ईरान में सालभर में 299 को दे दी गई मौत की सजा, यूएन ने बताया खतरनाक…
ईरान में हिजाब का विरोध करने और सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद करने को लेकर कड़ा कानून बना दिया गया है।
लोगों की आवाज दबाने का हर प्रयास किया जाता है। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि महसा अमीनी की मौत के बाद हुए विरोध के दौरान ईरान में कम से कम 299 लोगों को मौत की सजा दे दी गई।
वहीं ईरान का कहना है कि उसने केवल एक शख्स को मौत की सजा दी है जो कि इजरायल के लिए जासूसी करता था।
ईरान के प्रशासन ने कहा है कि शख्स को मोसाद को खुफिया जानकारी देते हुए पकड़ा गया था। वह देश में कानून व्यवस्था को भी बिगाड़ना चाहता था।
नवंबर के महीने में यूएन ने भी चेतावनी देते हुए कहा था कि ईरान में जिस तरह से लोगों को मौत की सजा दी जा रही है, वह बेहद खतराक है।
साल के शुरुआती सात महीने में ही कम से कम 419 लोगों की मौत की सजा सुना दी गई। यह एक साल पहले के मुकाबले 30 फीसदी ज्यादा था।
ईरान में इस तरह की हत्या के मुख्य शिकार कुर्दिश और बलूची अल्पसंख्यक होते हैं। मौत की सजा दिए जाने वालों में एक बच्चा और दो महिलाएं भी थीं।
इन्हें नवंबर के महीने में मौत के घाट उतार दिया गया था। ईरान में विपक्षी दल की प्रवक्ता शाहीन गोबादी ने कहा कि ईरान इस समय खुद अपने ही लोगों के साथ युद्ध लड़ रहा है और आने वाले समय में यह बहुत बड़ा संकट बनने वाला है।
जानकारी के मुताबिक महसा अमीनी की मौत के बाद हुए प्रदर्शनों में भी 500 से ज्यादा लोग मारे गए थे। इसके अलावा हजारों को लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया।
शाहीन गोबादी ने कहा, यहां के मुल्ला लोगों को वैचारिक रूप से ऊपर नहीं उठने देना चाहते। उन्होंने कहा कि समय आ गया है जब कि ईयू और यूके को निंदा करना छोड़र कोई कदम उठाना चाहिए। नॉरवे के ह्यूमन राइट्स संगठन की रिपोर्ट में कहा गया है कि पहले 10 महीने में ही 604 लोगों को मृत्युदंड दिया गया है।
This article had me hooked! For those curious, here’s more: DISCOVER MORE. What are your thoughts?