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गठबंधन धर्म निभाते हुए अमृतकाल के संजोए सपने को पूरा करेगा आम बजट

- कमलेश पांडे

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जब 23 जुलाई मंगलवार को वित्तीय वर्ष 2024-25 का बजट पेश किया तो किसी को अमृतकाल और विकसित भारत की आहट मिली, तो किसी को वही रटी रटाई पश्चाताप जो पिछले 10 सालों से होती आई है और अगले 15 सालों तक रहने वाली है, यदि इस बीच गठबंधन की गांठ नहीं खुली तो। भले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बजट को अमृतकाल का महत्वपूर्ण बजट बताया और कहा कि यह अगले पांच साल के लिए हमारी दिशा तय करने के साथ ही 2047 तक विकसित भारत की आधारशिला रखेगा। लेकिन उनकी बातों में, बजट अभिभाषण में, और बजट प्रस्तावों में मीन मेख निकालने वाले नेताओं की कमी नहीं दिखी।

बावजूद इसके केंद्रीय बजट 2024 एक संतुलित बजट है, क्योंकि इसमें महिलाओं, युवाओं, गरीबों, किसानों के हित को सामने रखकर विभिन्न आवश्यक व लोकहितकारी घोषणाएं की गई हैं। देखा जाए तो प्रधानमंत्री मोदी के अमृत काल वाले विकसित भारत के संकल्प की प्रतिबद्धता को दोहराता हुआ बजट है। जिससे पूरी उम्मीद है कि यह बजट प्रधानमंत्री मोदी के विकसित भारत के मिशन को पूरा करेगा। वहीं, इस केंद्रीय बजट में क्षेत्रीय असंतुलन को संतुलन में लाने की कोशिश की गई है, जो आगे भी जारी रखी जायेगी, ऐसे संकेत मिले हैं। क्योंकि देश के कुछ पिछड़े क्षेत्र हैं जिन्हें पिछली सरकारों ने नजरअंदाज किया है, इसलिए विकास की गंगा वहां तक पहुंचाना समावेशी विकास की सबसे बड़ी जरूरत है।

शायद इसी नजरिए से बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, ओडिशा और पूर्वोत्तर के राज्यों के लिए की गई विभिन्न घोषणाओं से पूर्वी भारत की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा। इस लिहाज से बजट में 11 लाख करोड़ रुपये से अधिक का पूंजीगत व्यय आवंटित किया गया है।

केंद्रीय बजट में एक तरफ आंध्र प्रदेश को 15 हजार करोड़ रुपए और आगामी वर्षों में अतिरिक्त धनराशि की व्यवस्था की घोषणा की गई, जो अच्छी बात है। तो दूसरी तरफ बिहार को 26 हजार करोड़ रुपये देने का ऐलान किया गया है। ऐसा करके वित्त मंत्री ने अपने दोनों गठबंधन साथियों टीडीपी और जदयू को साधने की पहल की है, जो समझदारी भरा कदम है। इन दोनों राज्यों के आर्थिक हितों का ख्याल रखने से एनडीए सरकार पांच सालों तक चलती रहेगी और आगे के भी चुनावों में उम्दा प्रदर्शन करती रहेगी।

इस आम बजट को युवाओं और महिलाओं के सपनों का बजट भी करार दिया गया है। क्योंकि इनके दृष्टिगत कौशल विकास और रोजगार सृजन की जो घोषणाएं हुई हैं, वह ऐतिहासिक हैं। इस प्रकार इस बजट में पीएम मोदी का विकसित भारत का सपना पूरी तरह से झलकता है। वहीं, अगर विपक्ष ने इस बजट की आलोचना की है तो इसका मतलब यह भी लगाया जा रहा है कि बजट अच्छा है, क्योंकि आलोचना करना तो उनका विपक्ष धर्म है। जिसका निर्वहन करने के लिए भी यह सरकार पूरे मौके देती है।

इस बारे में एक तरफ सत्ताधारी टीडीपी कहती है कि वाईएसआर कांग्रेस के नेता व पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी दिल्ली जाकर राज्य की छवि को खराब करने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने राज्य के विकास और कल्याण को लेकर वित्तीय सहायता के लिए दो बार दिल्ली गए और आंध्र प्रदेश के विकास के लिए 15000 करोड़ का विशेष पैकेज लेकर आए। वहीं दूसरी तरफ विपक्षी इंडिया गठबंधन की राजद सांसद और बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी कहती हैं कि राज्य में हत्या और चोरी हो रही है। मजदूरों को उनकी मजदूरी नहीं मिल रही है। युवाओं को नौकरियां नहीं मिल रही और किसानों की समस्या अभी भी जस की तस बरकरार है। ऐसे में बिहार को 26 हजार करोड़ रुपये आवंटित करना बिहार को झुनझुना देने के बराबर है।

सच कहूं तो पंजाब से लेकर महाराष्ट्र तक केंद्रीय बजट 2024 की आलोचना हो रही है। जहां पंजाब के संसद सदस्यों ने केंद्रीय बजट में धन आवंटन के मामले में उनके राज्य को अनदेखा करने का आरोप लगाया और विरोध प्रदर्शन तक किया। वहीं, महाराष्ट्र के महाविकास अघाड़ी के नेताओं ने भी ताजा बजट में उनके राज्य की उपेक्षा करने का आरोप मढ़ते हुए संसद के बाहर प्रदर्शन तक किया। जबकि महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई को देश की आर्थिक राजधानी कहलाने का गौरव प्राप्त है। बजट में महाराष्ट्र को नजरअंदाज करना भाजपा को आगामी विधानसभा चुनाव में भारी पड़ सकती है, क्योंकि यहां की जनता ही असली सबक सिखाएगी।

