
जो लोग राजनीति में रहते हैं,उनको चर्चा में रहने का नशा होता है। वह चर्चा में रहते हैं तो लगता है वह बड़े नेता हैं,जानकार नेता हैं।वह दूसरों से ज्यादा जानते हैं। उनके पास दूसरों से ज्यादा जानकारी है।विपक्ष के लोगों का रोज मुश्किल सवाल पूछना समझ में आता है कि वह सरकार को हर क्षेत्र में नाकाम बताना चाहते हैं, यह बताना चाहते हैं कि जनता समस्याओंं से परेशान है, और सरकार जनता की परेशानी कम नहीं कर पा रही है, दूर नहीं कर पा रही है। सत्ता पक्ष के लोग भी चर्चा में रहने के लिए जब विपक्ष के सदस्यों से ज्यादा सवाल पूछते हैं तो बरबस लोगों के मन में उठता है कि यह लोग क्यों अपने ही मंत्री को परेशान करते हैं।यह बताने का प्रयास करते हैं, मंत्री से बेहतर और ज्यादा जानकारी तो उनके पास है।
सत्ता पक्ष के लोग जब खुद को मंत्री से बेहतर बताने की कोशिश करते हैं तो स्वाभाविक है कि लोगों के मन में सवाल उठेगा ही कि यह ऐसा क्यों कर रहे हैं। राज्य विधानसभा में ऐसा करने वाले जब सीनियर नेता होते हैं, मंत्री रह चुके लोग होते हैं तो लोगों को हैरानी होती है कि जो काम विपक्ष के लोगों को करना चाहिए वह काम तो सत्ता पक्ष के लोग बखूबी कर रहे हैं।सत्ता पक्ष के लोग ही सत्ता पक्ष के मंत्रियों को हंसी का पात्र बना रहे हैं। वह चाहें तो ऐसे सवाल भी पूछ सकते हैं जिससे मंत्री का कार्यकुशलता का परिचय मिले लेकिन वह ऐसे सवाल पूछते हैं कि लगता है कि वह सत्ता पक्ष को,अपने मंत्री को ही नीचा दिखाना चाहते हैं।
यह बताना चाहते हैं मंत्री को आप पद के लायक नहीं है।यह बताना चाहते हैं कि आपको जिसने मंत्री बनाया है, उसने गलती की है।हो सकता है कि वह मुख्यमंत्री को बताना चाहते हों कि नए लोगों को मंत्री बनाने की जगह पुराने लोगों को मंत्री बनाते तो सरकार का विधानसभा में यह हाल नहीं होता। जब कभी भी पुराने लोगों को मंत्री नहीं बनाया जाता है तो उनको बुरा तो लगता ही है। हम दो तीन बार मंत्री रह चुके हैं और आपने हमारी उपेक्षा की है। हम जैसे योग्य आदमी की जगह आपने नए लोगों को मंत्री बनाया है तो अब गलती की सजा भुगतो।स्वाभाविक है कि जो दो बार मंत्री रह चुका है, वह ज्यादा जानकार होता है,उसके पास ज्यादा अनुभव है।वह जानता है कि नए मंत्री को कैसे बताया जा सकता है कि तुमको ज्यादा जानकारी नहीं है, मेरे पास ज्यादा जानकारी है,तुम जितना जानते हो, मैं उससे ज्यादा जानता हूं।
पुराना मंत्री नए मंत्री को खुद के कमतर बताता है तो ही उसको अच्छा लगता है। लेकिन वह भूल जाता है कि जो काम वह कर रहा है,यह उसका काम नहीं है,यह तो विपक्ष का काम है।राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा शुरु होने से पहले विधायक व पुराने मंत्री अजय चंद्राकर ने एक बिंदू पर आपत्ति की।सवाल किया कि अभिभाषण के पृष्ठ १४ में उल्लेख किया गया है कि मेरी सरकार १८ स्थानीय भाषाओं में बच्चों को स्कूलों में पढ़ाई करवा रही है।मैं जानना चाहता हूं।छत्तीसगढ़ में ऐसी कौन सी भाषाएं हैं जिसमें पढ़ाई हो रही है।यह उल्लेख टंकण त्रुटि है या सत्य है।मेरा कहना है कि महामहिम से ऐसा कथन नहीं कहलवाना था।अजय चंद्राकर विधानसभा में इस बात को उठाने की बजाय किसी और जगह सीएम,डिप्टी सीएम से चर्चा कर सकते थे,बता सकते थे कि यह गलती हुई है अभिभाषण में । तब सरकार की गलती की चर्चा सार्वजनिक तो नहीं होती।
सरकार से गलती हुई है और उसके सीनियर विधायक ही ऐसा बता रहे है। इस बात की खूब चर्चा तो होनी ही है। ऐसे में माना तो यही जाएगा कि सीनियर विधायक यही चाहते थे सरकार की गलती की खूब चर्चा हो।सत्ता पक्ष के विधायक चर्चा में बने रहना चाहते हैं तो विपक्ष के नेता भी चाहते हैं कि रोज के अखबार में उनके बारें में कुछ न कुछ तो छपना ही चाहिए तब ही तो दिल्ली के नेताओं को पता चलता है कि यह नेता काम कर रहा है।पुलिस की गाड़ी एक दो बार क्या कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज के घर के सामने से गुजरी उन्होंने तो चर्चा में बने रहने के लिए,सरकार पर दवाब डालने के लिए सीधा सरकार पर आरोप लगा दिया कि उनकी जासूसी करवाई जा रही है।
इसी को लेकर विधानसभा में हंगामा हो गया और कांग्रेस ने दिन भर बहिष्कार भी किया। दंतेवाड़ा पुलिस का इस मामले में कहना है कि वह किसी जासूसी करने नहीं आई है वह तो अवधेश गौतम की तलाश में रायपुर आई है।उसका लोकेशन कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज के घर के आसपास मिला इसलिए वह उसकी तलाश कर रही थी। ज्ञात हो कि यह अवधेश गौतम ठेकेदार है और दंतेवाड़ा जिला कांग्रेस अध्यक्ष भी है।सड़क निर्माण मे भ्रष्टाचार के मामले में एफआईआर दर्ज होने के बाद से फरार है। पुलिस उसकी तलाश कर रही है। जहां उसके होने का संकेत मिला था, वही पुलिस तलाश कर रही थी। कांग्रेस को तो बहाना चाहिए किसी झूठे मुद्दे को बड़ा मुद्दा बनाने का। वह विधानसभा का दिन भर बहिष्कार कर इसे बड़ा मुद्दा बनाने की सोच चुकी है, कोई आश्चर्य की बात नही होगी यदि कांग्रेस इस मुद्दे पर आनेवाले दिनों में विधानसभा के भीतर के साथ बाहर भी हंगामा करे। एक साल से वह यही कर रही है, इसका असर भले ही दिल्ली दरबार पर पड़ता हो कि छत्तीसगढ़ के कांग्रेस नेता बहुत सक्रिय है,बहुत काम कर रहे हैं लेकिन जनता पर इसका कोई असर नहीं होता है। जनता जानती है कि अच्छा काम कौन कर रहा है भाजपा या कांग्रेस और चुनाव में उसे जिताकर बता भी देती है ।