फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों होंगे गणतंत्र दिवस के मेहमान, बाइडेन ने जताई थी असमर्थता…
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन अगले साल के गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि हो सकते हैं।
इससे पहेल भारत ने अमेरिका राष्ट्रपति जो बाइडेन को निमंत्रण भेजा था लेकिन उन्होंने आने में असमर्थता जताई है। अब फ्रांस के राष्ट्रपति भारत की सैन्य शक्ति को देखने के लिए गणतंत्र दिवस पर मेहमान बनकर आएंगे।
भारत और फ्रांस के बीच हाल के दिनों में रणनीतिक साझेदारी को खूब बढ़ावा मिला है। रिपोर्टों से पता चला है कि भारत और फ्रांस इमैनुएल मैक्रॉन की यात्रा को लेकर तौर-तरीकों को अंतिम रूप दे रहे हैं।
मौजूदा भू-राजनीति के उथल-पुथल भरे दौर के बीच यह एक महत्वपूर्ण यात्रा होने वाली है।
भारत की तरह फ्रांस भी अपनी विदेश नीति में रणनीति आजादी को ज्यादा महत्व देता। इसके अलावा, कई मौकों पर पीएम नरेंद्र मोदी की मैक्रॉन के साथ बेहतरीन केमिस्ट्री भी देखी गई है।
बता दें कि इसी साल 2023 में फ्रांस के राष्ट्रीय दिवस बैस्टिल डे समारोह पर पीएम नरेंद्र मोदी मुख्य अतिथि थे। भारत-फ्रांस रणनीतिक साझेदारी की 25वीं वर्षगांठ के अवसर पर, एक सैन्य बैंड के नेतृत्व में 241 सदस्यीय त्रि-सेवा भारतीय सशस्त्र बलों की टुकड़ी ने भी परेड में भाग लिया।
इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी को फ्रांस ने लीजन ऑफ ऑनर से सम्मानित किया था। यह फ्रांस का सर्वोच्च सम्मान है। इसी के साथ पीएम मोदी यह सम्मान पाने वाले पहले भारतीय पीएम बने थे।
छठी बार गणतंत्र दिवस पर मेहमान बनेगा फ्रांस
अब 2024 में भारत के गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन को निमंत्रण दिया गया है।
यह 26 जनवरी को इस दिन के उपलक्ष्य में कार्तव्य पथ पर होने वाले महत्वपूर्ण कार्यक्रम में किसी फ्रांसीसी नेता को आमंत्रित किए जाने का छठा उदाहरण है। आखिरी बार कोई फ्रांसीसी राष्ट्रपति 2016 में गणतंत्र दिवस पर मेहमान बना था। उस साल तत्कालीन राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि थे।
फ्रांस को भारत के गणतंत्र दिवस परेड के लिए सबसे अधिक संख्या में निमंत्रण प्राप्त करने वाले एकमात्र देश के रूप में अद्वितीय गौरव प्राप्त है। 1976 में, फ्रांसीसी प्रधानमंत्री जैक्स शिराक भारत के गणतंत्र दिवस समारोह के लिए मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित होने वाले पहले फ्रांसीसी नेता बने थे।
इसके बाद 1980 में फ्रांसीसी राष्ट्रपति वैलेरी गिस्कार्ड डी’एस्टेंग, 1998 में राष्ट्रपति जैक्स शिराक, 2008 में राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी और 2016 में राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद को निमंत्रण दिया गया था।
पोखरण-II के बाद फ्रांस ने नहीं लगाए थे भारत पर प्रतिबंध
मेक इन इंडिया पहल के तहत हाल के वर्षों में फ्रांस शीर्ष रक्षा साझेदारों में से एक रहा है। अंतरिक्ष क्षेत्र में फ्रांस भारत का एक पुराना भागीदार है। फ्रांस नागरिक परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में भी भागीदार रहा है। कुछ अन्य पश्चिमी देशों के विपरीत, फ्रांस ने पोखरण-II के बाद भारत पर प्रतिबंध नहीं लगाया था। न ही फ्रांस को भारत के किसी भी आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने की आदत है।
इस हफ्ते, फ्रांसीसी सरकार ने भारतीय नौसेना के लिए 26 राफेल समुद्री लड़ाकू जेट खरीदने के लिए भारत के 50,000 करोड़ रुपये के टेंडर पर अपनी प्रतिक्रिया सौंपी है।
भारत ने भारतीय नौसेना की विमान वाहक क्षमताओं को बढ़ाने के उद्देश्य से 26 राफेल समुद्री विमानों के अधिग्रहण के लिए फ्रांस के साथ 6 अरब डॉलर का सौदा शुरू किया है। खरीद में 22 सिंगल-सीटर राफेल समुद्री विमान और चार ट्विन-सीटर ट्रेनर संस्करण शामिल हैं।
जो बाइडेन ने जताई थी असमर्थता
इससे पहले, भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने मीडिया को जानकारी दी थी कि भारत ने गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि बनने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन को निमंत्रण दिया था, लेकिन यह दौरा संभव नहीं हो सका।
अमेरिकी पक्ष ने राष्ट्रपति बाइडेन के निमंत्रण को स्वीकार करने में असमर्थता का कोई विशेष कारण नहीं बताया है। संभावित कारणों में से एक निर्धारित स्टेट ऑफ द यूनियन संबोधन और घरेलू प्रतिबद्धताएं शामिल हैं।
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