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पुरस्कार तो ज्यादा से ज्यादा मिलना चाहिए

हर क्षेत्र की तरह खेल के क्षेत्र में भी बहुत संभावना होती है।इस क्षेत्र में आने वाले युवा भी सोचते हैं कि वह एक दिन राष्ट्रीय स्तर पर खेल कर अपने प्रदेश का नाम रौशन करेंगे।

उनका भी अच्छा कैरियर होगा, वह सारी सुविधाएं उनको भी मिलेंगी जिससे वह और अच्छा खेलकर विश्व कप, ओलपिक की तैयारी कर सकेंगे, देश के बेहतरीन खिलाड़ियों के बीच अपने को सबसे अच्छा खिलाड़ी साबित करेंगे।इसके लिए जरूरी होता है कि जिस राज्य के वह हैं,वहां की राज्य सरकार नहीं हर राज्य सरकार उनकी बेहतरी के लिए काम करें।

अच्छे स्टेडियम, खेल कांप्लेक्स बनवाए, खेल अकादमी की व्यवस्था करें,खिलोडियों के रहने,खानेे,प्रशिक्षण,खेल सामान,कोच आदि की व्यवस्था करे।

यह कोई पांच साल में नहीं हो जाता है, इसके लिए सरकारों को राजनीति से ऊपर उठकर निरंतर हर साल काम करना पड़ता है।कई सरकारें जब बीस, पच्चीस साल तक ईमानदारी से काम करती है तो कहीं जाकर मेहनत का परिणाम सामने आता है। प्रदेश का कोई खिलाड़ी राष्ट्रीय खिलाडी़ बनता है। नेशनल लेवल पर पदक जीत पाता है।

छत्तीसगढ़ जैसे राज्य के लिये तो पहले किसी खेल का राष्ट्रीय खिलाड़ी बनाना ही सबसे बड़ी चुनौती है। राष्ट्रीय खिलाड़ी का मतलब यह नहीं होता है कि किसी ने नेशलन खेल लिया तो वह राष्ट्रीय खिलाड़ी हो गया। राष्ट्रीय खिलाड़ी मतलब होता है देश के लिए खेलने वाला खिलाड़ी। देश की टीम में खेलने वाला खिलाड़ी।

जब सैकड़ों में कोई एक राष्ट्रीय खिलाड़ी बनता है तो उसके ओलंपिक,विश्व कप आदि विश्वस्तरीय प्रतियोगिता में खेलने की उम्मीद की जा सकती है। जरूरी नहीं होता है कि विश्वस्तरीय भाग लिया तो वह पदक जीत ही जाएगा। पेरिस ओलंपिक में भारत की तरफ से सौ से ज्यादा लोग गए थे और पदक जीते भारत ने छह।

वह भी एक सिल्वर, पांच कांस्य। देश के सबसे बेहतरीन खिलाड़ी ओलंपिक में एक गोल्ड नहीं जीत पाए क्योंकि दूसरों से पिछड़ गए। जीतने से चूक गए।सबक यह है देश के लिए कि वह दूसरों को पीछे छोड़ने वाले खिलाड़ी तैयार करे, न चूकने वाले खिलाड़ी तैयार करे।

यह अच्छी बात है कि साय सरकार ने घोषणा की है कि यदि राज्य का कोई खिलाड़ी ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतकर आएगा तो उसको तीन करोड़ रुपए पुरस्कार दिया जाएगा।रजत जीतने वाले को दो करोड़ व कांस्य जीतने वाले को एक करोड़ रुपए दिया जाएगा।छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद से राज्य की सरकारें व राज्य के लोग और खिलाड़ी भी यह सपना देख रहे हैं कि हमारे राज्य का खिलाड़ी कब ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतेगा।

पुरस्कार राशि करोड़ो में मिलने से अब खिलाडी भी सपना देख सकते हैं। सपने देखना कोई बुरी बात नहीं है। सपने का साकार न होना निराश करता है। कई राज्य सरकारों ने ओलंपिक पदकधारियों के लिए पुरस्कार राशि की घोषणा पहले ही कर दी है, अब साय सरकार ने भी कर दी है तो अच्छी बात है कि हम भी खिलाड़ियों को ज्यादा से ज्यादा पुरस्कार राशि देने में किसी राज्य से पीछे नहीं है।

खेल व खिलाड़ियों के लिए जरूरी अधोसंरचना निर्माण की घोषणा भी साय सरकार ने की है।जशपुर, रायगढ़ में इंटीग्रेटड स्पोर्ट्स कांप्लेक्स बनेगा, नया रायपुर में मल्टीपरपज इंडोर स्टेडियम व सिंथेटिक फुटबाल मैदान विथ रनिंग ट्रैक बनाए जा रहे है। हर सरकार खेल गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए कुछ न करती है, कुछ न कुछ बनवाती है।

खेल के लिए अधोसंरचना बनाना ही काफी नहीं होता है, उस पर आए दिन खेलों का आयोजन भी तो होना चाहिए। उसकी देखभाल तो ठीक से होनी चाहिए।आए दिन पढ़ने के मिलता है कि क्रिकेट स्टेडियम, खेलों के लिए बनाए गए स्टेडियमों की देखरेख तक के लिए सरकार व खेल विभाग के पास पैसा नहीं है।

इसके बाद आती है बात खिलाडियों के सम्मान की तो हर सरकार को खिलाडियों के सम्मान का पूरा ख्याल रखना चाहिए। ऐसा तो किसी सरकार को करना नहीं चाहिए जैसा भूपेश सरकार ने किया। भूपेश सरकार को नेशनल व इंटरनेशनल लेवल पर २०-२१ व २१-२२ में मेडल जीतने वालों का सम्मान करना था लेकिन उसके पास इसके लिए समय ही नहीं था।

खिलाड़ियों के सम्मान का यह काम साय सरकार ने किया है।खेल विभाग की ओर से छह महीनेे में दूसरी बार खेल अलंकरण समारोह का आयोजन किया गया है। इससे खिलाड़ियों का उत्साह बढ़ा है।

वह प्रदेश के लिए खेलते हैं, बरसों मेहनत करते हैं और बदले में साल में एक बार सम्मान चाहते है तो कोई भी सरकार उनका सम्मान तक न करे तो उनको बहुत बुरा लगता है। साय सरकार ने दो साल मेडल जीतने वाले ५०२ खिलाडियों को अगस्त में ६०.३३ लाख रुपए और अलंकरण के लिए चुने गए ९७ खिलाडियों को ७६ लाख रूपए बांटे है इस तरह कुल १.३६ करोड़ रुपए खिलाड़्यों को बांटे गए हैं.। इससे पहले हुए १४ मार्च को हुए खेल अलंकरण समारोह में खिलाड़ियों को १.४१ करोड़ रुपए दिए गए थे।

साय सरकार ने खिलाड़्यों का सम्मान किया और उनको एहसास दिलाया है कि आप लोग भी हमारे लिए खास हो। यह अच्छी बात है। होता यह है कि खिलाड़ियों के मेडल जीतने से किसी सरकार को कोई राजनीतिक फायदा तो नहीं होता है।

राजनीतिक दल न चुनाव जीतता है और हारता है,खिलाड़ी कोई वोट बैंक भी नहीं है कि उनका सारे राजनीतिक दल खास ख्याल रखें। फिर भी हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि खिलाड़ी राज्य का,देश का गौरव ब़ढ़ाने वाले होते हैं, इसलिए राजनीतिक दलों को

को ही नहीं आम लोगों को उनके लिए समय निकालना चाहिए और उनका सम्मान करना चाहिए।

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