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सांसारिक इच्छाओं से केवल वासनाओं की संतुष्टि होती है : आचार्य महादेवानंद अवधूत
रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य सेमीनार के समापन सत्र में मुख्य प्रशिक्षक आचार्य महादेवानंद अवधूत ने श्री आनंद मूर्ति के आध्यात्मिक दर्शन को विस्तार से समझाया और बताया कि मनुष्य जीवन का परम लक्ष्य ब्रह्मोपलब्धि केवल आध्यात्मिक अनुशीलन से ही संभव है।
उन्होंने कहा कि सांसारिक इच्छाओं की पूर्ति से केवल वासनाओं की संतुष्टि होती है, जबकि ब्रह्मोपलब्धि के लिए व्यक्ति को अपने मनोभावों को
उन्नत करना आवश्यक है। आचार्य महादेवानंद ने धर्म के पाखंड और सामाजिक कुरीतियों पर कड़ा प्रहार करते हुए, तंत्र और योग की शक्ति का उल्लेख किया और बताया कि इन साधनाओं के द्वारा मनुष्य अपने संकीर्ण और क्षुद्र भावनाओं से उठकर परम चैतन्य को प्राप्त कर सकता है।
आचार्य अर्पितानंद अवधूत ने तांडव और कोशिकी नृत्य का अभ्यास कराते हुए इसके यौगिक और तकनीकी महत्व को स्पष्ट किया।