नई दिल्ली । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने हिंदू समाज से आपसी मतभेदों और विवादों को मिटाकर एकजुट होने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा कि जाति, भाषा और प्रांत के आधार पर बंटे समाज को अपनी सुरक्षा और मजबूती के लिए एक होना होगा।
भागवत ने इस दौरान समाज में एकता, सद्भाव और अनुशासन पर जोर देते हुए कहा कि समाज का गठन सिर्फ व्यक्तिगत हितों से नहीं, बल्कि सामूहिक रूप से होता है।
भागवत ने कहा, हमें समाज के प्रति चिंता रखते हुए अपने जीवन में ईश्वर की प्राप्ति करनी चाहिए। परिवार से समाज का निर्माण होता है, और संघ का काम व्यक्ति के सर्वांगीण विकास के माध्यम से समाज को मजबूत बनाना है।
उन्होंने जोर दिया कि भारत की वैश्विक प्रतिष्ठा उसकी आंतरिक ताकत के कारण है, और भारत को एक “हिंदू राष्ट्र” के रूप में परिभाषित करते हुए कहा कि हिंदू विचारधारा सबको स्वीकार करती है और सबके लिए जगह बनाती है।
भागवत ने स्वयंसेवकों से हर क्षेत्र में संवाद करने और समाज में व्याप्त कमियों को दूर करने की अपील की। उन्होंने सामाजिक समरसता, न्याय, शिक्षा, स्वास्थ्य और स्वावलंबन को बढ़ावा देने पर भी विशेष जोर दिया।