विपक्ष की इस राय में दम है कि पिछले दस वर्षों से मोदी सरकार से कोई उम्मीद नहीं है। क्योंकि हम सिर्फ नारे सुनते रहते हैं। आज के बजट में भी जुमले ही अधिक रहे। लिहाजा, इस सरकार से कोई उम्मीद नहीं है। न तो उन्हें सरकार चलाने आता है और न ही उन्हें लोगों के दर्द से कोई मतलब है।

मौजूदा केंद्रीय बजट पर उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश और पश्चिम बंगाल के नेताओं ने जिस तरह से नाखुशी दिखाई है, उस तरह से वैकल्पिक सुझाव नहीं दिए कि इसके बदलते क्या किया जाना चाहिए। यूपी की समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने ठीक ही कहा कि सरकार बचानी है तो अच्छी बात है कि बिहार और आंध्र प्रदेश को विशेष योजनाओं से जोड़ा गया है। लेकिन टीम मोदी ने जो पिछले 10 वर्षों में बेरोजगारी बढ़ा दी है, उसके दृष्टिगत किये गए कोई ठोस उपाय नजर रही आते।

इस बजट में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर भी मोटा आवंटन होना चाहिए था, लेकिन बजट में कुछ भी नहीं किया गया है। किचन का ध्यान तक नहीं रखा गया है, क्योंकि सरकार मंहगाई के बारे में कोई कदम नहीं उठाना चाह रही है। यही वजह है कि उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने दो टूक कहा कि, अगर मुख्य बातें सामने आ गईं तो सरकार की पोल खुल जाएगी। क्योंकि सरकार गलत है और दिखावा कर रही है। इस बजट में कुछ भी नहीं है और यह केवल गुमराह करने वाला है।

सीधा सवाल है कि उनको मुख्य बातें सामने लाने से रोक कौन रहा है। यदि कुछ होगा, तब तो लाएंगे। उनके लाने का इंतजार रहेगा, ताकि सरकार की पोल पट्टी खुले, यदि कुछ अंदरखाने चल रहा हो तो। मोदी सरकार का पुराना इतिहास बताता है कि ये 2 करोड़ रोज़गार के वादे के साथ सत्ता में आई थी। लेकिन अब 10 साल बीत जाने के बाद चार करोड़ रोजगार पैदा करने की बात करती दिखाई पड़ी, जिसे लोग दोगुना झूठ समझते हैं। उनका तंज है, डबल इंजन की नरेंद्र मोदी की सरकार यानी डबल झूठ। इसका आशय स्पष्ट है कि यह कुर्सी बचाओ बजट है। जब पिछले दस वर्षों में बेरोजगारी दूर नहीं हुई तो अब कोई नई उम्मीद कैसे बांधी जा सकती है। हमलोग इस बारे में सिर्फ नारे सुनते रहे और आज भी बजट के जुमले ही ज्यादा मिले। लिहाजा, इस सरकार से किसी को कोई उम्मीद नहीं है। क्योंकि न तो उन्हें सरकार चलाने आता है और न ही उन्हें लोगों के दुःख-दर्द से कोई मतलब है। वे बजट बहुत कुछ बोलती हैं, लेकिन किसानों के लिए उन्होंने क्या किया? किसानों के लिए तीन कानून लाए गए, जिसे पूर्णतया वापस लेना चाहिए। इसका स्वरूप बदलकर कभी भी उसपर अमल नहीं किया जाना चाहिए।

इस बजट को जबरदस्त चालाकी भरा बजट भी करार दिया जा सकता है क्योंकि इसमें आम आदमी के सामने आने वाले मुद्दों के बारे में कुछ खास नहीं कहा गया। खासकर मनरेगा का कोई जिक्र नहीं किया गया। वहीं, आम व्यक्ति की आय में सुधार के लिए उठाए गए कदम भी अपर्याप्त हैं। जब बात गंभीर आय असमानता की आती है तो सरकार की ओर से इसे दूर करने वाले प्रयास भी बहुत कम देखने को मिलते हैं, जो दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है।

कुल मिलाकर यह बजट कांग्रेस के घोषणापत्र का कॉपी है। जिसमें सबसे महत्वपूर्ण चीज युवा निधि योजना है। इसके तहत सरकार ने अप्रेंटिसशिप प्राप्त करने वाले प्रत्येक युवा को 5000 रुपये देने की घोषणा की है। इससे यह साबित होता है कि मोदी सरकार राहुल गांधी के विचारों को कॉपी कर रही है। यह खुशी की बात है। हालांकि, इस सरकार ने आंध्र प्रदेश व बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने से इनकार कर दिया गया और दोनों राज्यों को विशेष पैकेज का लॉलीपॉप थमा दिया।

इसलिए सियासी गलियारे में यह सवाल उठ रहा है कि, क्या निर्मला सीतारमण ने सिर्फ बिहार और आंध्र प्रदेश के लिए बजट पेश किया। या फिर यह महज बैसाखी के सहारे खड़ा रखने वाला बजट है। दरअसल, भाजपा नीत एनडीए सरकार को मालूम है कि अगर बजट बिहार और आंध्र प्रदेश के पक्ष में नहीं होता तो उनकी सरकार गिर जाती। लिहाजा, निर्मला सीतारमण ने भारत नहीं बल्कि एनडीए को फायदा पहुंचाने वाला बजट पेश किया है।

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