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खौल रहा है कच्चा तेल, क्या लोन EMI कम करने का प्लान हो गया फेल

Business:- दुनिया की तमाम बड़ी इकोनॉमी आम लोगों की ईएमआई करने के लिए ब्याज दरों में कटौती की प्लानिंग कर रही है. लेकिन कच्चे तेल के दाम इस प्लानिंग में सबसे बड़ा रोड़ा बन चुके हैं. मौजूदा समय में इंटरनेशनल मार्केट में खाड़ी देशों के तेल से लेकर अमेरिकी कच्चे तेल के दाम 6 महीने के हाई पर हैं. खाड़ी देशों का तेल जहां 91 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच गया है. वहीं अमेरिकी क्रूड ऑयल की कीमतें 87 डॉलर प्रति बैरल के करीब हैं. कच्चे तेल कीमतों में इजाफा होने से दुनियाभर में महंगाई में इजाफा होगा. जिसकी वजह से सेंट्रल बैंकों को फिर से महंगाई को कम करने के लिए या तो ब्याज दरों में इजाफा करना होगा. या फिर हाई ब्याज दरों पर ही पॉलिसी को फ्रीज रखना होगा.

अगर बात भारत की करें तो पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया गया है. लेकिन आज वित्त वर्ष की पहली आरबीआई एमपीसी की मीटिंग में लिए फैसलों का ऐलान होना है. मीटिंग में ब्याज दरों पर कोई स्टैंड लेने से पहले आरबीआई गवर्नर और बाकी मेंबर्स के दिमाग में कच्चे तेल की कीमतें जरूर होंगी. वैसे जानकारों का मानना है कि आरबीआई एमपीसी लगातार 7वीं बार ब्याज दरों को फ्री रख सकता है. आइए आपको भी बताते हैें कि आखिर कच्चे तेल की कीमतें कितनी हो गई है? साथ इसका असर आने वाले दिनों में किस तरह से देखने को मिल सकता है? क्या देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में असर देखने को मिलेगा?

6 महीनों के हाई पर कच्चा तेल

जियो पॉलिटिकल टेंशन की वजह से इंटरनेशनल मार्केट में कच्चे तेल की कीमतें 6 महीने के हाई पर पहुंच गई हैें. खाड़ी देशों का कच्चा तेल 91 डॉलर प्रति बैरल के पार चली गई हैं. आंकड़ों के अनुसार ब्रेंट क्रूड ऑयल के दाम 90.96 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा है. मौजूदा साल में खाड़ी देशों के तेल में 18 फीसदी से ज्यादा का इजाफा देखने को मिल चुका है. अगर बात अमेरिकी कच्चे तेल की करें तो कारोबारी सत्र के दौरान 87 डॉलर प्रति बैरल के पार चला गया है. मौजूदा समय में डब्ल्यूटीआई के दाम 86.75 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा है. मौजूदा साल में अमेरिकी तेल की कीमतें 21 फीसदी से ज्यादा बढ़ चुका है. जानकारों की मानें तो आने वाले दिनों में भी कच्चे तेल की कीमतों में इजाफा होना जारी रहेगा.

95 डॉलर पार जाएगा तेल

एचडीएफसी सिक्योरिटीज के करेंसी कमोडिटी हेड अनुज गुप्ता के अनुसार कच्चे तेल की कीमतों में इजाफा आने वाले दिनों में जारी रह सकता है. जिसका प्रमुख कारण जियो पॉलिटिकल टेंशन है. उन्होंने कहा कि जिस तरह के हालात देखने को मिल रहे हैं. उससे लगता है जून के महीने में खाड़ी देशों के तेल की कीमतें 95 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती हैं. वहीं अमेरिकी क्रूड ऑयल की कीमतें 90 डॉलर प्रति बैरल पार सकती हैं. उसके बाद भी कीमतें 90 से 95 डॉलर प्रति बैरल के करीब ही रहेंगी. अब कच्चे तेल की कीमतों को कम करने के दो ही तरीके हो सकते हैं, पहला फेड ब्याज दरों को लंबे समय तक स्टेबल रखे. दूसरा तरीका ओपेक प्लस अपने प्रोडक्शन कट को एक्सटेंड ना करते हुए बढ़ा दे.

इस वजह से देखने को मिला उछाल

गुरुवार को उन खबरों के बाद तेल में उछाल आया कि इजरायली राजनयिकों पर ईरानी हमले के बढ़ते खतरों के कारण दुनिया भर में इजरायली दूतावासों को हाई अलर्ट पर रखा गया है. ओपेक में तीसरे सबसे बड़े प्रोड्यूसर ईरान ने सोमवार को हुए हमले के लिए इज़राइल से बदला लेने की कसम खाई है, जिसमें हाई पोस्टेड ईरानी सैन्य कर्मियों की मौत हो गई थी. इजराइल ने सीरिया में ईरान के दूतावास पर हुए हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है. हमास के साथ युद्ध की शुरुआत के बाद से वाशिंगटन ने गुरुवार को इजरायल के प्रति अपनी कड़ी नाराजगी जाहिर करते चेतावनी दी कि गाजा पर अमेरिकी पॉलिसी इस बात से निर्धारित होगी कि इजरायल फिलिस्तीनी नागरिकों और सहायता कर्मियों की सुरक्षा के लिए कदम उठाता है या नहीं.

ईरान पर आर्थिक प्रतिबंध

यूएस ने गुरुवार को ईरान सेना की ओर से वस्तुओं की शिपिंग में अपनी भूमिका का हवाला देते हुए ओशनलिंक मैरीटाइम डीएमसीसी और उसके जहाजों के खिलाफ ईरान से संबंधित नए आतंकवाद विरोधी प्रतिबंध लगाए. ट्रेजरी विभाग ने कहा कि अमेरिका ईरान को अलग-थलग करने के लिए वित्तीय प्रतिबंधों का उपयोग कर रहा है ताकि उसके प्रॉक्सी ग्रुप्स को फाइनेंस की क्षमता बाधित हो सके और यूक्रेन में रूस के वॉर के लिए देश के समर्थन में बाधा उत्पन्न हो सके। वहीं उन्होंने यूक्रेन के नाटो में शामिल होने की बात कही. जिससे कच्चे तेल की कीमतों में और इजाफा देखने को मिला.

क्या महंगा होगा पेट्रोल और डीजल

अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि कच्चे तेल की कीमत में इजाफा होने से पेट्रोल और डीजल के दाम में इजाफा होगा? नाम ना बताने की शर्त पर जानकार ने कहा कि​ जब तक लोकसभा चुनाव संपन्न नहीं हो जाते तब तक पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं होगा. 6 जून को नतीजों के बाद फ्यूल के दाम में इजाफा देखने को मिल सकता है. तब कच्चे तेल की कीमतें भी 95 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच सकती हैं. मार्च के महीने में पेट्रोलियम कंपनियों ने फ्यूल की कीमत में 2 रुपए प्रति लीटर की कटौती की थी. रिपोर्ट के अनुसार इस कटौती से सरकारी पेट्रोलियम कंपनियों को सालभर के प्रॉफिट में 30 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हो सकता है.

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