कोई अच्छा काम करना चाहता है तो कई बार पार्टी को सत्ता नहीं मिलती है।कई बार सत्ता मिलती है तो काम करने का मौका नहीं मिलता है। बहुत ही कम लोग इतने भाग्यशाली होतो हैं कि पार्टी को सत्ता भी मिलती है और काम करने का मौका भी मिलता है।राज्य के बृजमोहन अग्रवाल ऐसे ही नेता हैं। पार्टी को सत्ता मिलने पर उन्हें कई बार अपने मन का काम करने का मौका मिला। उन्होंने वह काम किया भी इस तरह से कि पूरे राज्य का नाम हुआ। साथ ही उनका नाम भी हुआ।
अपने समय में बृजमोहन अग्रवाल ने राजिम मेला को ऐसा स्वरूप दिया कि उसकी चर्चा राष्ट्रीय स्तर पर हुई। देश के साधु संतो का हर साल राजिम आना राज्य के लोगों के लिए सौभाग्य की बात रही।राज्य के लोगों के लिए राजिम मेला दूसरे मेला की तरह एक सामान्य मेला रहा। बृजमोहन अग्रवाल के पास राजिम मेला के लिए एक अलग विजन था, इसलिए वह राजिम मेला को राजिम कुंभ का स्वरूप दे सके। अब वह चाह रहे हैं कि काशी व उज्जैन की तरह राजिम कारीडोर बनाया जाना चाहिए। शक्तिपीठों को जोड़ने व विकसित करना चाह रहे हैं। राज्य के पर्यटन स्थलों का विकास कर राज्य की आय बढाना चाहते हैं। यह अच्छी सोच है।
यह सोच पीएम मोदी के आने के बाद देश में पैदा हुई है। देश में पीएम मोदी ने ही सबसे पहले प्राचीन तीर्थस्थलों को दिव्य व भव्य रूप देने की सोची और कम समय में ही दिया भी। इससे उनको जो यश मिला है,वह देश के अन्य नेताओं के लिए ईर्ष्या की बात हो सकती है। क्योंकि पीएम मोदी का यह काम ऐसा है जिससे उनको आने वाले सौ दो सौ बरस तक देश के लोग याद करेंगे।जब भी काशी,उज्नैन, अयोध्या मंदिर की बात होगी तो उनका नाम लिया जाएगा।
काशी,उज्जैन के बाद कई राज्यों में सीएम ने ऐसा काम किए जिससे उनका नाम अमर हो गया है।जैसे शिवराज सिंह चौहान मप्र मेें अव्दैत धाम बनाकर यश प्राप्त किया है तो ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक ने जगन्नाथ कारीडोर बनवाकर नाम अमर कर लिया है। बृजमोहन अग्रवाल भी राजिम कारीडोर के रूप में ऐसा काम करवाना चाहते हैं जिससे उनका नाम भी अमर हो जाए। लोग याद रखें कि राजिम कारीडोर बृजमोहन अग्रवाल ने बनवाया था।
जब चौथी बार छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार बनी थी। बृजमोहन अग्रवाल ने इसके लिए केंद्र सरकार से सहयोग का आग्रह किया है। यह काम सराहनीय है, इसमें केंद्र का सहयोग जितना जल्दी मिलेगा,राजिमय कारीडोर को उतनी ही जल्दी बनाया जा सकेगा। यह काम भूपेश बघेल के रामवनगमन पथ की तरह नही होना चाहिए की सरकार चली गई और काम अधूरा रह गया।यह तो अच्छी बातहैकि राज्य सरकार इस काम को छत्तीसगढ़ के लिए अहम मानकर नए स्थलों को जोड़कर और भव्य रूप देना चाहती है।
नेताओंको पीएम मोदी से सीखना चाहिए कि दिव्य व भव्य काम कैसे समय पर पूरा किया जाता है।वह शिलान्यास भी करते हैं और उद्घाटन भी इसीलिय कर पाते हैं कि काम समय पर होता है। पीएम मोदी ने एक दो नहीं कई बड़े काम कम समय में कराएं हैं। चाहे नया संसद भवन हो, भारत मंडपम हो, काशी कारीडोर हो उज्जैन कारीडोर हो। राजिम कारोडोर के लिए केंद्र का सहयोग मिल जाता है तो अच्छी बात है। नहीं मिलता है तो राम मंदिर की तरह राज्य की जनता के पैसे से राजिम कारीडोर का काम करवाया जाना चाहिए।राज्य की जनता अयोध्या के मंदिर के लिए चंदा दे सकती है तो राजिम के मंदिर के लिए खुल दिल से चंदा दे सकती है। आखिर यह प्रदेश के गौरव व सम्मान की बात है। सभी को सहयोग करना चाहिए।