देशब्रेकिंग न्यूज़
Trending

राजा, प्रजा की रक्षा का कर्त्तव्य निभाये: मोहन भागवत

नई दिल्ली ।राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि हिन्दू संस्कृति में शत्रु का वध भी उसकी कल्याण की कामना के साथ अंतिम उपाय के रूप में किया जाता है क्योंकि राजा का कर्त्तव्य प्रजा की रक्षा करना है और राजा को यह कर्त्तव्य अवश्य निभाना चाहिए।

डॉ. भागवत ने यहां प्रधानमंत्री संग्रहालय में विश्व हिन्दू परिषद के संयुक्त महामंत्री स्वामी विज्ञानानंद की पुस्तक ‘दि हिन्दू मैनिफेस्टो’ के विमाेचन के बाद समारोह को संबोधित कर रहे थे। सरसंघचालक ने कहा कि विश्व आज दो रास्तों पर चल रहा है। लेकिन आज विश्व का तीसरे रास्ते की आवश्यकता है। दुनिया भर के चिंतकों को यह सोचना होगा। उन्होंने कहा कि कुछ सदियों में कई प्रयोग हुए हैं लेकिन सफलता नहीं मिली। सुविधा, सुख बढ़े लेकिन समाधान नहीं निकला। भूमि अशुद्ध हो गयी। विकास हुआ। विश्व के पीछे जड़ता है चैतन्यता नहीं। दुनिया ने दाेनों प्रकार के पर्याय देखे हैं। तीसरा पर्याय केवल भारत में है।

डॉ. भागवत ने कहा कि भारत का कर्त्तव्य है कि वह मानवता को तीसरा पर्याय दे तीसरा रास्ता दिखाए। पूर्णता देने की क्षमता हमारी परंपरा में है। पूर्णदृष्टि के कारण ही श्रीमद्भागवत् गीता के मूल को समझें तो यह हर देश काल परिस्थिति के सुसंगत है। हालांकि इस बार बीते 12-15 सौ साल से इस दिशा में कोई विचार नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि एक कालखंड था जब हम वैभव और ज्ञान की परम स्थिति में थे। सुरक्षित एवं सुखी थे। ऊंच-नीच, छुआछूत, भेदभाव का कोई अस्तित्व नहीं था। शास्त्रों के आधार पर भेदों का शमन किया। उन्होंने कहा कि इस पुस्तक ने हमें उन्हीं मूल्यों का स्मरण कराया है। आने वाले समय में इससे विचार मंथन होगा और तब एक परिमार्जित भाष्य आएगा।

उन्होंने कहा कि पर्याय देने के लिए शास्त्रार्थ शुरू करना जरूरी है। हमें दुनिया को सिखाना है कि हमारा विचार अहिंसक बनाने का है। रावण को मारना भी अहिंसा ही है, क्योंकि कुछ भी कर लो वो नहीं सुधरेगा। रावण का वध, रावण के कल्याण हेतु था। हम शत्रु को देखें तो यह देखें कि वह खराब है या अच्छा है। भगवान ने बताया कि आतताइयों को मारना हमारा धर्म है। गीता में बताया कि अर्जुन का कर्तव्य है कि वो लड़े और मारे। जिनका कोई इलाज नहीं है। अंतिम उपाय के रूप में उनको हम कल्याण के लिए भेज देते हैं ताकि वह नये शरीर, नये मन, नयी बुद्धि के साथ वापस आये।

Related Articles

Back to top button

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker