पाकिस्तान के खैबर में बनी तालिबान सरकार, अफसरों को फरमान; मंत्री पद भी बांटे…
पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान और आतंकवाद का चोली-दामन का साथ रहा है।
अब ऐसा समय आ गया है कि जिसे पाकिस्तान ने पाला वह उसी के आस्तीन का सांप बन गया है।
पाकिस्तान का खैबर पख्तूनख्वा (केपी) प्रांत हमेशा से तालिबानी गतिविधियों की वजह से अशांत रहा है। अब खबर है कि केपी प्रांत में तालिबानियों ने प्रशासनिक तंत्र बनाना शुरू कर दिया है।
रिपोर्ट्स बताती हैं कि तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) समूह अब स्थानीय अधिकारियों और ठेकेदारों को निर्देश दे रहा है।
टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक, केपी के गवर्नर गुलाम अली ने बीते शनिवार को एक टेलीविजन इंटरव्यू में क्षेत्र की सुरक्षा को लेकर अपनी आशंकाएं व्यक्त कीं।
वजीरिस्तान में तालिबानियों की मनमानी
पाकिस्तान में होने वाले आम चुनाव के मद्देनजर राजनीतिक दल केपी प्रांत में रैलियां आयोजित कर सकते हैं, जिसके लिए पहले ही चेतावनी जारी करते हुए गवर्नर ने कहा कि यहां कि मौजूदा स्थिति रैलियां करने के लिए महफूज नहीं हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि गवर्नर ने दक्षिण-पश्चिम में अशांत बलूचिस्तान प्रांत की तुलना की और कहा कि वहां भी ऐसी ही अनिश्चित स्थिति बनी हुई है।
बता दें टीटीपी ने हाल ही में उत्तरी वजीरिस्तान में जल, बिजली और तेल विभाग का बंटवारा किया है और इससे जुड़े ठेकेदारों को निर्देश जारी किए।
ठेकेदारों को नए मंत्रालय के साथ जुड़ने और पांच दिन की समय सीमा के भीतर कई परियोजनाओं पर समझौते पर पहुंचने का निर्देश दिया गया। इसे मना करने की स्थिति में टीटीपी ने बलपूर्वक कार्रवाई की चेतावनी दी।
गुप्त विभाग बना रहा तालिबान
नए मंत्रालय का कथित उद्देश्य समूह के ‘जिहाद’ के लिए धन जुटाना और इसके प्रभाव वाले क्षेत्रों में अपनी प्रशासनिक व्यवस्था को बढ़ाना है।
टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक, अंदरूनी सूत्रों से पता चलता है कि टीटीपी ने अफगान सीमा के साथ-साथ केपी के दक्षिणी जिलों टैंक, डेरा इस्माइल खान, लक्की मारवात और बन्नू में हर आदिवासी जिले में गुप्त विभाग स्थापित किए हैं।
कथित तौर पर ये गुप्त इकाइयां स्थानीय लोगों के बीच विवादों के समाधान को संभालने के अलावा, व्यापारियों और समृद्ध व्यक्तियों को ब्लैकमेल करने का भी काम करती हैं।
This piece was both informative and amusing! For more, visit: LEARN MORE. Keen to hear everyone’s views!