रांसफर कलेक्टर करेंगे और वे जमीनी हकीकत को देखते हुए निर्णय लेंगे। कलेक्टरों द्वारा ट्रांसफर करने के बाद बची हुई पोस्टिंग पर ज्वाइंट डायरेक्टर और डीपीआई निर्णय लेंगे।
छत्तीसगढ़ सरकार ने स्कूलों में शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए युक्तियुक्तकरण का फैसला लिया है। युक्तियुक्तकरण का अर्थ है कि जिन स्कूलों में राष्ट्रीय मानक से कम विद्यार्थी होंगे, उन्हें आसपास के स्कूलों में मर्ज किया जाएगा और जिन स्कूलों में शिक्षक अतिशेष होंगे, उनका ट्रांसफर कर शिक्षक विहीन या सिंगल टीचर वाले स्कूलों में पोस्ट किया जाएगा। इस कदम से राज्य में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होने की उम्मीद है।