छत्तीसगढ़

शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने और दूरस्थ इलाके में बच्चों को शिक्षा से जोड़ने शिक्षा अधिकारी के साथ टीम पहुंची माड़ इलाके

बीजापुर. जिले में शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने और दूरस्थ इलाके में बच्चों को शिक्षा से जोड़ने की कवायद के बीच जिला शिक्षा अधिकारी के साथ शिक्षा विभाग की टीम माड़ इलाके में पहुंची. यहां सातवा ग्राम पंचायत के एहकेली और पल्लेवाया स्कूल का निरीक्षण कर व्यवस्था को बेहतर बनाने के निर्देश दिए. दोनों जगहों पर स्कूल भवनविहिन है. यहां नदी का पानी कम होने के बाद भवन निर्माण का निर्णय लिया गया.

बीते दिन जिला शिक्षा अधिकारी बीआर बघेल, एपीसी जाकिर खान, एमवी राव, बीआरसी विजय ओयम ने जिले के अंतिम छोर नारायणपुर जिले के सरहद में बसे पल्लेवाया का दौरा किया. यह इलाका बीजापुर जिला मुख्यालय से दंतेवाड़ा जिले के तुमनार से होते हुए नारायणपुर जिला के सरहद में बसा हुआ है, जिसकी दूरी तकरीबन 100 किलोमीटर है. बीजापुर तुमनार तक चौपहिया वाहन से 2 घंटे के यात्रा के बाद गुणनेमार्ग से इंद्रावती नदी की बाधा को लकड़ी के नाव के सहारे पार कर पैदल करकावाड़ा एहकेली पहुंचने में 4 घंटे लग गए तब जाकर माड़ इलाके की शिक्षा से विभाग की टीम रूबरू हो पाई सलवा जुडूम के बाद यह इलाका वीरान और विस्थापित हो चुका था, जो अब सरकार के संवेदनशील प्रयासों से फिर बसने लगा है. 2005 में स्कूल बंद होने के बाद बीते साल यहां स्कूल फिर से शुरू किया गया और स्थानीय नौजवानों के जरिए तालीम के रास्ते फिर से खोले गए. विपरीत हालतों और सुविधाओं के अभाव में इन खोले गए स्कूलों की जमीनी हकीकत देखना शिक्षा विभाग के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई है. बीहड़ दुर्गम और अतिसंवेदनशील इलाके के रूप में पहचान बना चुका माड़ एरिया आज भी सामान्य रूप से आवा जाही के लिए सुगम और सुरक्षित नहीं है. इन हालातों में इस चुनौती को पार कर शिक्षा विभाग की टीम 25 किलोमीटर पैदल चलकर करकावाडा, एहकेली, पल्लेवाया पहुंची और स्कूलों का निरीक्षण किया. भवन और शुद्ध पानी की आवश्यकता, मिड डे मील का समुचित प्रबंधन, बच्चों की नियमित और शत प्रतिशत उपस्थिति के साथ न्यूनतम अधिगम दक्षाताओं को विकसित करने के कार्य योजना को मूर्त रूप देने रणनीति बनाई गई. शिक्षा दूत, ग्रामीणों से मिलकर चुनौतीयों की पहचान कर उसे दूर करने आपसी सामंजस्य से कार्य करने पर बल दिया गया. पल्लेवाया से नारायणपुर जिला का पीडियाकोट महज 2 किलो मीटर दूर है, जहां 50 सीटर बालक आश्रम संचालित है. वहां पहुंचकर अधीक्षक से मुलाकात कर शाला संचालन की स्थिति का जायजा लिया गया. यहां से शाम को रवानगी के बाद टीम 7 बजे रात में इंद्रावती नदी के मुहाने पर पहुंच पाई और अंधियारे में फिर लकड़ी के नाव के सहारे नदी पार कर तुमनार पहुंचने के बाद चौपहिया वाहन से जिला मुख्यालय पहुंच कर अपने अभियान को पूरा किया.

भवन निर्माण बड़ी चुनौती

माड इलाका संवेदनशील और दुर्गम होने से निर्माण कार्य एक बड़ी चुनौती है. इंद्रावती नदी में पुल नही होना किसी भी निर्माण के लिए बड़ी बाधा है. इलाके में स्कूल झोपड़ी और अस्थाई शेड में चल रहे हैं. जिला प्रशासन की प्राथमिकता यहां भवन निर्माण कर बेहतर व्यवस्था देने की है, जिसके बाद इस इलाके में शिक्षा व्यवस्था बेहतर होने की उम्मीद है.

शिक्षा में सुधार के लिए मॉनिटरिंग आवश्यक : डीईओ

अतिसंवेदनशील माड़ इलाके में दौरे को लेकर डीईओ बीआर बघेल ने बताया, भैरमगढ़ का माड़ इलाका अत्यंत दुर्गम और अतिसंवेदनशील इलाका है. यहां मॉनिटरिंग करना और व्यवस्था बनाए रखना चुनौती है. कलेक्टर की मंशा अनुरूप शिक्षा विभाग की टीम ने एहकेली पल्लेवाया का दौरा किया और शिक्षा व्यवस्था का आकलन कर आगामी दिनों में सुधार की रणनीति बनाई गई है.

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